- स्पिनर हरभजन सिंह ने सभी फॉर्मेट से संन्यास ले लिया
- हरभजन आखिरी बार 2016 में भारत की ओर से खेले
- उनका तरराष्ट्रीय करियर साल 1998 में शुरू हुआ था
दिग्गज स्पिनर हरभजन सिंह ने अपने 23 साल लंबे क्रिकेट करियर पर शुक्रवार को विराम लगा दिया। उन्होंने सभी फॉर्मेट से रिटायरमेंट की घोषणा कर दी। साल 2007 में टी20 और 2011 वनडे विश्व कप जीतने वाली टीम का हिस्सा रहे हरभनज ने कई यादागर मुकाबले खेले। उन्होंने अनेक ऐसे मौकों पर प्रदर्शन किया, जब टीम मुश्किल का सामना कर रही थी। हरभजन के संन्यास लेने पर लोग अपने-अपने अंदाज में प्रतिक्रिया दे रहे हैं। भारतीय टेस्ट टीम के कप्तान विराट कोहली और हेड कोच ने भी हरभजन के क्रिकेट को अलविदा कहने पर रिएक्ट किया है। दोनों ने स्पिनर को भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी हैं।
'ये कोई मामूली उपलब्धि नहीं है'
कोहली ने हरभजन के रिटायरमेंट पर उनके 711 अंतरराष्ट्रीय विकेट चटकाने के कारनामे को याद किया है। बता दें कि अनिल कुंबले के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भारत के लिए सबसे अधिक विकेट लेने वाले दूसरे गेंदबाज हरभजन हैं। बीसीसीआई द्वारा ट्विटर पर शेयर किए गए वीडियो में कोहली ने कहा, 'भज्जू पा को शानदार करियर के लिए बधाई। 711 अंतरराष्ट्रीय विकेट झटकना कोई मामूली उपलब्धि नहीं है। आपको अपनी इस बड़ी उपलब्धि पर गर्व हो सकता है। देश के लिए खेलना सौभाग्य की बात है लेकिन इतने लंबे समय तक खेलने की बात ही कुछ और है। जब मैं भारतीय टीम में आया तो आपने मुझे पूरी तरह सपोर्ट दिया। मैदान के बाहर हमारी अच्छी दोस्ती है। आपको जिंदगी की नई पारी शुरू करने के लिए शुभकामनाएं।'
यह भी पढ़ेंः हरभजन सिंह ने क्रिकेट को कहा अलविदा तो दिग्गजों ने इस तरह दी शुभकामनाएं
द्रविड़ ने हरभजन को लेकर कही ये बात
वहीं, राहुल द्रविड़ ने कहा, 'हरभजन के करियर में कई उतार-चढ़ाव आए लेकिन वह हमेशा उनसे जूझते हुए आगे निकल गए। एक शानदारकॉम्पिटीटर और एक बेहतरीन टीम मैन। वह ऐसे खिलाड़ी रहे, जिनके साथ आप मैदान पर चाहते हैं। वह भारत के के लिए महान परफॉर्मेर्स में से एक हैं।' इसके अलावा द्रविड़ ने हरभजन के करियर के 2001 के उस प्रदर्शन का जिक्र किया जब स्पिनर ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ केवल तीन टेस्ट मैचों में 32 विकेट हासिल किए थे।
द्रविड़ ने कहा कि हरभजन ने भारत के लिए अनिल कुंबले के साथ मिलकर कई मैच जीते। टीम इंडिया के हेड कोच ने कहा, 'वह कुंबले के एक बेहतरीन पार्टनर बने। दोनों ने कई बड़ी जीत दिलाईं। उनके साथ खेलना खुशी और सौभाग्य की बात है। भज्जी के करियर का हाईलाइट 32 विकेट था। उन्हें टीम से बाहर होने के बाद वापसी करते देखना यादगार रहा। उन्होंने कुंबले की गैरमौजूदगी में जिस तरह से आक्रमण किया, वो लाजवाब था।'