- वेस्टइंडीज के खिलाफ मैच से पहले क्विंटन डिकॉक ने किया था घुटने के बल बैठने से इनकार
- रेसिज्म के खिलाफ सांकेतिक विरोध प्रदर्शन में शामिल होने का दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट बोर्ड ने दिया था टीम को निर्देश
- डिकॉक ने अपने व्यवहार के लिए मांगी है माफी, कहा है कि वो नस्लवादी नहीं हूं, पहुंचा है बहुत दुख
दुबई: दक्षिण अफ्रीका के पूर्व कप्तान और विकेट कीपर बल्लेबाज क्विंटन डिकॉक ने वेस्टइंडीज के खिलाफ टी20 वर्ल्ड कप मुकाबले में मैच से पहले घुटने के बल होकर रेसिज्म के खिलाफ चल रहे वैश्विक आंदोलन का विरोध नहीं करने का फैसला किया था। दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट बोर्ड ने वेस्टइंडीज के खिलाफ मुकाबले से पहले टीम के सदस्यों को घुटने के बल बैठने का निर्देश दिया था लेकिन डिकॉक ने आदेश को मानने से इनकार कर दिया और मैच से अपना नाम वापस ले लिया था।
ऐसे में टीम के लिए मैच में विकेटकीपिंग की जिम्मेदारी हेनरिक क्लासेन ने निभाई थी लेकिन डिकॉक के ऐसा करने से दक्षिण अफ्रीकी टीम की छवि को गहरा धक्का लगा था। सत्तर के दशक में रंगभेद की वजह से 21 साल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से दक्षिण अफ्रीकी टीम को बाहर रहना पड़ा था। ऐसे में डिकॉक के निर्णय को द. अफ्रीकी क्रिकेट के उसी राह में वापस लौटने के संकेत के रूप में देखा गया था। मैच के बाद टीम के कप्तान तेम्बा बावुमा ने इसे अपने बतौर कप्तान इसे अपने लिए सबसे मुश्किल दिन बताया था।
टी20 वर्ल्ड कप में रहेंगे उपलब्ध
ऐसे में क्विंटन डिकॉक ने टी20 विश्व कप के बाकी बचे मैचों के लिये स्वयं को उपलब्ध रखते हुए कहा कि यदि उनके घुटने के बल बैठने से दूसरों शिक्षित करने में मदद मिलती है तो उन्हें इसमें दिक्कत नहीं है। डिकॉक ने कहा कि इससे पहले इस तरह बैठने से इन्कार करने पर उन्हें नस्लवादी कहा गया जिससे उन्हें काफी पीड़ा पहुंची।
अपने निर्णय पर जताया गहरा खेद
डिकॉक ने सीएसए द्वारा जारी बयान में कहा, 'मैं जिस पीड़ा, भ्रम और गुस्से का कारण बना, उसके लिए मुझे गहरा खेद है। मैं अब तक इस महत्वपूर्ण मसले पर चुप था। लेकिन मुझे लगता है कि अब मुझे अपनी बात को थोड़ा स्पष्ट करना होगा। जब भी हम विश्व कप में खेलने के लिये जाते हैं तो ऐसा कुछ होता है। यह उचित नहीं है। मैं अपने साथियों विशेषकर कप्तान तेम्बा (बावुमा) का सहयोग के लिये आभार व्यक्त करता हूं।'
बावुमा को बताया शानदार कप्तान
डिकॉक ने कहा, 'लोग शायद पहचान न पाएं, लेकिन वह एक शानदार कप्तान है। अगर वह और टीम और दक्षिण अफ्रीका मेरे साथ होंगे, तो मैं अपने देश के लिये फिर से क्रिकेट खेलने के अलावा और कुछ नहीं चाहूंगा।'
क्यों किया था घुटने के बल बैठने से इनकार
डिकॉक ने अपने बयान में कहा कि उनके लिये अश्वेतों की जिंदगी अंतरराष्ट्रीय अभियान के कारण नहीं बल्कि उनकी पारवारिक पृष्ठभूमि के कारण उनके लिये मायने रखती है। डिकॉक ने स्पष्ट किया कि जिस तरह से मैच से कुछ घंटे पहले खिलाड़ियों के लिये आदेश जारी किया गया उस रवैये के कारण उन्होंने मैच से पहले घुटने के बल बैठने से इन्कार किया था।
डिकॉक आगे कहा, 'जो नहीं जानते हैं, उन्हें मैं यह बताना चाहता हूं कि मैं एक मिश्रित जाति परिवार से आता हूं। मेरी सौतेली बहनें अश्वेत हैं और मेरी सौतेली मां अश्वेत है। अश्वेत जीवन मेरे जन्म से ही मेरे लिये मायने रखता है। सिर्फ इसलिए नहीं कि एक अंतरराष्ट्रीय अभियान है।'
उन्हें लगा कि बोर्ड ने किया है उनकी स्वतंत्रता का अतिक्रमण
इस 28 वर्षीय खिलाड़ी ने कहा कि उन्हें लगा कि सीएसए ने उनकी स्वतंत्रता का अतिक्रमण किया है, लेकिन बोर्ड के अधिकारियों से विस्तार से बात करने के बाद उनका दृष्टिकोण अब बदल गया है। डिकॉक ने कहा, 'जिस तरह से हमें बताया गया उससे मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे अधिकार छीन लिये गये हैं। कल रात बोर्ड के साथ हमारी बातचीत बहुत भावनात्मक थी। मुझे लगता है कि हम सभी को उनके इरादों की बेहतर समझ है। काश यह जल्दी होता क्योंकि मैच के दिन जो कुछ हुआ उसे टाला जा सकता था। यह मेरी समझ से परे है कि एक इशारे (घुटने के बल बैठना) से मुझे क्यों साबित करना है जबकि मेरा सभी तरह के लोगों के साथ उठना बैठना है और मैं उन्हें प्यार करता हूं।'
प्रतिक्रियाओं से पहुंचा है गहरा धक्का, नहीं हूं मैं नस्लवादी
डिकॉक ने कहा कि वह इस घटनाक्रम के बाद की प्रतिक्रियाओं से बेहद आहत हैं। उन्होंने कहा, 'जो मेरे साथ पले बढ़े और मेरे साथ खेले वे जानते हैं कि मैं किस तरह का इंसान हूं। मुझे क्रिकेटर के रूप में बहुत कुछ कहा जाता है। बेवकूफ। स्वार्थी। अपरिपक्व। लेकिन इनसे मुझे पीड़ा नहीं पहुंचती लेकिन गलतफहमी पैदा होने के कारण नस्लवादी कहे जाने से मुझे गहरा दुख हुआ। इससे मेरा परिवार आहत हुआ। इससे मेरी गर्भवती पत्नी को दुख पहुंचा है। मैं नस्लवादी नहीं हूं। यह मेरे दिल की आवाज है।'
डिकॉक ने अंत में कहा, 'और जो मुझे जानते हैं कि वे जानते हैं कि मैं शब्दों का ताना बाना बुनने में माहिर नहीं हूं लेकिन मैंने यह समझाने की पूरी कोशिश की है कि मेरे कारण जो धारणा बनायी गयी उसके लिये मुझे वास्तव में खेद है।'
दक्षिण अफ्रीका को अपना अगला मैच शनिवार को श्रीलंका से खेलना है। सुपर-12 के अबतक खेले दो मैच में दक्षिण अफ्रीका को एक में जीत और एक में हार का सामना करना पड़ा है।