- दिल्ली कैपिटल्स को 91 रन के बड़े अंतर से मात देकर चेन्नई ने दर्ज की चौथी जीत
- अंतिम तीन मैच जीतने के बाद प्लेऑफ में पहुंचने की संभावना रहेगी बरकररार
- इस बारे मे बोले एमएस धोनी, ये सब बातें बढ़ाती हैं दबाव
मुंबई: एमएस धोनी के दोबारा से चेन्नई सुपर किंग्स की कमान संभालते ही टीम का चाल चरित्र और चेहरा पूरी तरह बदल गया है। धोनी की कप्तानी में टीम अधिक आत्मविश्वास के साथ खेलती नजर आ रही है जिसका परिणाम जीत के रूप में मिल रहा है। रविवार को चेन्नई ने दिल्ली कैपिटल्स को 91 रन के बड़े अंतर से मात देकर सीजन की चौथी जीत दर्ज की और पॉजिटिव नेट रन रेट के साथ अंक तालिका में आठवें स्थान पर कब्जा कर लिया।
आखिरी तीन मैच में जीत खोलेगी प्लेऑफ के दरवाजे?
चेन्नई के खाते में अब 11 मैच में 4 जीत के साथ कुल 8 अंक हो गए हैं। अगर वो अपने बाकी बचे तीन मैच भी बड़े अंतर से जीतने में सफल हुई तो उसकी प्लेऑफ में पहुंचने की संभावना बची हुई है। ऐसे में जब इस बारे में दिल्ली के खिलाफ जीत के बाद धोनी से पूछा गया तो धोनी ने इन समीकरणों को सिरे से नकारते हुए कहा, एक मैच को एक बार में लेना ही सही है। मैं गणित में कमजोर हूं, स्कूल के दिनों में भी अच्छा नहीं था। आप अपनी तकदीर खुद लिखते हैं और इसके लिए आपको हमेशा अपना सर्वश्रेष्ठ देना होता है।
समीकरणों में फंसकर नहीं बढ़ाना चाहते हैं दबाव
धोनी ने टीम के प्ले ऑफ में पहुंचने की संभावनाओं के बारे में आगे कहा, इस बारे में सोचने की कोई जरूरत नहीं है कि ये टीम उस टीम को हरा देगी तो ऐसा होगा, इससे और दबाव बढ़ेगा। आप अपने गेम प्लान के साथ मैदान में जाइए उसपर अमल करिए और जीत दर्ज करिए। बाकी बचे आईपीएल का लुत्फ उठाइए। हम अपने ऊपर दवाब नहीं बढ़ाना चाहते हैं कि दो टीमें खेल रही हैं और तब भी आप दबाव में हैं। आईपीएल का मजा लीजिए।
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प्लेऑफ में नहीं पहुंचेंगे तो खत्म नहीं होगी दुनिया
धोनी ने आगे कहा, अगर आप प्लेऑफ में पहुंचते हैं तो ठीक है। सबसे अहम है कि आप बाकी बचे तीन मैचों से कितना फायदा उठा सकते हैं। कौन सा टीम कॉम्बिनेशन कारगर है किस खिलाड़ी को कहां खिलाना है। अगले सीजन की तैयारी शुरू कीजिए। इस बार अगर इस बार प्लेऑफ में पहुंचते हैं तो ठीक है, ऐसा नहीं होगा तो दुनिया खत्म नहीं हो जाएगी।
बड़ी जीत होती है हमेशा मददगार
दिल्ली के खिलाफ बड़े अंतर से जीत के बारे में धोनी ने कहा, बड़े अंतर से मिली जीत हमेशा मददगार होती है। अगर ये जीत पहले मिलती तो और बेहतर होता लेकिन अभी भी देर नहीं हुई है। लेकिन ये मैच हमारे लिए परफेक्ट था, पता नहीं कितनी बार ऐसा कहने की स्थिति में होते हैं। आज बल्लेबाजों ने अच्छा प्रदर्शन किया। मैं भी टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करना चाहता था लेकिन दिल कह रहा था कि अगर आप टॉस हार भी जाते हैं तो कोई बात नहीं। क्योंकि यहां जब हम पिछला मैच खेले थे तो गेंद दूसरी पारी में भी थोड़ा रुककर आ रही थी। ये पिच 12-13 ओवर बाद ही बेहतर होती है। इसका मलतब आपको थोड़ी समझदारी से बल्लेबाजी करनी होगी।
