- दिनेश कार्तिक ने विंडीज के खिलाफ पहले टी20 में खेली 19 गेंद में नाबाद 41 रन की आतिशी पारी
- टीम की जीत के बाद कार्तिक का चुना गया प्लेयर ऑफ द मैच
- कार्तिक ने बताया है कि फिनिशर बनना नहीं है आसान, बारीक पहलुओं पर रखना पड़ता है ध्यान
तारोबा: दिनेश कार्तिक ने शुक्रवार को वेस्टइंडीज के खिलाफ सीरीज के पहले टी20 में 19 गेंद में 41 रन की धमाकेदार पारी खेलकर टीम की 68 रन के अंकर से जीत में अहम भूमिका अदा की। मुश्किल पिच पर कार्तिक की इस धमाकेदार पारी की बदौलत भारतीय टीम 190 रन का स्कोर पहले बल्लेबाजी करते हुए खड़ा कर सकी। इसके बाद गेंदबाजों ने कहर बरपाते हुए कैरेबियाई टीम को 20 ओवर में 8 विकेट पर 122 रन पर रोक दिया और भारतीय टीम को सीरीज में 1-0 की बढ़त दिला दी।
37 वर्षीय दिनेश कार्तिक तीन साल बाद टीम इंडिया में वापसी करने के बाद धमाल मचा रहे हैं। वो फिनिशर की भूमिका बखूबी निभाते हुए टीम को संकट से उबार रहे हैं। शुक्रवार को रोहित शर्मा के आउट होने के बाद डीके बल्लेबाजी करने मैदान पर उतरे। उस वक्त स्कोर 14.5 ओवर में 5 विकेट पर 127 रन था। ऐसे में धीमी शुरुआत करने के बाद कार्तिक ने धमाल मचा दिया। वो 19 गेंद में 41 रन बनाकर नाबाद रहे। इस दौरान उन्होंने 4 चौके और 2 छक्के जड़े और टीम को 190 रन के स्कोर तक पहुंचा दिया। इस आतिशी पारी के लिए टीम की जीत के बाद कार्तिक को मैन ऑफ द मैच चुना गया।
पिच पर रुककर आ रही थी गेंद, आसान नहीं थी बल्लेबाजी
मैन ऑफ द मैच बनने के बाद दिनेश कार्तिक ने कहा, पिच पर गेंद थोड़ा रुककर आ रही थी। ये विकेट ऐसा नहीं था कि आप जहां पर जाते ही आसानी से रन बनाने लगें। पिच पर एक बार पैर जमाने के बाद आपको पिच की गति और किस तरह के शॉट्स खेलना है ये समझ में आ जाता है।
बतौर फिनिशर हर दिन नहीं कर सकते हैं कमाल
टीम इंडिया में मिली फिनिशर की भूमिका के बारे में कार्तिक ने कहा, मुझे इस भूमिका को अदा करने में मजा आ रहा है। यह बेहद रोचक भूमिका है। ऐसा नहीं है कि आप हर बार जाकर धमाल कर दें लेकिन कुछ दिन ऐसा हो सकता है कि आप टीम के लिए प्रभावशाली पारी खेल सके। लेकिन इसके लिए आपको कप्तान और कोच के समर्थन की जरूरत होती है और मुझे वो बहुत मिला है।
बतौर फिनिशर रहना होता है अन्य पहलुओं के बारे में सजग
जो युवा खिलाड़ी फिनिशर की भूमिका निभाना चाहते हैं उन्हें सीख देते हुए कार्तिक ने कहा, बतौर फिनिशर विकेट को परखना बेहद अहम है। किसी दिन जब आपको पारी के आखिरी तीन या चार ओवरों में बल्लेबाजी करनी होती है तब आपको खेल के अन्य पहलुओं के बारे में सजग रहना होता है जैसे कि गेंद का शेप कैसा है, गेंद कितनी मुलायम है, विकेट कैसा है ये सब जानने के बाद ही आपको निर्णय लेना होता है। इससे जुड़ी ये छोटी-छोटी और बारीक बातें हैं और ये खेल में अभ्यास के साथ ही आती है।