- अंडर-19 विश्व कप खिताब दिलाने वाले भारतीय कप्तान यश धुल घरेलू टीम के लिए करेंगे आईपीएल डेब्यू
- अंडर-19 विश्व कप के सेमीफाइनल में जड़ा था शानदार कप्तानी शतक
- टूर्नामेंट में धुल नहीं खेल पाए थे 2 लीग मैच, फिर भी रहे टूर्नामेंट में भारत के तीसरे सफल बल्लेबाज
बेंगलुरु: भारत को हाल ही में अंडर-19 विश्व कप 2022 का खिताब दिलाने वाले कप्तान यश धुल की किस्मत का ताला इस उपलब्धि ने खोल दिया है। शनिवार को आईपीएल 2022 के लिए हुई नीलामी में उनके ऊपर दिल्ली कैपिटल्स की टीम ने भरोसा जताया और 50 लाख रुपये की कीमत पर अपनी टीम में शामिल कर लिया। अपनी घरेलू टीम के लिए यश आईपीएल करियर का शुरुआत करेंगे। उनका बेस प्राइज 20 लाख रुपये था। पंजाब और दिल्ली के बीच उन्हें अपने खेमे में शामिल करने की कोशिश की लेकिन अंत में बाजी दिल्ली कैपिटल्स के हाथ लगी।
विश्व कप जीत के बाद यश धुल को रणजी ट्रॉफी के लिए दिल्ली की रणजी टीम में भी जगह दी गई। इसके बाद आईपीएल नीलामी में उनके ऊपर करोड़ों की बारिश हो गई। यश धुल ने अंडर-19 विश्व कप में अपनी सधी हुई आक्रामक बल्लेबाजी से सबको प्रभावित किया था। सेमीफाइनल में उन्होंने मुश्किल वक्त में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 110 रन की शतकीय पारी खेली थी। इस प्रदर्शन के लिए उन्हें मैन ऑफ द मैच भी चुना गया था।
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल में खेली कप्तानी पारी
विश्व कप में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ लीग दौर के पहले मुकाबले के बाद यश धुल कोरोना संक्रमित हो गए थे। लेकिन इसके बाद जब नॉकआउट दौर में वापसी की तो टीम के लिए मैच विनर बनकर उभरे। पहले तो बांग्लादेश के खिलाफ लो स्कोरिंग मुकाबले में उन्होंने 20 रन की नाबाद पारी खेलकर टीम को सेमीफाइनल में जगह दिलाई। इसके बाद सेमीफाइनल में शानदार कप्तानी शतक जड़ दिया।
ऐसा रहा अंडर-19 विश्व कप में प्रदर्शन
अंडर-19 विश्व कप में धुल ने 4 मैच की 4 पारियों में 1 बार नाबाद रहते हुए 76.33 की औसत और 85.44 के स्ट्राइक रेट से 229 रन बनाए। अंगकृष रघुवंशी और राज बावा के बाद वो भारत के तीसरे सबसे सफल बल्लेबाज रहे। उन्होंने इस दौरान एक अर्धशतक और एक शतक जड़ा। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ उन्होंने 82 और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 110 रन की पारी खेली।
पिता ने छोड़ दी थी बेटे को क्रिकेटर बनाने के लिए नौकरी
पश्चिम दिल्ली के जनकपुरी के रहने वाले 19 साल के यश धुल के पिता ने उन्हें क्रिकेटर बनाने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी थी। यश के दादाजी भारतीय सेना में कार्यरत थे। पिता के नौकरी छोड़ने के बाद दादा की पेशंन से घर का खर्च चलता था। दादाजी के सेना के ताल्लुक होने ने यश को मानसिक रूप से मजबूत और अनुशासित बनाने में मदद की। पिता ने पूरा ध्यान यश के ऊपर लगाया और उन्हें कम उम्र से ही अच्छी क्वालिटी के इंग्लिश विलो बैट और किट दिलाई।