नई दिल्ली : कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में एक संपत्ति विवाद, जिसमें हिंसक प्रदर्शन के दौरान 10 लोगों की जान चली गई थी। उसके कुछ दिन बाद ही यूपी में एक और हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है, जहां एक प्रॉपर्टी विवाद को सुलझाने के लिए पहुंचे पुलिसकर्मी पर वहां मौजूद स्थानीय लोगों ने हमला कर दिया, इतना ही नहीं इसके साथ-साथ उन लोगों ने कॉन्स्टेबल से उसकी पिस्टल भी छीन ली।
ये घटना बरेली में घटित हुई है, जहां स्थानीय लोगों को कैमरे पर एक पुलिसकर्मी को पकड़े हुए देखा जा सकता है, जो संपत्ति के विवाद को सुलझाने के लिए घटनास्थल पर पहुंचा था। घटना के इस वीडियो में जो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है, आक्रामक स्थानीय लोगों को वर्दी में मौजूद पुलिस कॉन्सटेबल पर शारीरिक रूप से हमला करते हुए देखा जा सकता है। वे उसकी पिस्टल को भी छीन लेते हैं जिसके बाद पुलिसकर्मी स्थानीय लोगों से उसे जाने देने का अनुरोध करता है।
यह चौंकाने वाली घटना गुरुवार को फतेहपुर पूर्व में घटित हुई, जहां भूमि विवाद को लेकर दो समूहों के बीच टकराव देखने को मिला। स्थानीय लोगों द्वारा एक दूसरे पर गोलियां चलाने और ट्रैक्टर में आग लगाने के बाद पुलिस कर्मी मौके पर पहुंचे। इस विवाद के दौरान स्थानीय लोगों में से एक को गोली भी लग गई। घायल व्यक्ति की पहचान इरशाद के रूप में हुई है।
पुलिस अधीक्षक, रमेश कुमार भारतीय ने इस मामले के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि विवाद पड़ोसी जिले बदायूं के दातागंज थाने की सीमा के अंदर हुआ। हाल की रिपोर्टों से पता चलता है कि दोनों पक्षों ने संपत्ति विवाद मामले में कोई शिकायत दर्ज नहीं करवाई थी, जिसके बाद बरेली जिले में हुई इस घटना के संबंध में पहली एफआईआर दर्ज की गई है।
पांच लोगों और दस अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 307, 147, 148 और 149 के तहत प्राथमिकी (FIR) दर्ज की गई है। पुलिस कर्मियों द्वारा आरोपियों को पकड़ने के लिए छापेमारी भी की जा रही है। राज्य के सोनभद्र जिले में एक संपत्ति के विवाद में दस लोगों की मौत के बाद हुई हिंसा के बाद यह घटना सामने आई है।
प्रारंभिक जांच में पता चला है कि एक ग्राम प्रधान और उनके समर्थकों ने एक प्रतिद्वंद्वी गुट पर कथित रूप से गोलियां चला दीं, जिससे बुधवार को 19 लोग घायल हो गए। दस हताहतों में तीन महिलाएं भी शामिल थीं। जिस भूमि को लेकर विवाद था, वो लगभग 90 बीघा में फैली हुई थी और कभी एक भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी के पास थी, जिसने कथित तौर पर इसे ग्राम प्रधान को बेच दिया था।