- विजय हजारे ट्रॉफी में झारखंड के खिलाफ खेली 154 गेंद में 203 रन की पारी
- पारी के दौरान जड़े 17 चौके और 12 छक्के, तोड़ा 44 साल पुराना विश्व रिकॉर्ड
- विजय हजारे ट्रॉफी में पांच मैच में जड़ चुके हैं तीन शतक
बेंगलुरू: हिंदी में एक कविता है 'कोशिश करने वाले की हार नहीं होती'। इस कविता की एक एक पंक्ति मुंबई की ओर से खेलने वाले 17 साल के युवा बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल पर शब्दश: सही साबित हो रही है। बुधवार को कर्नाटक अलूर में झारखंड के खिलाफ विजय हजारे ट्रॉफी में खेले गए मुकाबले में दोहरा शतक जड़कर इतिहास रच दिया। यशस्वी लिस्ट ए क्रिकेट में दोहरा शतक जड़ने वाले दुनिया के सबसे कम उम्र के बल्लेबाज बन गए हैं।
तोड़ा 44 साल पुराना रिकॉर्ड
यशस्वी से पहले लिस्ट क्रिकेट में सबसे कम उम्र में दोहरा शतक जड़ने का रिकॉर्ड दक्षिण अफ्रीका के घरेलू क्रिकेटर एलन बोरो के नाम दर्ज था। बोरो ने 44 साल पहले 20 साल 273 दिन की उम्र में दोहरा शतक जड़ा था।
मौजूदा सीजन में 100+ केऔसत से बना रहे हैं रन
झारखंड के खिलाफ उन्होंने 154 गेंद में 203 रन की पारी खेलकर बड़ा धमाका कर दिया। अपनी इस पारी में उन्होंने 17 चौके और 12 छक्के जड़े। मौजूदा सीजन में उन्हें पहली बार मुंबई की सीनियर टीम में शामिल किया गया। बांए हाथ से बल्लेबाजी करने वाले यशस्वी ने हाथ आए इस मौके को खाली नहीं जाने दिया। पांच मैच की पांच पारियों में पारी की शुरुआत करते हुए वो अब तक 101.2 की औसत से 506 रन बना चुके हैं। इस दौरान उनके बल्ले से 44, 113, 22, 122, 203 रन निकले हैं।
छत्तीसगढ़ के खिलाफ किया रणजी डेब्यू
छत्तीसगढ़ के खिलाफ उन्होंने पिछले साल रणजी डेब्यू किया था। इसके बाद इसी टीम के खिलाफ उन्हें विजय हजारे ट्रॉफी में भी डेब्यू करने का मौका मिला। इस मैच में तीन नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए उन्होंने 62 गेंद में 44 रन की पारी खेली थी। इसके बाद गोवा के खिलाफ अपने दूसरे ही मैच में उन्होंने शतक जड़ दिया। गोवा के खिलाफ उन्होंने 113 रन की पारी खेली और 1 विकेट भी हासिल किया। इसके बाद कर्नाटक के खिलाफ बेंगलुरू में वो नाकाम रहे और केवल 22 रन बना सके लेकिन झारखंड के खिलाफ धमाकेदार वापसी करते हुए दोहरा शतक जड़ दिया।
उत्तरप्रदेश की भदोही में रहता है परिवार
उत्तर प्रदेश के भदोही के छोटे से दुकानदार के बेटे यशस्वी ने 10 साल की उम्र में क्रिकेटर बनने का सपना देखा था। इसके बाद उन्होंने पिता से मुंबई में रहने वाले एक रिश्तेदार के यहां जाने की जिद की। पिता ने उसे नहीं रोका क्योंकि परिवार को पालना मुश्किल हो रहा था। मुंबई के वरली इलाके में रिश्तेदार के घर में इतनी जगह नहीं बन पाई कि वो वहां रह पाते ऐसे में इल शर्त पर डेरी में सोने की जगह मिली की वो वहां काम करेगा।
पहले डेरी में रहे फिर टेंट में गुजारे तीन साल
जब डेरी वाले ने देखा कि यशस्वी दिनभर क्रिकेट खेलता है और रात को थककर सो जाता है। ऐसे में उसने कुछ दिन बाद उसे बिना किसी काम का जानकर डेरी से बाहर निकाल दिया और नया ठिकाना ढूंढने को कहा। इसके बाद 11 साल का यशस्वीअपना झोला उठाकर मुंबई क्रिकेट की नर्सरी कहे जाने वाले आजाद मैदान पहुंच गया। वहां मुस्लिम यूनाइटेड क्लब में ग्राउंड्समैन के साथ रुकने का इंतजाम हो गया। तीन साल वो वहीं रहा। यहीं दिनभर क्रिकेट खेलता और रात में सो जाता। उन्होंने अपने संघर्ष की ये बात पिता के पास भदोही नहीं पहुंचने दी।
रामलीला के दौरान बेची पानीपूरी
पिता कभी कभी कुछ पैसे भेज देते थे इससे खर्च पूरा नहीं होता था इसलिए उन्होंने हर साल रामलीला के दौरान पानीपूरी बेची। पानीपूरी बेचने के दौरान वो ये सोचते कि उनके साथ क्रिकेट खेलने वाला कोई साथी वहा न आ जाए। लेकिन ऐसा कई बार हुआ और उसे पानीपूरी बेचने में शर्मिंदगी महसूस हुई। आजाद मैदान के टेंट में लाइट नहीं थी और वहां रोटी बनाने की जिम्मेदारी उनकी ही थी। ऐसे में हर रात मोमबत्ती की रोशनी और गर्मी में गुजरती थी।
कोच ज्वाला सिंह ने बदली तकदीर
12 साल की उम्र में गोरखपुर के रहने वाले कोच ज्वाला सिंह ने यशस्वी को मस्ती से तेज गेंदबाजी करते देखा। तब से वो उनके साथ जुड़ गए। उसके बाद पांच साल में यशस्वी ने मुंबई के जूनियर क्रिकेट सर्किट में धमाका कर दिया और 49 शतक जड़े। उन्होंने अंजुमन इस्लाम उर्दू स्कूल के लिए खेलते हुए एक मैच में नाबाद 319 रन बनाए और उसी मैच में 99 रन देकर 13 विकेट भी लिए। ये अपने आप में गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड है। इससे पहले और कोई क्रिकेटर एक मैच में तिहरा शतक जड़ने के साथ-साथ 10 या उससे ज्यादा विकेट लेने का कारनामा नहीं कर सका।
अंडर 19 टीम के लिए मिला मौका
यशस्वी भारत की अंडर 19 टीम के लिए खेल चुके और अपने प्रदर्शन से चयनकर्ताओं को प्रभावित कर चुके हैं। पिछले साल श्रीलंका दौरे पर दो चार दिवसीय मैच खेलने गई भारतीय टीम को सदस्य थे। उनके साथ टीम में सचिन तेंदुलकर के बेटे अर्जुन तेंदुलकर भी थे।