- क्राइम सीन कंस्ट्रक्शन के जरिए सुशांत सिंह केस के तह तक पहुंचने की तैयारी
- अदालती लड़ाई के बाद सीबीआई जांच को बढ़ा रही है आगे, रिया चक्रवर्ती और उनके परिवार पर पहले ही एफआईआर दर्ज
- सुशांत सिंह केस में जांच मुंबई पुलिस करे या सीबीआई इस पर करीब डेढ़ महीने तक चला विवाद
नई दिल्ली। 14 जून 2020 की दोपहर में मायानगरी मुंबई ने मनहूस खबर सुशांत सिंह राजपूत के बारे में आई कि वो नहीं रहे। खबरों में यह बताया गया कि उन्होंने खुदकुशी की। लेकिन किसी को भरोसा नहीं हो रहा था कि सुशांत सिंह राजपूत सुसाइड जैसा कदम उठा सकते हैं। इस मामले में पिछले दो महीने से जांच को लेकर कई तरह की जिरह हुई और अब नतीजा यह है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सीबीआई उस वारदात के तह तक जाएगी जो मिस्ट्री बन चुकी है। सवाल दो तरह के हैं क्या सुशांत सिंह राजपूत ने खुदकुशी की या उन्हें मारा गया है। इस उलझी गुत्थी को सुलझाने के लिए सीबीआई की टीन क्राइम सीन को रिक्रिएट करेगी। ऐसे में यह समझना जरूरी है कि आखिर यह किस बला का नाम है।
क्यों और कैसे तैयार किया क्राइम सीन
दरअसल क्राइम सीन को तब रिक्रिएट किया जाता है कि जो पूरी तरह साफ नहीं होता है। यानि कि पीड़ित पक्ष की तरफ से जब शक जताया जाता है कि जांच सही तरह से नहीं हो रही है या पुलिस को मामले की तह तक पहुंचने में सुराग नहीं मिल पाता है। क्राइम सीन रीकंस्ट्रक्शन किया जाता है। जिसमें क्या हुआ, कब हुआ, कहां हुआ, कैसे हुआ, किसने किया और क्यों किया जैसे सिद्धांतों पर काम किया जाता है। इस प्रक्रिया में जिस वक्त घटना होती है, ठीक उसी वक्त और उसी जगह पर पुलिस आरोपी को ले जाकर फिर से घटना का सीन रिक्रिएट करवाती है।
उलझे केस में क्राइम सीन रिक्रिएशन रामबाण
पुलिस या किसी जांच एजेंसी द्वारा क्राइम सीन का रिक्रिएट करना सामान्य प्रक्रिया है। इसके जरिए जांच एजेंसी हर चीज व सबूतों को अदालत के सामने पेश करती है ताकि आरोपी को सजा दिलाने में किसी तरह की कमी ना हो। क्राइम सीन रिक्रिएशन सुनने में आसान लगता है लेकिन जमीन पर उतारना आसान नहीं होता है। एक तरह से उसी तरह के माहौल का निर्माण किया जाता है जिसमें अपराधी ने अपराध को अंजाम दिया होगा । घटनास्थल पर मिले सबूतों के आधार पर ये तय किया जाता है कि घटना कैसे हुई। रिक्रिएशन के दौरान मिले सबूतों की वैज्ञानिक जांच की जाती है। इसके साथ ही मामले से जुड़ी सभी जानकारियों को अलग अलग एंगल से विस्तार में अध्ययन किया जाता है और तथ्यों के आधार पर निष्कर्ष पर पहुंचने की कोशिश की जाती है।