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राजस्थान के बूंदी में दबंगों ने युवक को दी 30 घंटे तक यातना,कर्ज ना चुका पाने की कीमत

Updated May 28, 2022 | 20:25 IST

राजस्थान के बूंदी जिले में एक शख्स को करीब 30 घंटे तक यातना दिया गया। पीड़ित शख्स का कसूर सिर्फ इतना था कि उसने कर्ज लिया जिसकी अदायगी समय पर नहीं कर सका था।

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बूंदी में दबंगों ने युवक को दी 30 घंटे तक यातना, शिकायत दर्ज

राजस्थान के बूंदी जिले में युवक को 30 घंटे तक यातनाएं देने का मामला सामने आया है। दो भाइयों ने 4 लोगों को साथ मिलकर मजदूर युवक का अपहरण किया। उसे बंधक बनाया। उसके साथ मारपीट की। लोहे की सलाखों से जकड़कर जानवरों की तरह सलूक किया। पुलिस के पास मामला पहुंचने पर बूंदी जिला पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए लोहे की जंजीर से पैर बांधकर युवक को दी जा रही यातनाओं से पीड़ित युवक को मुक्त करवाया।

दो आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज
पुलिस ने दो भाइयों सहित छह लोगों के खिलाफ अपहरण,बंधक बनाने, मारपीट करने, गलत तरीके से पैसे की वसूली का दबाव बनाने के मामले को लेकर विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया।केशवरायपाटन सर्किल के पुलिस उपाधीक्षक ने कहा कि मजदूर युवक के साथ गलत बर्ताव करने वाले दो सगे भाइयों और चार अन्य आरोपियों की तलाश की जा रही है। जिनकी जल्द गिरफ्तारी की संभावना है।बूंदी के तालेड़ा थाना क्षेत्र के अल्फानगर गांव में रोंगटे खड़े करने वाली घटना की तसवीरें सामने आई। बीलूबा गांव के राधेश्याम मेघवाल उम्र 35 साल ने अल्फानगर के धान उत्पादक किसान परमजीत सिंह और उसके छोटे भाई समेत अज्ञात चार जनों ने यातनाएं दी।

क्या है पूरा मामला
पीड़ित राधेश्याम को आरोपी परमजीत सिंह ने 3 साल पहले 70 हजार सालाना मजदूरी पर हाली के काम पर रखा था। इसके अलावा 30,हजार रूपए राधेश्याम ने ब्याज पर कर्ज भी लिया था। राधेश्याम से लगातार रात और दिन काम कराने के कारण राधेश्याम बीमार पड़ गया। 6 महीने बाद उसने परमजीत सिंह का फार्म हाउस छोड़ दिया। राधेश्याम द्वारा एडवांस लिए गए 1 लाख का हिसाब नहीं करने पर परमजीत व उसके छोटे भाई द्वारा लगातार राधेश्याम को परेशान किया जाने लगा। काम छोड़ने के 4 महीने बाद हाली ने 25 हजार रुपए लौटा दिए। बाकी पैसे के लिए मोहलत मांगी 2 साल की लेकिन राधेश्याम को परमजीत सिंह और उसका छोटा भाई घर से उठाकर ले गया। 10 दिन तक फसल कटाई का काम करवाया। परमजीत सिंह की लगातार प्रताड़ना के बाद 25 हजार रुपए फिर राधेश्याम ने परमजीत को जमा कराएं। फिर भी परमजीत की प्रताडित करता रहा।

3 साल तक लगातार कोरोना महामारी होने के कारण आर्थिक तंगी से जूझ रहे राधेश्याम परमजीत को 3 रुपए प्रति सैकड़ा ब्याज के साथ रुपए नहीं लौटा सका। रविवार को सुबह 11 बजे करीब राधेश्याम भरता बावड़ी गांव में एक दुकान पर बैठा था। जहां पर तीन बाइक पर सवार होकर परमजीत उसका छोटा भाई व अज्ञात चार जने राधेश्याम का अपहरण कर परमजीत के घर ले गए। मवेशियों बाड़े में लोहे की मोटी जंजीर से राधेश्याम को बांध दिया। यह जंजीर मवेशियों को बांधने में काम आती है।

