- दिनोंदिन खराब होने लगी दिल्ली की वायु, सुबह के वक्त दिखी धुंध की चादर
- दिवाली तक दिल्ली की वायु में बढ़ जाएंगे प्रदूषक, सर्दी में विकट होगी समस्या
- प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए दिल्ली सरकार ने किए हैं विशेष उपाय
नई दिल्ली : दिल्ली की आबोहवा दिनोंदिन खराब होती जा रही है। मंगलवार सुबह दिल्लीवासी जब सोकर उठे तो उन्हें आसमान में धुंध दिखी और वायु गुणवत्ता का इंडेक्स (एक्यूआई) 'अत्यंत खराब' श्रेणी में पहुंच गया था। पिछले कुछ दिनों में एक्यूआई पहली बार 'अत्यंत खराब' के स्तर पर पहुंचा है। इन दिनों पंजाब और हरियाणा में किसानों द्वारा पराली जलाए जाने की वजह से राजधानी के प्रदूषण में इजाफा हो रहा है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक दिल्ली में 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता इंडेक्स (एक्यूआई) शार चार बजे 300 पाया गया। एक्यूआई का स्तर 300 होना 'खराब' की श्रेणी में आती है। जबकि शाम दो बजे तक एक्यूआई का औसत स्तर 300 से ज्यादा रहा। शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को 'अच्छा' माना जाता है, 51 से 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 से 200 'सामान्य', 201 से 300 'खराब', 301 से 400 'अत्यंत खराब' और 401 से 500 के बीच एक्यूआई 'खतरनाक' माना जाता है।
नासा की सैटेलाइट तस्वीरों में पंजाब के पटियाला, अमृतसर एवं फिरोजपुर और हरियाणा के अंबाला एवं कैथल के ऊपर धुएं की लंबी चादर दिखी है। विशेषज्ञों का कहना है कि अभी इससे राहत नहीं मिलने वाली है और आने वाले दिनों में यह समस्या और विकट होगी। दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण की समस्या पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि राज्य सरकारों को एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराना बंद करना चाहिए और पराली जलाने की समस्या का हल मिलजुलकर निकालना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी को पराली समस्या को गंभीरता से लेना चाहिए।
दिल्ली सरकार ने प्रदूषण कम करने के लिए मंगलवार को नरेला के हिरंकी गांव में पूसा बॉयो डिकंपोजर की शुरुआत की। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तकनीक से पराली को 10 से 15 दिनों में खाद में बदला जा सकता है और इससे पराली जलाने में कमी आएगी। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने पराली जलाने पर रोक लगाने एवं उत्तर भारत में प्रदूषण को नियंत्रित करने में केंद्र सरकार की भूमिका पर जोर दिया।
अक्टूबर मध्य से दिवाली तक का राजधानी की वायु गुणवत्ता काफी खराब रहती है। हरियाणा और पंजाब में किसानों द्वारा पराली जलाए जाने से धुएं की चादर राजधानी के ऊपर लिपट जाती है। इसके बाद दिवाली के मौके पर होने वाली आतिशबाजी प्रदूषण की समस्या और बढ़ा देती है। सर्द मौसम में प्रदूषकों के साथ मौजूद वायु श्वास रोग से पीड़ित लोगों के लिए समस्याएं खड़ी करती है। लोग आंखों में जलन और सांस लेने में दिक्कत महसूस करते हैं।