- रोहित शर्मा को हाल ही में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार के लिए चुना गया है
- पिछले चार साल में उनके धमाकेदार प्रदर्शन के लिए उन्हें ये पुरस्कार दिया जा रहा है
- साल 2013 में टीम इंडिया के लिए ओपनिंग शुरू करने के बाद पूरी तरह बदल गया रोहित का करियर
नई दिल्ली: सुनील गावस्कर को टेस्ट क्रिकेट इतिहास के सर्वकालिक और सर्वश्रेष्ठ ओपनर्स में से एक माना जाता है। उन्होंने उस दौर में 10 हजार टेस्ट रन बनाने का कारनामा कर दिखाया जब वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाजों की दुनियाभर में तूती बोलती थी। जिनके खिलाफ बल्लेबाजी करने में हर किसी के पैर कंपकपाते थे लेकिन गावस्कर ने अपने कौशल का लोहा मनवाते हुए बगैर हेलमेट पहने रनों का अंबार खड़ा कर दिखाया। आज भी लि
टिल मास्टर की उस जीवटता की तारीफ की जाती है।
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने के 33 साल बाद सुनील गावस्कर को अपने बल्लेबाजी के अंदाज में बदलाव की याद आई है। हाल ही में देश के सबसे बड़े खेल पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न हासिल करने वाले टीम इंडिया के सीमित ओवरों के उपकप्तान रोहित शर्मा की आक्रामकता की तारीफ करते हुए कहा है कि वो रोहित जैसा बल्लेबाज बनना चाहते थे।
ओपनिंग करने के बाद बदली रोहित की तकदीर
साल 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी से टीम इंडिया के लिए पारी की शुरुआत करने के बाद रोहित के करियर की कायापलट हो गई। उन्होंने इसके बाद करियर में पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार सफलता की सीढ़ियां चढ़ते गए। साल 2015 की शुरुआत के बाद से 97 वनडे पारियों में 62.36 के औसत से 95.44 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए। इस दौरान उन्होंने 24 शतक जड़े। इसमें से तीन दोहरे शतक है। वह वनडे क्रिकेट में तीन दोहरे शतक लगाने वाले दुनिया के एकलौते बल्लेबाज हैं। उनके नाम ही वनडे क्रिकेट में सबसे बड़ी पारी का वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज है।
शुरुआत से खेलना चाहता था बड़े शॉट्स
गावस्कर ने कहा, जिस तरह रोहित शर्मा वनडे में पारी की शुरुआत करते हैं और टेस्ट क्रिकेट में जिस तरह पहले ही ओवर से शॉट्स लगाने शुरू कर देते हैं। उसी तरह मैं भी खेलना चाहता था।' उन्होंने आगे कहा, हालांकि उस समय जिस तरह के हालात थे उसकी वजह से और मुझे खुद पर भी इतना आत्मविश्वास नहीं था कि मैं तेजी से रन बना सकूं। इसलिए मैंने कभी इस तरह की बल्लेबाजी नहीं की। हालांकि जब मैं देखता हूं कि अब बल्लेबाज ऐसा करते हैं तो मुझे बहुत खुशी होती है।'