- भारतीय महिला क्रिकेट टीम की प्रतिभाशाली क्रिकेटर वेदा कृष्णमूर्ती
- कोविड-19 की वजह से वेदा ने अपनी मां और बहन को खोया
- वेदा ने बयां किया अपना दर्द, बताया सब कुछ सही करने के बावजूद मिला दर्द
नई दिल्लीः भारतीय महिला टीम की क्रिकेटर वेदा कृष्णामूर्ति ने कोरोना वायरस की चपेट में आने से अपनी मां और बहन की मृत्यु पर कहा कि उनके परिवार ने सब कुछ सही तरीके से किया लेकिन उन्हें बचा नहीं सके। बेंगलुरु की 28 साल की इस क्रिकेटर ने अपनी बहन और मां को भावनात्मक श्रद्घांजलि दी। वेदा की मां और बहन का निधन दो सप्ताह के अंदर हुआ।
वेदा ने कहा, ‘‘यह वायरस काफी खतरनाक है। मेरे परिवार ने सब कुछ ठीक तरीके से किया लेकिन वायरस ने फिर भी नहीं बख्शा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ मैं दिल से उन सभी के साथ हूं जो इस तरह की स्थिति का सामना कर रहे हैं। सुरक्षित रहें, मजबूत रहें।’’ उनकी मां चेलुवांबा देवी की मौत के दो सप्ताह के बाद बड़ी बहन वत्सला शिवकुमार का निधन बीते गुरुवार को हुआ।
तुम्हारे जाने से मेरी दुनिया बदल गई है
इस शानदार ऑलराउंडर ने कहा, ‘‘तुम दोनों के चले जाने के बाद मेरी दुनिया पूरी तरह से बदल गयी है। मुझे नहीं पता कि हमारा परिवार फिर से कैसे एकजुट होगा। मैं सिर्फ इतना कह सकती हूं कि आप दोनों से बहुत प्यार करती हूं और आप दोनों को याद करूंगी।’’ भारत के लिए 48 एकदिवसीय और 76 टी20 अंतरराष्ट्रीय खेल चुकी वेदा सोशल मीडिया के जारिये इस महामारी का सामना कर रहे लोगों की मदद कर रही हैं।
अपने सबसे करीबी दो लोगों को खोने के बाद उन्होंने लिखा, ‘‘ मेरी खूबसूरत अम्मा और अक्का (बहन)। पिछले कुछ दिन घर पर हम सभी के लिए दिल के टूटने वाले रहे हैं। आप दोनों हमारे घर की नींव थे। कभी सोचा भी नहीं था कि ऐसा दिन भी आयेगा। यह जानकर काफी दुख होता है कि तुम दोनों मेरे साथ नहीं हो।’’
आपने मुझे एक बहादुर बच्चा बनाया है
उन्होंने लिखा, ‘‘अम्मा, आपने मुझे एक बहादुर बच्चा बनाया है, मुझे सिखाया है कि मैं हर स्थिति में जितना संभव हो सके उतना व्यावहारिक रहूं। मैं जितने लोगों को जानती हूं उसमें आप सबसे सुंदर, खुशमिजाज और निस्वार्थ रही हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अक्का, मुझे पता है कि मैं तुम्हारी सबसे पसंदीदा इंसान थी। आप एक फाइटर (योद्धा) हैं, आप ने मुझे आखिरी मिनट तक हार नहीं मानने के लिए प्रेरित किया है।’’
मुझे बड़ा अहंकार था कि मेरी दो मां हैं
वेदा ने लिखा, ‘‘आप दोनों ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें मेरी हर बात, हर काम में खुशी होती थी। मुझे हमेशा एक बहुत बड़ा अहंकार था कि मेरी दो माँ हैं लेकिन लगता है कि अहंकार कभी किसी के लिए बहुत अच्छा नहीं होता।’’ उन्होंने कहा, ‘‘पिछले कुछ दिन मैंने आप दोनों के साथ सुकून के साथ बिताए थे, हम सभी खुश थे । कभी कल्पना भी नहीं की कि यह आखिरी मुलाकात होगी।’’