- रजत पाटीदार बुधवार को लखनऊ सुपर जायंट्स के खिलाफ शतक जड़कर रातोंरात बने स्टार
- लखनऊ के खिलाफ आरसीबी के लिए उन्होंने खेली 54 गेंद में 112 रन की नाबाद पारी
- मध्य प्रदेश के इंदौर के रहने वाले है रजत, 8 साल की उम्र में शुरू हुआ था क्रिकेट का सफर
इंदौर: महज 54 गेंदों में 12 चौकों और सात छक्कों के साथ नाबाद 112 रन, इंडियन प्रीमियर लीग के एलिमिनेटर मुकाबले में अपनी इस धुआंधार पारी से रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर (आरसीबी) को लखनऊ सुपर जाएंट्स के खिलाफ अहम जीत दिलाने वाले धाकड़ बल्लेबाज रजत पाटीदार सुर्खियों में हैं।
परिवार में है खुशी की लहर
उनके इंदौर निवासी परिवार का कहना है कि 28 वर्षीय क्रिकेटर की इस चमकीली कामयाबी की नींव में खेल के प्रति बचपन से गहरा समर्पण और अनुशासन है। रजत के पिता मनोहर पाटीदार मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले इस शहर के व्यस्त महारानी रोड बाजार में मोटरपंप का कारोबार करते हैं। उन्होंने बृहस्पतिवार को 'पीटीआई-भाषा’’ को बताया, 'हमें उम्मीद थी कि रजत आईपीएल के एलिमिनेटर मुकाबले में 50 रन तो बना ही लेगा। लेकिन उसने शतक के साथ नाबाद पारी खेलकर हमें सुखद अचंभे में डाल दिया।'
गौरतलब है कि आईपीएल मेगा नीलामी में बिक नहीं सके रजत वैकल्पिक खिलाड़ी के रूप में आरसीबी का हिस्सा बने और बुधवार रात की पारी ने उनकी तकदीर बदल दी है। मध्यप्रदेश के दायें हाथ के इस बल्लेबाज के पिता के मुताबिक उनके परिवार का क्रिकेट से जुड़ाव रजत के कारण ही हुआ। पाटीदार ने कहा, 'रजत बचपन से ही क्रिकेट का दीवाना था और खेल के प्रति उसका गहरा रुझान देखकर हमने उसे लगातार प्रोत्साहित किया।'
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8 साल की उम्र में थामा था बल्ला
उन्होंने बताया कि रजत केवल आठ साल की उम्र में इंदौर के एक क्रिकेट क्लब से जुड़ गए थे और 10 साल के होते-होते अपनी उम्र से बड़े लड़कों के साथ मैच खेलने लगे थे। पाटीदार याद करते हैं, 'स्कूल का समय छोड़ दिया जाए, तो घर से क्लब और क्लब से घर-बचपन में हर मौसम में रजत की यही दिनचर्या होती थी। उसके दोस्त-यार भी गिने-चुने ही रहे। वह बचपन से अनुशासन का पक्का है।'
12वीं तक ही कर सके हैं पढ़ाई
पाटीदार ने बताया कि क्रिकेट की व्यस्तताओं के चलते रजत केवल 12वीं तक पढ़ सके। उन्होंने बताया, 'मैंने रजत का दाखिला एक स्थानीय महाविद्यालय में कराया, लेकिन परीक्षाओं के दौरान दूसरे शहरों में रणजी ट्रॉफी टूर्नामेंट व अन्य अहम क्रिकेट स्पधाएं पड़ने के कारण वह पर्चे नहीं दे सका। क्रिकेट में उसका अच्छा प्रदर्शन देखकर मैंने भी उसकी महाविद्यालयीन पढ़ाई पर ज्यादा जोर नहीं दिया।'
रजत को दबावमुक्त रखता है परिवार
पाटीदार ने कहा कि उनके बेटे की क्रिकेट प्रतिभा ईश्वर की देन है और वह अपने तरीके से खेल का आनंद लेता है। उन्होंने कहा, 'हम लोग बेहद सामान्य तरीके से जीवन जीते हैं और रजत को अच्छे प्रदर्शन के दबाव से हमेशा मुक्त रखते हैं। अगर किसी मैच में वह जल्दी आउट भी हो जाता है, तो मैं उससे कहता हूं कि चिंता की कोई बात नहीं है क्योंकि उसे अगला मौका जल्द मिलेगा।'