- 1998 में शुरू हुआ था जॉनसन का अंतरराष्ट्रीय करियर 2000 में हुआ खत्म
- टीम को कोच के साथ विवाद और मतभेद ने खत्म कर दिया करियर
- साल 1999 में विश्व कप के दौरान दिखाया था अपना असली जौहर, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ लॉर्ड्स में जड़ा था शतक
नई दिल्ली: जिंबाब्वे के पूर्व ऑलराउंडर नील जॉनसन आज अपना 51वां जन्मदिन मना रहे हैं। 24 जनवरी 1970 को जिंबाब्वे की राजधानी हरारे(पुराना नाम सेलिसबरी) में जन्मे जॉनसन का परिवार मूल रूप से दक्षिण अफ्रीका का रहने वाला था और जिंबाब्वे आ गया था। इस धमाकेदार ऑलराउंडर का अंतरराष्ट्रीय करियर महज 2 साल का रहा लेकिन इतने कम समय में जॉनसन ने जिंबाब्वे क्रिकेट की तस्वीर बदलकर रख दी थी। 2 साल के अंतरराष्ट्रीय करियर में उन्होंने अपने खेल से ऐसी छाप छोड़ी की आज भी उन्हें एक बेहतरीन ऑलराउंडर के रूप में आज किया जाता है।
सचिन को बनाया था पहला टेस्ट शिकार
बांए हाथ के धमाकेदार बल्लेबाज और दांए हाथ के तेज गेंदबाज रहे जॉनसन ने साल 1998 में 7 अक्टूबर को हरारे में भारत के खिलाफ टेस्ट करियर का आगाज किया था। इस मैच में बल्ले से जॉनसन कोई कमाल नहीं दिखा पाए थे लेकिन गेंदबाजी के दौरान दोनों पारियों में सचिन तेंदुलकर को अपना शिकार बनाकर सुर्खियां जरूर बटोरी थीं। सचिन जॉनसन का पहला टेस्ट शिकार बने थे। इस मैच में जॉनसन ने कुल चार (पहली में एक और दूसरी पारी में तीन) विकेट विकेट हासिल किए। और अपनी टीम की 61 रन के अंतर से जीत में अहम योगदान दिया था।
ऐसा रहा अंतरराष्ट्रीय करियर
भारत के खिलाफ टेस्ट करियर का शानदार आगाज करने के बाद जॉनसन ने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार सफलता की सीढ़ियां चढ़ते गए। साल 1998 में आगाज करके साल 2000 के इंग्लैंड दौरे तक वो जिंबाब्वे की टीम के अभिन्न सदस्य थे। उन्होंने दो साल के दौरान जिंबाब्वे के लिए 13 टेस्ट और 48 वनडे मैच खेले। 13 टेस्ट में उन्होंने जहां बल्ले से 24.18 की औसत से 532 रन बनाए वहीं गेंदबाजी करते हुए 13 विकेट भी हासिल किए। उन्होंने टेस्ट करियर में एक शतक और चार अर्धशतक जड़े। जॉनसन ने अपने करियर का एकलौता टेस्ट शतक(107) पाकिस्तान के खिलाफ पेशावर में जड़ा था।
वहीं जिंबाब्वे के लिए वनडे क्रिकेट में तो वो अलग ही रूप में नर आए। दो साल में खेले 48 मैच की 48 पारी में बतौर ओपनर उन्होंने 36.50 की औसत से 1679 रन बनाए। इस दौरान उन्होंने 4 शतक और 11 अर्धशतक जड़े। उनका सर्वाधिक स्कोर नाबाद 132 रन रहा। वहीं गेंदबाजी में उन्होंने 48 वनडे की 39 पारी में 34.85 की औसत से 35 विकेट लिए।
विश्व कप 1999 में बिखेरी थी चमक
जॉनसन का सबसे धमाकेदार रूप 1999 में इंग्लैंड की मेजबानी में आयोजित आईसीसी विश्व कप में देखने को मिला। जिंबाब्वे के विश्व कप में शानदार प्रदर्शन में जॉनसन की अहम भूमिका थी। विश्व कप के दौरान ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर उन्होंने शानदार शतक जड़कर जॉनसन ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया था। विश्व कप 1999 के दौरान वो तीन बार मैन ऑफ द मैच चुने गए थे। दक्षिण अफ्रीका को विश्व कप में जिंब्बावे ने 48 रन से मात दी थी और जीत के हीरो जॉनसन रहे थे। उस मैच में उन्होंने 76 रन बनाने के अलावा 27 रन देकर 3 विकेट लिए थे।
बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों में जॉनसन निपुण थे लेकिन टेस्ट क्रिकेट में गेंदबाजी में वो अपनी छाप नहीं छोड़ पाए। वनडे में वो टीम के लिए बल्लेबाजी की शुरुआत करते थे जबकि टेस्ट क्रिकेट में मध्यक्रम में मोर्चा संभालते थे। गेंदबाजी के दौरान गेंद को बाहर निकालने की क्षमता उन्हें और घातक बनाती थी।
कोच डेव हॉटन के साथ विवाद ने खत्म कर दिया करियर
नील जॉनसन के लिए करियर में सबकुछ अच्छा चल रहा था लेकिन टीम के कोच डेव हॉटन के साथ उनकी नहीं जमी। इसके अलावा जिंबाब्वे क्रिकेट बोर्ड द्वारा दी जाने वाली कम फीस के कारण उन्होंने जिंबाब्वे से दक्षिण अफ्रीका लौटने के लिए मजबूर होना पड़ा। इस तरह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का एक चमकता सितारा अचानक सबकी नजरों से ओझल हो गया।
दक्षिण अफ्रीका में घरेलू और काउंटी क्रिकेट खेलकर खत्म किया करियर
दक्षिण अफ्रीका लौटने के बाद उन्होंने वहां डोमेस्टिक क्रिकेट खेलने लगे। इसके बाद वो इंग्लैंड में काउंटी क्रिकेट क्रिकेट खेलने चले गए। जहां हैंपशर और लीसेस्टरशर के लिए खेले। इन जगहों पर खेलते हुए जॉनसन ने रनों और विकेटों का अंबार लगा दिया। उन्होंने अपने प्रथम श्रेणी करियर में 161 मैच खेले और इस दौरान 11 शतक और 53 अर्धशतक की मदद से 7,569 रन बनाए और 230 विकेट भी लिए। वहीं लिस्ट ए करियर में उन्होंने 232 मैच खेल और इसमें 13 शतक और 40 अर्धशतक की मदद से 7,019 रन बनाए और 153 विकेट हासिल किए। साल 2009 में वो आखिरी बार प्रतिस्पर्धी क्रिकेट खेलते दिखाई दिए थे।