- जसोला- सरिता विहार में अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई पर रोक
- दिल्ली पुलिस मे फोर्स की कमी का दिया हवाला
- एसडीएमसी से कम से कम 10 दिन पहले जानकारी देने की अपील की
दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (SDMC) की ओर से जसोला और सरिता विहार में चलाए जाने वाले अतिक्रमण विरोधी अभियान को पर्याप्त संख्या में पुलिस बल उपलब्ध नहीं होने की वजह से बृहस्पतिवार को रद्द कर दिया गया।एसडीएमसी के अधिकारियों के मुताबिक, सड़कों और सरकारी भूमि पर स्थायी और अस्थायी अतिक्रमण हटाने के लिए जसोला-सरिता विहार में बृहस्पतिवार को अभियान चलाया जाना था।
अतिक्रमण के खिलाफ होनी थी कार्रवाई
एसडीएमसी के महापौर मुकेश सूर्यन ने इन इलाकों का दौरा किया था जिसके एक दिन बाद यह अभियान चलाया जाना था।सूर्यन ने कहा कि पर्याप्त संख्या में पुलिस बल उपलब्ध नहीं होने के कारण जसोला और सरिता विहार में अभियान रद्द कर दिया गया है। क्षेत्र के एसएचओ (थानेदार) ने हमें सूचित किया कि पुलिस कर्मी पहले से ही कानून-व्यवस्था की ड्यूटी में लगे हुए है, इसलिए अभियान के लिए पर्याप्त संख्या में पुलिस कर्मियों को उपलब्ध नहीं कराया जा सकता है। इसके मुताबिक अभियान का पुन:निर्धारण किया गया है।
फोर्स की कमी का दिल्ली पुलिस ने दिया हवाला
एसडीएमसी को भेजे पत्र में दिल्ली पुलिस ने कहा है कि सरिता विहार थाने के कर्मचारी पहले से ही कानून व्यवस्था या जांच की ड्यूटी में लगे हुए हैं, इसलिए वार्ड संख्या 101-एस (सरिता विहार) में अतिक्रमण विरोध अभियान को हटाने में एसडीएमसी कर्मचारियों की मदद करने के लिए पर्याप्त संख्या में पुलिस कर्मियों को मुहैया नहीं कराया जा सकता है। उसमें कहा गया है कि अनुरोध है कि सरिता विहार थाना क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने के अभियान की तिथि निर्धारित करने से कम से कम 10 दिन पहले सूचना दी जाए ताकि एसडीएमसी कर्मचारियों की सहायता के लिए पर्याप्त कर्मियों को दिया जा सके।
'रोहिंग्या, बांग्लादेशियों के अतिक्रमण के खिलाफ हो कार्रवाई'
दिल्ली भाजपा प्रमुख आदेश गुप्ता ने 20 अप्रैल को महापौर को पत्र लिखकर "रोहिंग्या, बांग्लादेशियों और असामाजिक तत्वों" की ओर से किए गएअतिक्रमण को हटाने का आग्रह किया था जिसके बाद एसडीएमसी के क्षेत्र में अतिक्रमण रोधी अभियान की योजना बनाई जा रही है।उत्तरी दिल्ली नगर निगम पिछले हफ्ते जहांगीरपुरी में अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान ढांचों को बुलडोजर से तोड़ने के बाद विपक्षी दलों और नागरिक अधिकार समूहों के निशाने पर आ गई थी। जहांगीरपुरी में हाल में सांप्रदायिक हिंसा हुई थी। अभियान उच्चतम न्यायालय के दखल के बाद रुका था।