30 घंटे तक यातना देने का आरोप
30 घंटे तक भूखा प्यासा राधेश्याम को बांधकर रखा। लोहे के पाइप से राधेश्याम को पीटा।शरीर पर चोटें आई। राधेश्याम के अपहरण की सूचना मिलने पर सोमवार सुबह राधेश्याम का छोटा भाई रवि शंकर परमजीत के फार्म हाउस पर पहुंचा। राधेश्याम को छोड़ने की भीख मांगी।परमजीत को जरासी दया नहीं आई। बोला 1 लाख 10 हजार रुपए दे जाओ और राधेश्याम को छुड़ाकर ले जाओ। कुछ दिन दोपहर में फिर रविशंकर अपने मामा के लड़के को लेकर परमजीत के पास गया। परमजीत ने राधेश्याम को रिहा नहीं किया।

रविशंकर ने सांकल से बंधे राधेश्याम की फोटो मोबाइल फोन में ले ली। सोमवार शाम अल्फानगर के एक किसान संजय चौधरी के यहां जाकर राधेश्याम के भाइयों ने मदद मांगी। संजय चौधरी ने राधेश्याम को 75 हजार रुपए सालाना मजदूरी पर रखते हुए मदद की। रविशंकर को पैसे दिए संजय चौधरी के फार्म हाउस पर परमजीत सिंह को बुलाया। जहां राधेश्याम के भाई रविशंकर ने 46 हजार रुपए देकर परमजीत का हिसाब चुकता किया।तब जाकर परमजीत ने पीड़ित राधेश्याम को अपनी कैद से आजाद किया। डरा ओर सहमा सा राधेश्याम अपने साथ हुई घटना रिपोर्ट कराने थाने पहुंचा। घटना की जानकारी डीएसपी शंकरलाल को दी। डीएसपी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए थानाधिकारी दिग्विजय सिंह को तुरंत कार्रवाई करने के निर्देश दिए। पुलिस ने राधेश्याम की रिपोर्ट पर परमजीत सिंह उसके छोटे भाई समेत अज्ञात चार जनों के खिलाफ अपहरण, बंधक बनाने,मारपीट करने और जातिसूचक शब्दों से अपमानित करने के आरोप में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की है। पुलिस ने राधेश्याम के शरीर पर आई चोटों की मेडिकल जांच करवाई।

बहन की शादी के लिये लिया था कर्ज
ऐसे में, बंधुआ मजदूरी की प्रथा बूंदी में चल रही है। 200 रुपए रोजाना पगार पर रात दिन काम करने वाले मजदूरों को बीमार पड़ने पर अपनी तनख्वाह कटवानी पड़ती है। मजदूरी के ठेके के नाम पर चल रही हाली प्रथा ने मजदूर परिवारों को पीढ़ी दर पीढ़ी हाली बना कर रखा हुआ है।राधेश्याम ने कर्जा बहन की शादी के लिए लिया था। बरसों पहले पिता की मौत के बाद विधवा मां,छोटी बहन और भाई की परवरिश की जिम्मेदारी उस पर थी। बंधुआ मजदूरी पर मजबूर हुआ बहन की शादी के लिए आरोपी परमजीत सिंह से 30 हजार रुपए कर्ज लिया था। इसके अलावा 70 हजार रुपए सालाना मजदूरी के एडवांस लिए थे। जिनमें से 6 महीने वह काम कर चुका था। परमजीत के सिर्फ 6 माह की मजदूरी के 35 हजार रुपए और 30 हजार रुपए कर्ज के कुल मिलाकर 65 हजार रुपए देने थे। जिसके बदले परमजीत द्वारा 96 हजार रुपए वसूले। 10 दिन तक फसल कटाई की मजदूरी भी नहीं दी। घटना बेहद दुखद है। पुलिस उपाधीक्षक शंकरलाल ने कहा कि दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी। डीएसपी ने घटना पर गहरा दुख जताते हुए जांच के बाद दोषी पाए जाने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करने का भरोसा दिया है। आरोपियों के खिलाफ अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार अधिनियम के तहत कार्रवाई की जा रही है ।