- 15 साल की उम्र में क्रिकेटर बनने के लिए छोड़ दिया था घर
- सुल्तानपुर से कानपुर, कानपुर से दिल्ली, दिल्ली से शहडोल, शहडोल से भोपाल, भोपाल से मुंबई ऐसा रहा है सफर
- स्पिनर अरशद खान के चोटिल होने के बाद मुंबई इंडियन्स ने किया टीम में शामिल
Kumar Kartikeya Singh: मुंबई सपनों की नगरी है ये बात लोगों को फिल्मी जरूर लगे लेकिन यह कई लोगों के जीवन की हकीकत है। कई नामी लोगों को फर्श से अर्श पर पहुंचाने में मायानगरी की अहम भूमिका रही है लेकिन उनकी सफलता के पीछे कड़ी मेहनत और संघर्ष भी रहा है। ऐसा ही एक खिलाड़ी है जिसके सपनों को हाल ही में मुंबई इंडियन्स ने उड़ान दी है। वो खिलाड़ी है बांए हाथ का मिस्ट्री स्पिनर कुमार कार्तिकेय सिंह।
क्रिकेटर बनने के सपना लेकर आए दिल्ली
उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के कुवांसी के रहने वाले 24 वर्षीय कार्तिकेय सिंह के पिता उत्तर प्रदेश के सशस्त्र सेना बल पीएसी में सिपाही हैं। 9 साल पहले क्रिकेटर बनने का जुनून उन्हें कानपुर से दिल्ली ले आया। वो इस वादे के साथ घर से दिल्ली आए थे कि पिता के ऊपर किसी तरह का आर्थिक बोझ नहीं डालेंगे और जबतक सफल नहीं होंगे घर वापस नहीं लौटेंगे। दिल्ली में उनका एक दोस्त राधेश्याम था जो क्रिकेट खेलता था। उसने उन्हें डीडीसीए लीग में खेलने का मौका दिलाने की पुरजोर कोशिश की लेकिन मोटी फीस उनके रास्ते का कांटा बन गई।
संजय भारद्वाज जिनकी देखरेख में आज कार्तिकेय इस बड़े मुकाम तक पहुंचे हैं जब उनकी अकादमी का उन्होंने और उनके दोस्त राधेश्याम ने दरवाजा खटखटाया तो वहां उनके हाथ निराशा नहीं लगी। कार्तिकेय को कोच संजय भारद्वाज के सामने अपना हुनर दिखाने का मौका मिल गया। कार्तिकेय की दो गेंद देखकर ही संजय भारद्वाज ने उन्हें मौका देने का फैसला कर लिया। उनका स्मूथ एक्शन और उंगलियों का इस्तेमाल संजय को भा गया था।
एक साल की फैक्ट्री में मजदूरी, कई किमी चलते थे पैदल
भारद्वाज की अकादमी में मौका मिलने के बाद कार्तिकेय के सामने रहने-खाने की समस्या आ खड़ी हुई जिसका समाधान उन्हें खुद करना था। इसके लिए उन्होंने गाजियाबाद के करीब मसूरी स्थित एक फैक्ट्री में मजदूरी का काम शुरू कर दिया। रहने की भी वहीं जगह मिल गई। ऐसे में रात को मजदूरी करने के बाद कार्तिकेय सुबह अभ्यास के लिए अकदमी पहुंचते। वो इस दौरान कई किलोमीटर पैदल सिर्फ इसलिए चलते थे क्योंकि इससे 10 रुपये बचेंगे उससे वो बिस्किट खा लेंगे।
एक साल नहीं खाया दोपहर में खाना
जब कोच ने कार्तिकेय से पूछा कि रोज इतना लंबा सफर क्यों करते हो तो उन्होंने उनसे अपनी कहानी बताई। ऐसे में उन्होंने अकादमी में ही कुक के साथ रहने की उन्हें अनुमति दे दी। पहले दिन जब वो कुक के साथ रहे और दोपहर में कुक ने उन्हें खाना दिया तो वो रो पड़े क्योंकि एक साल तक उन्होंने दोपहर का खाना नहीं खाया था। रात को खाते और काम करते और दिन में बिस्किट खाकर गेंदबाजी का अभ्यास करते थे।
भारद्वाज ने भेजा मध्यप्रदेश के शहडोल
गौतम गंभीर के कोच रहे संजय भारद्वाज ने कार्तिकेय का दाखिला दिल्ली के एक स्कूल में करा दिया था। दिल्ली की स्कूल क्रिकेट में धमाल मचाने के बाद कार्तिकेय को स्कूल नेशनल में खेलने का मौका मिला। डीडीसीएस लीग में भी उन्होंने 45 विकेट चटकाए लेकिन उन्हें 200 खिलाड़ियों में भी नहीं रखा गया। ऐसे में उन्होंने कार्तिकेय को मध्यप्रदेश के शहडोल में अपने एक दोस्त की अकादमी में भेज दिया। मध्यप्रदेश के शहडोल में उन्होंने डिवीजन क्रिकेट खेलते हुए हर साल 50-50 विकेट लिए और मध्यप्रदेश की टीम में एंट्री का रास्ता तैयार कर लिया।
नवंबर 2018 में किया मध्यप्रदेश के लिए रणजी डेब्यू
मध्यप्रदेश के ट्रायल मैचों में कार्तिकेय ने धमाल मचा दिया और हर पारी में पांच विकेट लिए। नवंबर 2018 में उन्हें मध्यप्रदेश की अंडर-19 टीम में चुना गया और इसके बाद जल्दी ही उन्हें रणजी डेब्यू का मौका भी मिल गया। रणजी डेब्यू के दिन कार्तिकेय की पिता से पहली और आखिरी बार बात हुई थी। चार साल से दोनों के बीच कोई बातचीत नहीं हुई है। वर्तमान में कार्तिकेय भोपाल के स्पोर्ट्स हॉस्टल में रहते हैं। मध्य प्रदेश के लिए अबतक खेले 9 प्रथम श्रेणी, 19 लिस्ट ए और 8 टी20 मैच में वो क्रमशः 35, 18 और 9 विकेट हासिल कर चुके हैं।
आईपीएल में मुंबई की टीम में हुए शामिल
स्पिनर अरशद खान के चोटिल होने के बाद मुंबई इंडियन्स ने कुमार कार्तिकेय को बीच सीजन टीम में शामिल किया। नीलामी से पहले मुंबई इंडियन्स ने कार्तिकेय को ट्रायल्स के लिए बुलाया था लेकिन नीलामी में मौका नहीं मिल सका। 20 लाख रुपये की कीमत पर मुंबई ने उन्हें अपनी टीम में जगह दी। कार्तिकेय ने राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ अपने डेब्यू मैच में धमाल मचाया और 4 ओवर में 19 रन देकर संजू सैमसन का विकेट हासिल किया। उस मैच में मुंबई ने सीजन की पहली जीत हासिल की और कार्तिकेय की गेंदबाजी की जमकर तारीफ हुई।
टी20 में सफलता के लिए किया बदलाव
छह महीने पहले तक कार्तिकेय एक फिंगर स्पिनर थे लेकिन उन्होंने टी20 क्रिकेट में सफल होने के लिए खुद को एक रिस्ट स्पिनर भी बना लिया। आज उनके पास लेग स्पिन, ऑफ स्पिन और कैरम बॉल फेंकने की कला है। जिसके बल पर वो विरोधी बल्लेबाजों को छकाने में सफल रहे हैं। आने वाले दिनों में वो सफलता के नए अध्याय लिखते दिखेंगे।