नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के चर्चित मॉडल जेसिका लाल हत्याकांड के दोषी सिद्धार्थ वशिष्ठ उर्फ मनु शर्मा को समय से पहले जेल से रिहा कर दिया गया है। शर्मा तिहाड़ जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे। हरियाणा के पूर्व मंत्री विनोद शर्मा के बेटे मनु शर्मा ने जेसिका लाल हत्याकांड में 17 साल की सजा काटी। दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने शर्मा समेत 18 लोगों के समय पूर्व रिहाई को मंजूरी दी। दिल्ली सरकार के अधीन आने वाले दिल्ली सजा समीक्षा बोर्ड (डीएसआरबी) ने पिछले महीने मनु शर्मा को समय से पूर्व रिहा करने की सिफारिश की थी, जिसके बाद उपराज्यपाल ने यह निर्णय किया।
साल 1999 में हुई थी जेसिका की हत्या
जेसिका लाल की 29 अप्रैल 1999 को दिल्ली के टैमरिंड कोर्ट रेस्टोरेंट में मनु शर्मा ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। शर्मा ने जेसिका को सिर्फ इसलिए गोली मार दी थी, क्योंकि उसने शराब परोसने से मना कर दिया था। जेसिका लाल ने घर का खर्च चलाने के लिए मॉडलिंग करनी शुरू की थी। वह पार्ट टाइम में एक पब में काम करती थीं। सात साल तक चले मुकदमे के बाद इस मामले में फरवरी 2006 में सभी आरोपी बरी हो गए थे। हालांकि, आरोपियों के बरी होने के बाद भी जेसिका के परिवार ने हिम्मत नहीं हारी। खासकर जेसिका की बहन सबरीना लाल डटी रहीं। इस मामले ने मीडिया में काफी सुर्खियां बटोरीं और आखिरकार केस को दोबारा खोलना पड़ा।
हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरा रखा
निचली अदालत के सबूतों के अभाव में मनु शर्मा को बरी करने के बाद साल 2006 में दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने दिसंबर, 2006 में मनु शर्मा को मामले में दोषी ठहरात हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। साथ ही 50 हजार रुपए जुर्माना भी लगाया। दिल्ली हाईकोर्ट के इस फैसले को शर्मा ने फरवरी, 2007 को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट में तीन साल से अधिक समय तक सुनवाई चली, जिसके बाद अप्रैल, 2010 में शीर्ष अदालत ने हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था। उम्रकैद की सजा पाने के बाद मनु शर्मा फरलो पर जेल से बाहर आया और शादी भी रचाई।
किस आधार पर किया गया रिहा ?
मनु शर्मा को अच्छे चाल-चलन के कारण आजीवन कारावास की सजा पूरी होने के पहले जेल से रिहा करने का फैसला किया गया। इससे पहले मनु के केस को डीएसआरबी में पांच बार और रखा जा चुका था। हर बार मनु के नाम को अगली मीटिंग में लाने के लिए रेफर कर दिया जाता था। शर्मा करीब सवा साल से ओपन जेल में था। ओपन जेल में उन्हीं कैदियों को भेजा जाता है, जिनकी सजा पूरी होनी वाली होती है। तिहाड़ जेल के डीजी संदीप गोयल ने बताया कि मनु शर्मा को एक जून को रिहा कर दिया गया। गोयल ने कहा, 'शर्मा को सोमवार को जेल से रिहा किया गया। उसने 17 साल जेल में बिताए। छूट के साथ उसकी वास्तविक अवधि 23 वर्ष और चार महीने है।' मालूम हो कि शर्मा की रिहाई में सबरीना के माफ करने संबंधी बयान का अहम रोल रहा।
जेसिका की बहन ने रिहाई पर क्या कहा?
अपनी बहन जेसिका लाल के हत्यारे को सजा दिलाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ने वाली सबरीना लाल का कहना है कि उम्मीद करती हूं कि वह कभी ऐसी गलती नहीं दोहराए। सबरीना ने साथ ही कहा कि उन्होंने अपनी बहन के हत्यारे को माफ कर दिया है। सबरीना ने पीटीआई-भाषा को बताया, 'मेरे पास वास्तव में कहने के लिए कुछ नहीं है। मुझे कुछ महसूस नहीं हो रहा। मैं शून्य हो गई हूं। मैं भगवान से यही प्रार्थना और उम्मीद करती हूं कि वह भविष्य में कभी ऐसी गलती दोहराने के बारे में न सोचे।' सबरीना ने 2018 में जेल अधिकारियों को लिखा था कि उसे शर्मा की रिहाई पर कोई आपत्ति नहीं है।
'यह लंबी और कठिन लड़ाई थी'
सबरीना ने कहा, 'मैंने लिखा था कि मुझे उसकी रिहाई पर कोई आपत्ति नहीं है। यह लंबी और कठिन लड़ाई थी। यह बेहद मुश्किल थी। सामान्य जीवन में लौटना आसान नहीं है।' उन्होंने कहा, 'जब उसे (शर्मा) दोषी ठहराया गया, तब कुछ बेहतर सा महसूस हुआ और एक बोझ सा हटा कि अब कम से कम न्याय मिला। इसमें सालों लग गए।यह तेजी से नहीं हुआ।' लेकिन क्या सबरीना ने शर्मा को माफ कर दिया? इस सवाल पर उन्होंने कहा, 'आपको माफ करना पड़ता है। अगर आप नफरत और बदले को पकड़े रखते हैं तो आगे नहीं बढ़ सकते। माफ करना कुछ ऐसा है जिसे आपको महसूस करना होगा। आप कभी भूल नहीं सकते, लेकिन किसी जगह आपको भूलने की जरूरत होती है।'
मनु की रिहाई पर सवाल भी उठे
महिला अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाली कार्यकर्ताओं ने शर्मा की रिहाई के फैसले को 'दुर्भाग्यपूर्ण' और 'गलत मिसाल' करार दिया। महिला अधिकार कार्यकर्ता शमीना शफीक ने कहा कि शर्मा को रिहा किए जाने का फैसला 'चौंकाने वाला' और 'तर्कहीन' है। राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व सदस्य शफीक ने कहा, 'देश पहले ही महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों से निपटने की चिंताओं से घिरा हुआ है। सरकार को असल में अपराधियों पर इस तरह नरमी दिखाने के बजाय सख्त सजा दिए जाने के बारे में सोचना चाहिए ताकि समाज में एक मजबूत संदेश जा सके, खासकर ऐसे गंभीर अपराध के मामलों में।