नई दिल्ली: वीरेंद्र सहवाग शुमार दुनिया के सबसे विस्फोट सलामी बल्लेबाजों में किया जाता है। उन्होंने अपने क्रिकेट करियर में एक से एक खतरनाक गेंदबाजों की धुनाई की। हालांकि, सहवाग ने भारत के लिए क्रिकेट करियर की शुरुआत बतौर मध्यक्रम बल्लेबाज की थी। उन्हें सलामी बल्लेबाज बनाने में पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली की अहम योगदान रहा। सहवाग ने खुद खुलासा किया है कि क्यों दादा ने उन्हें एक सलामी बल्लेबाज बनाया। इसके अलावा सहवाग ने यह भी बताया कि उन्होंने अपने कप्तान के प्रस्ताव को किस वजह से स्वीकार किया।
सहवाग ने अप्रैल 1999 में अजय जडेजा की कप्तानी में पाकिस्तान के खिलाफ वनडे मैच में भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू किया था। लेकिन वह गांगुली के नेतृत्व में एक बेहतरीन सलामी बल्लेबाज के रूप में निखरकर आए। गांगुल के इस पूर्व सलामी बल्लेबाज के अंतरराष्ट्रीय करियर को आकार देने में बहुत बड़ी भूमिका थी। सहवाग का कहना है कि कि गांगुली का उनमें यकीन और सपोर्ट ही था जिसने भारत के लिए ओपन करने का आत्मविश्वास पैदा किया।
सगवाग ने एक कॉलम में लिखा, 'मुझसे अक्सर यह सवाल पूछा जाता है: मैं मध्यक्रम के बल्लेबाज से सलामी बल्लेबाज कैसे बन गया? मेरे बतौर सलामी बल्लेबाज खेलने में दादा की एक बड़ी भूमिका थी। यह तब सब शुरू हुआ जब उन्होंने मुझे ओपन करने के लिए कहा। मेरी प्रतिक्रिया सरल थी: आप क्यों नहीं ओपन रहे जबकि आप ओपन करते हैं इसके अलावा सचिन भी ओपन करते हैं?
सहवाग ने लिखा, 'उन्होंने (गांगुली) मुझे समझाया कि ओपनर का स्थान खाली है। अगर मैं ओपन करता हूं तो मेरी टीम में जगह की गारंटी होगी। लेकिन अगर मैं ओपन नहीं करता और मध्यक्रम में बल्लेबाजी रहना चाहता हूं, तो उन्होंने समझाया मुझे किसी के घायल होने का इंतजार करना होगा। लेकिन जो बात मुझे आश्वस्त कर रही थी वह उनका बहुत ही व्यावहारिक सुझाव था। उन्होंने कहा, 'मैं तुम्हें बतौर सलामी बल्लेबाज तीन से चार पारियां दूंगा। अगर तुम असफल होते हो तो भी आप खेलना जारी रखेंगे। इसके अलावा मैं ड्रॉप करने से पहले तुम्हें मध्यक्रम में एक बार फिर मौका दूंगा।'
सहवाग को सलामी बल्लेबाज के रूप में आजमाने का गांगुली के फैसला भारतीय क्रिकेट के लिए बेहद कारगर रहा। सहवाग ने अपनी साख सबसे विस्फोटक ओनपर के तौर पर बनाई। सहवाग ने बतौर सलामी बल्लेबाज वनडे और टेस्ट मैचों में क्रमशः 7518 और 8586 रन बनाए। सहवाग ने कहा कि यह गांगुली का विश्वास ही था जिसने उन्हें यकीन दिलाया कि वह ओपन कर सकते हैं। उन्होंने लिखा, 'यह एक बहुत ही न्यायपूर्ण व्यवहार था। इसी तरह की स्पष्टता से एक खिलाड़ी अपने कप्तान पर भरोसा करता है। इससे मुझे बहुत आत्मविश्वास मिला। मुझे लगा दादा मुझे इतना सपोर्ट कर रहे हैं तो मुझे कोशिश करनी चाहिए। मैं आज जो कुछ भी हूं, यह उनकी वजह से है।'