- रविचंद्रन अश्विन की कोलकाता नाइट राइडर्स के कप्तान इयोन मोर्गन के साथ हुई थी भिड़ंत
- अश्विन ने अब ट्वीट करके मोर्गन और टिम साउदी पर पलटवार किया है
- उन्होंने मोर्गन से नैतिकता का पाठ पढ़ाना बंद करने की बात कही है
दुबई: आईपीएल के मैच में अतिरिक्त रन को लेकर मैदान पर विवाद के बाद भड़के रविचंद्रन अश्विन ने गुरूवार को इयोन मोर्गन और टिम साउदी से 'अपमानजनक शब्दों' का इस्तेमाल नहीं करने और उन्हें नैतिकता का पाठ पढाने से बाज आने के लिये कहा।
दिल्ली कैपिटल्स और कोलकाता नाइट राइडर्स के बीच मंगलवार को आईपीएल के मैच के दौरान डीप से राहुल त्रिपाठी के थ्रो पर गेंद दूसरे बल्लेबाज ऋषभ पंत से टकराकर निकल गई जिस पर अश्विन ने अतिरिक्त रन लेने का प्रयास किया। इस पर मोर्गन और अश्विन की बहस भी हो गई थी।
मोर्गन ने अश्विन पर खेलभावना का पालन नहीं करने का आरोप लगाया जबकि एमसीसी के नियमों के तहत बल्लेबाज के शरीर से लगकर गेंद जाने के बाद रन लेना अवैध नहीं है। विश्व कप 2019 फाइनल में भी बेन स्टोक्स के बल्ले से टकराकर गेंद गई थी तो इंग्लैंड को चार रन मिले थे जिसे अंपायरों ने ओवरथ्रो करार दिया और इंग्लैंड ने मैच जीता था। इसके बाद अश्विन के आउट होने पर तेज गेंदबाज साउदी ने कहा, 'बेईमानी करने पर यही होता है।'
दोबारा करूंगा वैसा अगर मिलेगा मौका
अश्विन ने सिलसिलेवार ट्वीट करके साफ तौर पर कहा कि अगर दोबारा गेंद बल्लेबाज से टकराकर जायेगी तो वह फिर रन लेंगे। उन्होंने कहा, 'मैंने फील्डर का थ्रो देखा और रन भागना चाहा। उस समय मैंने नहीं देखा था कि गेंद रिषभ को लगी है। यदि देखा होता तो भी भागता क्योंकि नियमों में यह मान्य है। मोर्गन के अनुसार मैंने नियमों का पालन नहीं किया लेकिन यह गलत है।'
अपने हिसाब से बनाते हैं सही-गलत के नियम
उन्होंने कहा , 'मैंने लड़ाई नहीं की बल्कि अपना बचाव किया। मेरे शिक्षकों और माता-पिता ने मुझे यही सिखाया है और अपने बच्चों को भी आप खुद के लिये खड़े होना सिखाइये।' उन्होंने कहा, 'मोर्गन और साउदी अपने अनुसार नियम बनाते हैं कि क्या सही है और क्या गलत। उन्हें दूसरों को नैतिकता का पाठ पढाने और अपमानजनक शब्दों के इस्तेमाल का हक नहीं है।'
अश्विन ने बताया क्या होती है खेल भावना
अश्विन ने कहा, 'मैं इससे ज्यादा हैरान इस बात से हूं कि लोग इस पर बहस कर रहे हैं और यह जताने की कोशिश कर रहे हैं कि कौन अच्छा है और कौन बुरा। मैं सिर्फ इतना समझता हूं कि मैदान पर अपना सब कुछ दे दो और नियमों के भीतर खेलो। इसके बाद खेल खत्म होने पर हाथ मिला लो और यही खेलभावना मेरी समझ में आती है।'