- भारत और इंग्लैंड के बीच मैनचेस्टर में पांचवां टेस्ट रद्द हुआ
- ईसीबी ने पहले कहा कि भारत ने अपनी फोरफेइट की
- ईसीबी ने बाद में बयान बदला और बताया कि मैच रद्द हुआ है
नई दिल्ली: भारत और इंग्लैंड (IND vs ENG) के बीच मैनचेस्टर में शुक्रवार से शुरू होने वाला पांचवां व अंतिम टेस्ट मैच रद्द हो गया है। इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ECB) ने दो बार बयान जारी करके इस मैच के रद्द होने की पुष्टि की। ईसीबी ने पहली बार बयान जारी किया तो बताया कि भारत ने फोरफेइट करने की घोषणा की है। फिर इसे हटाया और दूसरा बयान जारी करके कहा कि यह मैच रद्द करने का फैसला किया गया है। इसके बाद से फैंस इस बात पर कंफ्यूज है कि पारी घोषित करने (Declare) और फोरफेइटर (Forfeiture) में क्या फर्क है। चलिए आपको बताते हैं कि दोनों में क्या फर्क है।
डिक्लेरेशन और फोरफेइटर क्रिकेट के नियमों के कानून 15 में शामिल है। यह तब ही लागू होता है जब दोनों टीमों को दो पारियों में बल्लेबाजी करनी हो। कानून 15 सीमित ओवर क्रिकेट में लागू नहीं होता। आमतौर पर जब कप्तान को महसूस होता है कि उसकी टीम ने पर्याप्त स्कोर बना लिया है और वह दूसरी टीम को मात दे सकता है तो पारी की घोषणा यानी डिक्लेयर करता है। वहीं फोरफेइट तब किया जाता है जब समय कम हो और मैच का नतीजा निकालना हो, तो इस नियम का उपयोग किया जाता है। यहां विस्तृत से दोनों बातों को समझे।
डिक्लेरेशन का मतलब
बल्लेबाजी टीम का कप्तान मैच के दौरान कभी भी पारी की घोषणा कर सकता है। आमतौर पर यह ऐसी स्थिति में होता कि जब कप्तान को लगे कि उसकी टीम ने पर्याप्त रन बना दिए हैं और वह मैच जीत सकता है, तो पारी का आगे नहीं बढ़ाने के लिए पारी की घोषणा करता है। ऐसा इसलिए ताकि विरोधी टीम के पास टेस्ट ड्रॉ कराने का मौका नहीं पड़े। रणनीतिक तरह से पारी घोषित करने का उपयोग अन्य स्थितियों में के लिए भी किया जाता है।
फ्रैंक मे ने मेरीलिबोन क्रिकेट क्लब की वार्षिक आम सभा में डिक्लेरेशन को प्रस्तावित किया था। 2 मई 1906 को दो दिवसीय मैच में कप्तान के पास अपनी पारी किसी भी समय घोषित करने की शक्ति हो, लेकिन इस तरह पारी की घोषणा पहले दिन स्टंप्स से एक घंटे और 40 मिनट पहले की अनुमति नहीं थी। बाद में इसमें सुधार किया गया। कप्तान पारी घोषित करने से पहले मैच के संतुलन पर ध्यान जरूर देता है।
फोरफेइटर क्या है
मौजूदा कानून में कप्तान अपनी टीम की किसी भी पारी को फोरफेइट कर सकता है। इसका मतलब पारी पूरी हो जाना है। यह आमतौर पर तब उपयोग में आता है जब मैच का नतीजा निकालना हो और दोनों पारियों में कप्तानों की सहमति हो। किसी भी टीम को मैच ड्रॉ कराने से ज्यादा अंक जीतने पर मिलते हैं। ऐसे में कप्तान जोखिम उठाकर विरोधी टीम को जीतने का मौका देता है ताकि बदले में उसे इसी तरह का मौका मिले। अगस्त 2020 में बारिश से बाधित डरहम और लेस्टरशायर के बीच मुकाबले में दोनों टीमों ने पारी फोरफेइट करने का फैसला किया था ताकि मैच का नतीजा निकस सके।
टेस्ट क्रिकेट में केवल एक पारी को फोरफेइट किया गया है। ऐसा 18 जनवरी 2000 को सेंचुरियन में दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड के बीच खेले गए पांचवें टेस्ट में हुआ था। दक्षिण अफ्रीका ने पहले टेस्ट में 2-0 की अजेय बढ़त बना रखी थी। दक्षिण अफ्रीका ने इस टेस्ट में पहले दिन 155 रन पर 6 विकेट का स्कोर बनाया। फिर अगले तीन दिन बारिश के कारण मैच नहीं हो पाया। यह मैच ड्रॉ होने की कगार पर था क्योंकि केवल एक ही दिन बचा था।
दक्षिण अफ्रीका के कप्तान हेंसी क्रोन्ये और इंग्लैंड के कप्तान नासिर हुसैन ने फैसला किया कि प्रोटियाज टीम 250 रन तक बल्लेबाजी करके पारी घोषित कर देगी। फिर दोनों टीमें ने एक पारी फोरफेइट कर दी। इंग्लैंड को जीत के लिए 251 रन का लक्ष्य मिला, जिसे उसने 8 विकेट खोकर हासिल कर लिया। इंग्लैंड की पहली पारी और दक्षिण अफ्रीका की दूसरी पारी 0 पर फोरफेइट हो गई। कई लोगों ने क्रोन्ये के फैसले की कड़ी आलोचना की थी कि इतने कम स्कोर का लक्ष्य क्यों रखा।
बाद में खुलासा हुआ कि क्रोन्ये से बुकमेकर ने संपर्क किया था और कहा कि मैच का नतीजा आना चाहिए।। नासिर हुसैन और इंग्लैंड टीम के बारे में इसका जरा भी अंदाजा नहीं था। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका की गुजारिश ऐसे ही मान ली थी।