- पत्रकार रतन सिंह हत्याकांड में तीन आरोपी गिरफ्तार, बलिया के फेफना में हुई थी हत्या
- पुलिस के मुताबिक जमीन विवाद में पत्रकार को मारी गई थी गोली
- पीड़ित परिवार का कहना है कि तीन साल पहले भी परिवार ने एक लड़के को खो दिया
लखनऊ। क्या देश के सबसे बड़े सूबे में अपराधी बेलगाम हो चुके हैं। यह विपक्ष की तरफ से सरकार से बड़ा सवाल है। इन सबके बीच बलिया में एक निजी चैनल के पत्रकार की गोली मारकर हत्या कर दी गई। पुलिस के मुताबिक तीन मुख्य अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया जिन पर आरोप है कि उन्होंने कथित तौर पर पत्रकार को गोली मारी थी। बलिया में रतन सिंह नाम के पत्रकार को गोली मार दी गई थी और मौके से तीन अभियुक्तों की गिरफ्तारी हुई है। पुलिस का कहना है कि यद्यपि पत्रकार की हत्या का उसके प्रोफेशन से संबंधित कोई विवाद नहीं है। यह पूर्ण रूप से दो पार्टी के बीच जमीन विवाद का मसला है।
मृत पत्रकार के परिजनों को 10 लाख मुआवजे का ऐलान
पत्रकार रतन सिंह हत्याकांड के बारे में सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई का आदेश दिया गया है। इसके साथ ही पीड़ित परिजनों को 10 लाख मुआवजा दिये जाने का फैसला किया गया है। सीएम ऑफिस की तरफ से दी गई जानकारी में बताया गया है कि जनपद बलिया में हुई श्री रतन सिंह जी की हत्या का संज्ञान लिया है। उन्होंने शोक संतप्त परिजनों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए दिवंगत आत्मा की शांति हेतु कामना की है।
बलिया में पत्रकार हत्याकांड में तीन की गिरफ्तारी
आजमगढ़ के डीआईजी सुभाष चंद्र दुबे ने बताया कि सोमवार की शाम को फेफना गांव में पत्रकार को ग्राम प्रधान के घर पर गोली मारी गई थी। यह बताया गया है कि दोनों लोगों के बीच में पुरानी दुश्मनी थी। इस संबंध में जांच को मुकाम तक पहुंचाने की दिशा में काम किया जा रहा है। मृत पत्रकार के पिता का कहना है कि सोमवार शाम करीब साढ़े पांच बजे जानकारी मिली कि गांव के मुखिया झब्बर सिंह के बेटे सोनू का रतन सिंह से झगड़ा हुआ था। मेरा बेटा उनके घर जहां उसे मार डाला गया। तीन साल पहले उनके बड़े बेटे की भी इसी तरह हत्या कर दी गई थी।
विपक्षी दलों ने सरकार को घेरा
पत्रकार हत्याकांड की खबर मिलते ही प्रशासन में खलबली मच गई। मौका ए वारदात पर बलिया जिला प्रशासन पर पहुंचा और कुछ देर बाद ही मंडल स्तर के पुलिस अधिकारी भी मौके पर गए। पत्रकार की हत्या के बाद इलाके में लोगों में रोष था। इस हत्याकांड पर समाजवादी पार्टी मुखर होकर सामने आई और कहा कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की आवाज को दबाया जा रहा है।