- क्रिकेट इतिहास के सबसे अनोखे खिलाड़ियों में से एक- टपी ओवन स्मिथ
- क्रिकेट के अलावा रग्बी में भी नाम कमाया, बॉक्सिंग और एथलेटिक्स में भी जलवा बिखेरा
- पढ़ाई में भी शानदार साबित हुए, प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करके डॉक्टर बने
आज के दिन (18 फरवरी) को 1909 में एक ऐसे खिलाड़ी का जन्म हुआ था जिसने अपनी प्रतिभाओं से अंत तक सबको चौंकाया। वो एक चीज से निकलते तो दूसरी चीज में व्यस्त हो जाते। हम यहां बात कर रहे हैं दक्षिण अफ्रीका के पूर्व बल्लेबाज टपी ओवन स्मिथ की। एक ऐसा बल्लेबाज जिसने क्रिकेट में मुकाबले तो कम खेले लेकिन फिर भी कई चीजों को लेकर सुर्खियां बटोरीं।
टपी ओवन स्मिथ का असली नाम हेरॉल्ड था। उनका जन्म दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन में हुआ था। वहां कॉलेज के दिनों में वो एक ऐसे एथलीट के रूप में मशहूर थे जो हर खेल में माहिर था और साथ ही पढ़ाई में भी शानदार थे। उन्होंने जून 1929 में इंग्लैंड के खिलाफ अपने टेस्ट क्रिकेट करियर का आगाज किया। वो उस समय दक्षिण अफ्रीकी टीम के अहम खिलाड़ियों में से एक थे।
उन्होंने सिर्फ 5 टेस्ट मैच ही खेले और ये सभी मैच 1929 में ही हुए। टपी ने 5 टेस्ट मैचों में 252 रन बनाए जिस दौरान एक शतक और एक अर्धशतक भी जड़ा। जबकि प्रथम श्रेणी क्रिकेट में वो एक शानदार ऑलराउंडर बनकर सामने आए जहां उन्होंने 101 मैच खेले, 4059 रन बनाए, 3 शतक जड़े, 23 अर्धशतक बनाए और गेंदबाजी में भी जलवा बिखेरते हुए 319 विकेट लिए। वो 1930 में विजडन क्रिकेटर ऑफ द इयर भी चुने गए।
क्रिकेट के बाद दूसरे देश के रग्बी कप्तान बने
क्रिकेट के बाद उन्होंने रग्बी खेलना शुरू किया और वहां भी शीर्ष स्तर तक पहुंचे। हालांकि उन्होंने रग्बी दक्षिण अफ्रीका के लिए नहीं बल्कि इंग्लैंड के लिए खेला। उन्होंने इंग्लैंड के लिए 10 अंतरराष्ट्रीय मुकाबले खेले, जिस दौरान अधिकतर समय वो टीम के कप्तान भी रहे।
बॉक्सिंग और एथलेटिक्स भी
यही नहीं, उन्होंने उन दिनों कॉलेज में मुक्केबाजी और एथलेटिक्स में भी जलवा बिखेरा और कई पदक अपने नाम किए। वो इन खेलों में भी अंतरराष्ट्रीय करियर बना सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नही किया।
..और फिर डॉक्टर भी बने
खेल में तो इस खिलाड़ी ने शीर्ष स्तर पर काफी कुछ हासिल किया और वो काफी मशहूर भी हुए लेकिन ये हुनरमंंद यहां कहां ठहरने वाला था। वो पढ़ाई में भी अच्छे थे और उन्होंने ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी के मैगडेलन कॉलेज से मेडिसिन की पढ़ाई की और फिर डॉक्टर भी बनेे। वो डॉक्टर बनने के बाद अपने देश (दक्षिण अफ्रीका) लौट आए और लंबे समय तक वहां डॉक्टर के रूप में अपनी सेवाएं दीं। जब वो 81 वर्ष के थे, तब 28 फरवरी 1990 को उनका निधन हुआ।