- दिल्ली सरकार देश की एकमात्र सरकार है जो 7 साल से अपने बजट का 25% शिक्षा पर खर्च करती है: केजरीवाल
- आज हमें गर्व होता है कि इन्हीं स्कूलों में पढ़ कर बच्चे IIT में पहुंच रहे हैं, NEET क्लियर कर रहे हैं: दिल्ली सीएम
- केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारों ने मिलकर भी 7 साल में 20,000 क्लासरूम नहीं बनाए: मुख्यमंत्री
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय राजधानी के 240 सरकारी स्कूलों में करीब 12,430 नए स्मार्ट क्लासरूम का उद्घाटन किया है। इस दौरान उपमुख्यमंत्री-शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया और दिल्ली के गृह और स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन भी मौजूद थे। केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार ने पिछले 7 वर्षों में कुल 20,000 कक्षाओं का निर्माण किया है। इस अवधि में सभी राज्य सरकारें और केंद्र सरकार संयुक्त रूप से 20,000 कक्षाएं स्थापित नहीं कर सकी हैं।
उन्होंने कहा कि बाबा साहब (डॉ. बीआर अंबेडकर) का सपना था कि हर छात्र को बेहतरीन शिक्षा मिले। दुर्भाग्य से आजादी के 75 साल बाद भी उनका सपना अन्य राज्यों में साकार नहीं हो सका। मुझे खुशी है कि उनके सपने कम से कम दिल्ली में सच होने लगे हैं। केजरीवाल ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से देश के कई बड़े नेता केजरीवाल को आतंकवादी कह रहे हैं, जिस पर मुझे हंसी आई। जिस व्यक्ति को वे आतंकवादी कह रहे हैं, वह आज देश को 12,430 कक्षाएं समर्पित कर रहा है।
दिल्ली सीएम ने कहा कि 3,70,000 बच्चे प्राइवेट स्कूलों से सरकारी स्कूलों में आए हैं। आज तीन साल पहले जिसकी नींव रखी गई थी वो आज पूरा हुआ है। हम सिर्फ नारियल नहीं फोड़ते उस काम को समय से पहले पूरा कर देते हैं। अगर हम 50 कमरों का औसत लेकर भी चले तो आज 250 स्कूल बनकर तैयार हो रहे हैं। आज हमारे स्कूलों में महंगे-महंगे स्मार्ट बोर्ड हैं। भगत सिंह का सपना भी पूरा हो रहा है, जहा सभी के बच्चे एक साथ पढ़ रहे हैं, चाहे वो अधिकारी हो या मजदूर आज सबके बच्चे साथ पढ़ रहे हैं। क्यों ये काम 75 सालो में नहीं हुआ।
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उन्होंने कहा कि आज में ये ऑफर कर रहा हूं अब तक 75 साल का समय बर्बाद हो चुका है। अगर देश की कोई भी सरकार अपने राज्य के अंदर दिल्ली जैसी शिक्षा व्यवस्था करना चाहती है तो हम उन्हें थोड़े दिन के लिए मनीष सिसोदिया को लोन पर दे देंगे। हमें सिर्फ दिल्ली में 7 साल में इतने क्लासरूम बना दिए हम सभी राज्य सरकारों की मदद के लिए तैयार हैं। अगर इससे उन्हें वोट मिले तो मिले, लेकिन हमें मदद करनी है। नेताओ को सबसे बड़ा डर स्कूलों से लगता हैं क्योंकि अच्छे स्कूलों से बच्चे देशभक्त बनेंगे। हम ये स्कूल नहीं बना रहे, हम देशभक्ति की फैक्ट्री बना रहे हैं। आने वाले समय में बच्चे विकास पर वोट देंगे।