बड़े शॉट खेलने वाले खिलाड़ियों को रोकना था अहम
धोनी ने टीम के बल्लेबाजों की तारीफ करते हुए कहा, आज हमारे बल्लेबाजों ने हमें वो अतिरिक्त रन दिए, जिस तरह से ओपनर्स ने बल्लेबाजी की और इसके बाद सभी ने अपना थोड़ा थोड़ा योगदान दिया। स्कोर बोर्ड पर इतने रन हमेशा मददगार होते हैं। लेकिन ये बात सुनिश्चित करनी होती है कि बड़े शॉट्स खेलने वाले खिलाड़ी आपके खिलाफ हल्ला ना बोल दें। ऐसे में कोई फर्क नहीं पड़ता है कि स्कोर 200 है या 210, एक बार वो शुरू हो गए तो आप मैच नहीं बचा सकते।
मुकेश चौधरी और सिमरजीत हैं प्रतिभाशाली
टीम के युवा तेज गेंदबाजों सिमरजीत और मुकेश चौधरी की तारीफ करते हुए धोनी ने कहा, दोनों को परिपक्व होने में वक्त लगा। यह हर खिलाड़ी के लिए अलग-अलग होता है। कुछ ऐसे होते हैं जो पहले ही मैच से अच्छा प्रदर्शन करने लगते हैं और कुछ को दो-तीन या सात से 10 मैच का भी वक्त लगता है। सबसे अच्छी बात है कि दोनों के अंदर अच्छा करने की क्षमता है। जितना अधिक वो खेलेंगे उनकी मैच को लेकर समझ उतनी बढ़ेगी। जो कि सबसे अहम है।'
कौन सी अच्छी गेंद नहीं फेंकना है यह जानना है अहम
धोनी ने आगे कहा, आपके अंदर प्रतिभा और आपकी गेंदबाजी में वेरिएशन है। लेकिन अंतत: क्या जरूरी है स्थिति को पढ़ना, कौन सी अच्छी गेंद फेंकनी है और कौन सी अच्छी गेंद नहीं फेंकनी है। टी20 मैचों में अकसर ये जानना जरूरी होता है कि कौन सी अच्छी गेंद नहीं डालनी है। अगर आपकी अच्छी गेंद पर रन जाते हैं तो आपके ऊपर अतिरिक्त दवाब पड़ता है। जो कि अंतत: आपके आत्मविश्वास पर असर डालता है।
पसंद नहीं है पहली गेंद से हमला
दूसरी गेंद पर धोनी ने बड़ा शॉट खेला इसके बारे में उन्होंने कहा, पहली गेंद पर यह देखना था कि पिच में क्या हो रहा है। मैं पहली गेंद से आक्रमण करना पसंद नहीं करता हूं। अगर आप 13-14वें ओवर में बल्लेबाजी के लिए जाते हैं तो आप गेंद का पेस और बाउंस देखते हैं, लेकिन आखिरी के ओवरों में जब केवल 12 गेंद बची होती हैं तब आप पहली गेंद से ही ऊपर उठाकर शॉट खेलना चाहते हैं और छक्का मारना चाहते हैं। इससे बल्लेबाज के ऊपर दबाव बढ़ता है।
इस जगह कमजोर साबित हुई टीम
मुझे लगता है कि यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां हमने एक टीम के रूप में इस बार अच्छा नहीं किया है। अगर 12-13 गेंद बची है और हम 2 गेंद में 8 या 6 रन बनाते हैं। सभी खिलाड़ियों के रनों को अगर एक साथ जोड़ा जाए तो एक बड़ा स्कोर खड़ा होता है। लेकिन आप कुछ गेंद खेलते हैं और 2 या 4 गेंद में 3 रन बनाते हैं तो इससे दबाव बढ़ता है।