मुंबई: यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत एक स्पेशल कोर्ट ने एक 60 वर्षीय महिला को अपने बेटे के खिलाफ खड़े होने के लिए सराहना की। उसने कहा कि मेरे बेटे ने अपनी नाबालिग बेटी के साथ बलात्कार किया उसे दंडित किया जाए। मुंबई की स्पेशल कोर्ट ने नाबालिग बेटी से दुष्कर्म के मामले में आरोपी को 25 साल कैद की सजा सुनाई है। आरोपी को सजा सुनाते हुए अदालत ने कहा, 'न्याय मांगने के लिए पीड़िता की दादी की सराहना की जानी चाहिए, भले ही उसे इतनी उम्र में आरोपी के बच्चों की देखभाल करने की जरूरत होगी।
स्पेशल POCSO अदालत ने सोमवार को 37 साल के एक व्यक्ति को अपनी नाबालिग बेटी के साथ वर्ष 2020 और वर्ष 2021 में कई बार बलात्कार करने के लिए 25 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई। कोर्ट ने माना कि अपनी ही बेटी के जीवन को सुरक्षित बनाने वाले पिता ने खुद उसे अथाह पीड़ा दी। स्पेशल POCSO जज भारती काले ने दोषी के प्रति कोई नरमी दिखाने से इनकार करते हुए कहा कि अपराध जघन्य था और इसने जीवन के ताने-बाने को प्रभावित किया।
कोर्ट ने कहा कि पीड़िता को उसके अपने ही पिता ने यौन उत्पीड़न का शिकार बनाया। जब वह केवल 13 वर्ष की थी। एक पिता सुरक्षा, विश्वास और प्रेम की नींव रखता है। एक पिता अपनी बेटी के जीवन को सुरक्षित बनाता है और उसे किसी दुख, पीड़ा, नुकसाना से बचाता है। लेकिन पीड़िता के पिता ने खुद उसे अथाह पीड़ा दी है। बचपन का आघात पीड़िता को प्रभावित करने के लिए बाध्य है।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, 13 वर्षीय लड़की अपने दादा-दादी, चाचा, पिता और दो छोटे भाई-बहनों के साथ रहती थी। यह दावा किया गया था कि घटना से 7 साल पहले उसकी मां ने उन्हें छोड़ दिया था। यह घटना 4 मई, 2021 को तब सामने आई, जब लड़की की दादी ने उससे मासिक धर्म के बारे में सवाल किया। तब बच्चे ने खुलासा किया कि उसके पिता पिछले साल से उसे जबरन यौन शोषण का शिकार बना रहे थे। उसने दावा किया कि उसका पिता शराब के नशे में घर आया और उसके साथ बलात्कार किया। लड़की ने कहा कि उसने कम से कम पांच मौकों पर उसका यौन उत्पीड़न किया था।
हलांकि आरोपी बाप ने आरोप से इनकार किया। उनके अदालत द्वारा नियुक्त वकील ने तर्क दिया कि जिस घर में वे रह रहे थे, वह किसी भी व्यक्ति के लिए ऐसा क्राइम बहुत छोटा था, बिना किसी की नजर में आए। वकील ने दावा किया कि उसके खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज की गई थी, क्योंकि वह लड़की को उसके पुरुष मित्रों से बात करने से रोकता था। अदालत ने, हालांकि, उसके बचाव में कोई ठोस सबूत नहीं पाया और लड़की की गवाही के आधार पर उसे दोषी ठहराया और उसे 25 साल के कारावास की सजा सुनाई।