नई दिल्ली: एडीलेड से ब्रिसबेन तक बहुत कुछ बदल गया। छत्तीस रन पर सिमटने की शर्मिंदगी से गाबा का ‘किला फतह’ करने के बीच भारतीय क्रिकेट के युवा रणबांकुरों ने जज्बे, जीवट और जुझारूपन की नयी परिभाषा लिखी जिसे पूरी दुनिया ने सलाम किया । इस जीत ने भारतीय ड्रेसिंग रूम के समीकरण भी कुछ हद तक बदल दिये।
प्रतिकूल परिस्थितियों में भारत को आस्ट्रेलिया में टेस्ट श्रृंखला में ऐतिहासिक जीत दिलाने वाले अजिंक्य रहाणे को टेस्ट टीम का कप्तान बनाने की मांग भले ही उठ रही हो लेकिन हकीकत यह है कि निकट भविष्य में किसी प्रारूप में विराट कोहली की कप्तानी को खतरा नहीं है हालांकि इस ऐतिहासिक जीत के बाद ड्रेसिंग रूम में सीनियर खिलाड़ियों का कद जरूर बढ जायेगा।
कोहली एक महीने के पितृत्व अवकाश के बाद इंग्लैंड के खिलाफ श्रृंखला के जरिये टीम में वापसी करेंगे । जब कोहली आस्ट्रेलिया से रवाना हुए तब एडीलेड में 36 रन पर सिमटने की शर्मिंदगी झेल रहे भारतीयों के सिर शर्म से झुके थे लेकिन ब्रिसबेन तक आते-आते हालात पूरी तरह बदल गए। कोहली भले ही कप्तान होने के नाते सबसे आगे रहेंगे लेकिन नेतृत्व समूह में अब इन चार खिलाड़ियों का कद भी बराबरी का होगा। इन चार खिलाड़ियों का कद ड्रेसिंग रूम में बढ़ा है और उनकी बात को पहले से अधिक तवज्जो दी जायेगी ।
अजिंक्य रहाणे
मुंबई का यह बल्लेबाज भूला नहीं होगा कि 2018 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ श्रृंखला से कैसे उन्हें अंतिम एकादश से बाहर किया गया था। अब ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उन्होंने ऋषभ पंत और चेतेश्वर पुजारा के बाद सबसे ज्यादा रन बनाकर भारतीय क्रिकेट के इतिहास में कामयाब कप्तान के रूप में नाम दर्ज करा लिया।
रविचंद्रन अश्विन
अश्विन ने तीन मैचों में 12 विकेट लिये और स्टीव स्मिथ को खुलकर खेलने ही नहीं दिया । जल्दी ही 400 टेस्ट विकेट पूरे करने जा रहे अश्विन ने उस समय भी सीनियर खिलाड़ी की जिम्मेदारी बखूबी निभाई थी जब मोहम्मद सिराज को नस्लीय टिप्पणियों का शिकार होना पड़ा। अश्विन ने सिडनी में उस घटना के बाद कहा था, ‘‘जब सिराज ने हमें यह बताया तो मैने, रोहित और अजिंक्य ने फैसला किया कि मैच रैफरी के पास इसकी शिकायत की जाये।’’
चेतेश्वर पुजारा
चेतेश्वर पुजारा ने ब्रिसबेन टेस्ट में आस्ट्रेलिया के गेंदबाजों के दिये प्रहार झेले और यही वजह है कि कोच रवि शास्त्री ने उन्हें ‘ वारियर’ करार दिया। चेतेश्वर पुजारा कई बार चोट से जूझने के बाद भी लंबे समय तक पिच पर टिके रहे और तमाम आलोचनाओं के बावजूद अपने संयम से विरोधी गेंदबाजों का हौसला तोड़ा।
रोहित शर्मा
रोहित चार पारियों में से तीन में सहज दिखे और सलामी बल्लेबाज शुभमन गिल को उनकी मौजूदगी का काफी फायदा मिला । रोहित सीमित ओवरों के धुरंधर है लेकिन टेस्ट क्रिकेट की उनके लिये अहमियत का अनुमान इसी से हो जाता है कि दो टेस्ट खेलने के लिये वह सिडनी में कड़े पृथकवास में रहे । उन्होंने स्लिप में पांच कैच लपके और कई फैसलों में उनकी अहम भूमिका रही। अब टीम की अगली बैठक में इन चारों सीनियर खिलाड़ियों की भूमिका भी बराबरी की रहेगी और कप्तान को उनकी राय गंभीरता से सुननी होगी।