लखनऊ: पिछले 12 साल में इंडियन प्रीमियर लीग में कई भूमिकाओं में नजर आ चुके टीम इंडिया के पूर्व कप्तान और एनसीए के वर्तमान निदेशक राहुल द्रविड़ ने एक मामले में नाखुशी जताई है। आईपीएल में भारतीय कोचों के लिये मौकों के अभाव पर निराशा जताते हुए राहुल द्रविड़ ने कहा है कि उन्हें सपोर्ट स्टाफ के रूप में शामिल नहीं करके टीमें बड़ी गलती कर रही हैं ।
टीम इंडिया के पूर्व कप्तान ने कहा, भारतीय कोच किसी से कम नहीं हैं। मेरा मानना है कि हमारे पास कुछ बेहतरीन कोच हैं। मुझे उनकी काबिलियत पर पूरा भरोसा है। हमारे पास क्रिकेट में काफी प्रतिभा है और कोचों में भी। हमें उन्हें आत्मविश्वास देने की जरूरत है । मुझे दुख होता है कि हमारे कई कोचों को आईपीएल में सहायक कोच के रूप में काम करने का मौका नहीं मिलता।'
हाल के दिनों में यह देखने में आया है कि भारत का दौरा करने वाले टीमें पूर्व भारतीय खिलाड़ियों को कंसल्टेंट के रूप में टीम के साथ जोड़ रही हैं। ऑस्ट्रेलिया ने जहां एस श्रीराम को अपने साथ जोड़ा था। वहीं दक्षिण अफ्रीका जैसी दिग्गज टीम ने अमोल मजूमदार जैसे पूर्व घरेलू क्रिकेट दिग्गज की बैटिंग कंसल्टेंट के रूप में मदद ली। द्रविड़ ने कहा, भारतीय टीम का सपोर्ट स्टाफ पिछले कुछ सालों से विशुद्ध भारतीय ही है और वो शानदार काम कर रहे हैं। हालांकि आईपीएल टीमों के बारे में मैं निर्णय नहीं ले सकता लेकिन मुझे लगता है कि आईपीएल में हमें इस स्तर( भारतीय कोचों की आईपीएल में भूमिक सुनिश्चित करने) पर चूक हो गई।
उन्होंने आगे कहा, 'आईपीएल की सभी टीमों में 17-18 भारतीय खिलाड़ी होते हैं। इन भारतीय खिलाड़ियों को स्थानीय कोच के टीम में रहने से फायदा मिलता। वे भारतीय खिलाड़ियों को बेहतर समझ सकते हैं। द्रविड़ ने कहा, मेरा व्यक्तिगत तौर पर मानना है कि घरेलू कोचों को आईपीएल में मौका मिले। उन्हें सपोर्ट स्टाफ और अन्य भूमिकाओं में देखकर मुझे खुशी होगी। हालांकि हम टीमों के साथ इस बारे में सुधार के लिए चर्चा करेंगे।'
एनसीए के निदेशक के रूप में द्रविड़ कोचों की मदद करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, हमने हाल ही में सुजीथ को हेड ऑफ एजुकेशन के रूप में अपने साथ जोड़ा है। हमारे एक कार्यक्रम का उद्देश्य कोचों को भी प्रशिक्षित करना है और उन्हें कुछ विशिष्ट तरीके के कौशल का प्रशिक्षण देना है। जिससे कि उन्हें और ऊंचे स्तर पर काम करने का मौका मिल सके। मेरा मामना है कि आईपीएल टीमों ने स्थानीय कोचों को अपने साथ नहीं जोड़कर अपने साथ घरेलू क्रिकेट के प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की पहचान करने और टीम से जोड़ने का मौका गंवाया है।