नई दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण की स्थिति अब भी 'बेहद खराब' श्रेणी में बनी हुई है। सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी के बाद दिल्ली सरकार ने इस संबंध में कुछ फौरी कदम उठाए हैं, पर यह देखना अभी बाकी है कि इनका क्या असर यहां की आबोहवा पर पड़ता है। इस बीच हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में 1-13 नवंबर के बीच बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जो साल 2012 के बाद सर्वाधिक बताई जा रही है। इस संबध में NASA के उपग्रह आंकड़ों का हवाला दिया जा रहा है।
वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान व अनुसंधान प्रणाली (SAFAR) के मुताबिक, रविवार को दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 386 दर्ज किया गया, जो 'बेहद खराब' श्रेणी में आता है। हालांकि एक दिन पहले के मुकाबले इसे मामूली सुधार के तौर पर देखा जा सकता है, जब शनिवार को दिल्ली में AQI 499 दर्ज किया गया था। राष्ट्रीय रजधानी में आज सुबह 6 बजे हवा में प्रदूषक तत्व PM10 की मात्रा 386 और PM2.5 की मात्रा 232 दर्ज की गई, जो 'बेहद खराब' श्रेणी के अंतर्गत आती है।
वहीं, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने दिल्ली के अलीपुर (338), अशोक विहार (365), बवाना (387), मथुरा रोड (361), चांदनी चौक (376), द्वारका सेक्टर-8 (374), इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा- टर्मिनल 3 (338) में भी AQI को खराब श्रेणी के अंतर्गत बताया है, जबकि आनंद विहार (431), जहांगीरपुरी (411), वजीरपुर (402) में यह 'गंभीर' श्रेणी के अंतर्गत रिकॉर्ड किया गया है।
फिलहाल राहत की उम्मीद नहीं
सफर के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण से लोगों को तुरंत निजात मिलती नजर नहीं आ रही है। सोमवार को यहां AQI मामूली सुधार के साथ 369 दर्ज किए जाने का अनुमान है, जो 'बेहद खराब' श्रेणी के अंतर्गत ही आता है, जबकि हवा में PM10 की मात्रा 348 और PM2.5 की मात्रा 209 रहने का अनुमान जताया गया है।
यहां गौर हो कि 0-50 AQI को अच्छा, 51-100 AQI को संतोषप्रद, 101-200 AQI को औसत, 201-300 AQI को खराब, 301-400 AQI को बेहद खराब तथा 401-500 से AQI को गंभीर श्रेणी में रखा जाता है।
दिल्ली में उठाए गए फौरी कदम
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए सरकार ने कई अहम कदमों की घोषणा शनिवार को की थी, जिनमें स्कूलों को एक सप्ताह के लिए बंद किया जाना, निर्माण गतिविधियों पर रोक और सरकारी कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रॉम होम शामिल हैं। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की स्थिति को 'आपात' करार देते हुए राष्ट्रीय राजधानी में कम से कम दो दिनों के लिए लॉकडाउन लागू करने का सुझाव भी दिया था।
कोर्ट ने यह भी कहा कि वायु प्रदूषण के लिए सिर्फ पराली जलाए जाने को वजह बताना सही नहीं है, इसके लिए वाहनों व उद्योगों से होने वाला उत्सर्जन, पटाखे और धूलकण जैसे अन्य कारक भी जिम्मेदार हैं। कोर्ट ने तल्ख लहजे में कहा, 'हर किसी में किसानों को जिम्मेदार ठहराने की धुन सवार है। पहले दिल्ली के लोगों को नियंत्रित होने दीजिए। हमें बताइये कि दिल्ली में AQI 500 से 200 पर कैसे लेकर आएंगे। दो दिन के लॉकडाउन जैसे कुछ तात्कालिक कदम उठाइए।' शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से सोमवार तक इस मामले में जवाब देने कहा है।
पराली जलाने की घटनाओं में बढ़ोतरी
इस बीच एक रिपोर्ट में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के उपग्रह आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा गया है कि दिल्ली से सटे हरियाणा और पंजाब में 1 से 13 नवंबर के बीच पराली जलाने की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है और यह 2012 के के बाद इस अवधि में सबसे अधिक है। दोनों राज्यों में इस अवधि के दौरान खेतों से आग की लपटें उठने की 57,263 घटनाएं दर्ज की गई हैं।