- कप्तान के रूप में विराट कोहली का आईपीएल करियर हुआ खत्म
- दुनिया भर से तमाम फैंस और दिग्गजों ने विराट कोहली पर अपनी प्रतिक्रिया दी
- महान पूर्व भारतीय क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने भी विराट के कप्तानी आईपीएल करियर पर बयान दिया
पूर्व दिग्गज सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) ने कहा कि इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) का खिताब नहीं जीतने के बाद भी विराट कोहली (Virat Kohli) ने रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) को उस तरह की पहचान दिलाई है जो बहुत कम क्रिकेटर अपनी फ्रेंचाइजी टीम को दिला सकें हैं। कप्तान के तौर पर आरसीबी के लिए आईपीएल खिताब जीतने का कोहली का सपना सोमवार को कोलकाता नाइट राइडर्स के साथ एलिमिनेटर मुकाबले में हार के साथ खत्म हो गया। वह पहले ही घोषणा कर चुके है कि अब इस टीम की कप्तानी नहीं करेंगे।
भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज गावस्कर ने कहा कि सभी चीजें उस तरह से नहीं होती जैसे खिलाड़ी चाहते हैं। गावस्कर ने ‘स्टार स्पोर्ट्स’ से कहा, ‘‘ उन्होंने आरसीबी को उस तरह की मान्यता और ब्रांड पहचान दिलाई है जो बहुत कम क्रिकेटरों ने अपनी फ्रेंचाइजी को दी है।’’ भारत के इस पूर्व कप्तान ने आरसीबी के कप्तान के तौर पर कोहली के आखिरी मैच की तुलना डोनल्ड ब्रैडमैन और सचिन तेंदुलकर की विदाई से की।
उन्होंने कहा, ‘‘हर कोई चीजों को शीर्ष पर खत्म करना चाहता है। ये चीजें हमेशा आपके या प्रशंसकों की इच्छा के अनुसार नहीं होती हैं। देखिए सर डॉन ब्रैडमैन के साथ क्या हुआ। उनकी आखिरी पारी में सिर्फ चार रन चाहिए थे और वह एक शून्य पर आउट हो गए। सचिन तेंदुलकर शतक के साथ समाप्त करना चाहते थे, उन्होंने मुंबई में अपने 200वें टेस्ट में 79 (तेंदुलकर ने 74 रन बनाए थे) रन बनाए।’’
आईपीएल ट्रॉफी जीतने में कोहली की विफलता के बारे में गावस्कर ने कहा कि कोहली का टीम पर हमेशा प्रभाव रहा है। उन्होंने 2016 सत्र का भी जिक्र किया जब उन्होंने इस लीग में 1000 के करीब रन बनाए थे। उन्होंने कहा, ‘‘चीजें आपके मुताबिक नहीं होते लेकिन एक साल था जब उन्होंने 973 रन बनाए, 1000 रन से 27 रन कम। किसी ने भी ऐसा नहीं किया, इस लीग में कोई भी कभी भी 1000 रन बनाने जैसे स्थिति में नहीं दिखा।’’
कोहली 2013 में टीम के कप्तान बने थे और उनके नेतृत्व में आरसीबी चार बार प्लेऑफ में पहुंचने में सफल रही। इसमें पिछले दो सत्र के अलावा टीम 2016 में फाइनल में पहुंची थी। कोहली की कप्तानी में टीम ने 140 मैच खेले, जिसमें से उसे 66 में सफलता मिली। इस दौरान टीम को 70 मैचों में हार का सामना करना पड़ा जबकि चार मैचों का नतीजा नहीं निकला।