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Hyderabad Encounter: निर्भया की मां बोली- मैं जिंदा हूं लेकिन पल-पल मर रही हूं

Updated Dec 06, 2019 | 11:55 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

हैदराबाद में गैंगरेप व हत्या के आरोपियों के एनकाउंटर पर निर्भया की मां के जख्म एक बार फिर से हरे हो गए हैं। जानिए इस पूरी घटना पर उन्होंने क्या कुछ कहा-

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नई दिल्ली : तेलंगाना के साइबराबाद पुलिस ने वेटनरी महिला डॉक्टर के साथ दरिंदगी करने वाले चारों आरोपियों को मुठभेड़ में मार गिराया है। साइबराबाद पुलिस की इस कार्रवाई की हर कोई प्रशंसा कर रहा है और लोगों का मानना है कि पीड़िता के साथ न्याय हुआ है। ऐसे लोगों के साथ ऐसा ही होना चाहिए तभी लोगों में डर पैदा होगा।

29 नवंबर को साइबराबाद के शमशाबाद इलाके में हाइवे के पास एक महिला डॉक्टर के साथ गैंगरेप करने के बाद उसे जलाकर मार देने वाली घटना के बाद पूरे देश में उबाल आ गया था। वारदात के 48 घंटों के भीतर पुलिस ने चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था और उनसे लगातार पूछताछ जारी थी। लगभग एक सप्ताह के बाद शुक्रवार तड़के सुबह हैदराबाद पुलिस ने एक एनकाउंटर में इन चारों को मार गिराया।  

इस जघन्य वारदात ने एक बार फिर से 7 साल पुरानी निर्भया कांड की याद ताजा कर दी थी। 2012 में भी राजधानी दिल्ली में हुई निर्भया कांड के बाद पूरा देश उबल पड़ा था और हर कोई आरोपियों के लिए मौत की सजा की मांग कर रहा था। अब 2019 में साइबराबाद में हुई इस घटना के बाद फिर से ये यादें ताजा हो गईं, इस मामले में 2012 की गैंगरेप पीड़िता निर्भया की मां ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। जानिए उन्होंने क्या कहा- 

निर्भया की मां आशा देवी ने कहा कि हैदराबाद की पुलिस ने आरोपियों को मार कर एक नजीर पेश किया है। पुलिस को और सरकार को ये देखना चाहिए। मैं 7 साल से संघर्ष कर रही हूं लेकिन मुजरिम जिंदा है। पटियाला कोर्ट में मैंने अपील की कि उन्हें फांसी की सजा दी जाए। उन्होंने कहा कि वे अपील कर सकते हैं तो उन्हें हम फांसी नहीं दे सकते हैं।

लेकिन मैं यही कहना चाहती हूं जिस तरह कानून तोड़ कर निर्भया के साथ बर्बरता हुई थी उसे याद तो नहीं करना चाहती हूं लेकिन ये कहना चाहती हूं कि जिस तरह मेरी बच्ची के शरीर के अंदर हाथ डाल के उसकी आंतों को निकाल लिया गया था लेकिन सिस्टम पर उसका प्रभाव नहीं पड़ा। 7 साल से संघर्ष कर रही हूं। आज भी वह मुजरिम जिंदा है। ये कहीं न कहीं सरकार और कानून व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है।

मैं चाहती हूं कि आप जल्द से जल्द से उन्हें फांसी दीजिए और मुझे इंसाफ दीजिए। क्योंकि जिस तरह से मैं संघर्ष कर रही हूं, जी रही हूं मैं दिखती तो जरूर हूं कि मैं जिंदा हूं लेकिन मैं हर पल मर रही हूं। जब भी मेरा उनसे सामना होता है वकील से सामना होता है मुझे एहसास कराया जाता है कि मैं कहीं न कहीं गलत हूं जो उनके खिलाफ लड़ रही हूं। मैं जिस चीज से लड़ रही हूं सरकार इस चीज को समझे। निर्भया के दोषियों के लिए मैं आज भी फांसी की मांग करती हूं।