- गणतंत्र दिवस के दिन किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा एवं झड़प
- लाल किले की प्राचीर तक पहुंचे प्रदर्शनकारी किसान, अपना झंडा फहराया
- दिल्ली पुलिस का कहना है कि तय समय से पहले किसानों ने निकाली रैली
नई दिल्ली : गणतंत्र दिवस के दिन किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान हिंसा एवं उपद्रव की घटनाएं सामने आईं। किसानों का एक समूह लाल किले की प्राचीर तक पहुंचा और वहां अपना झंडा लहराया। आईटीओ सहित राजधानी दिल्ली के कई इलाकों में पुलिस और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच झड़प हुई। इस दौरान पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया। इन झड़पों में दिल्ली पुलिस के 80 से ज्यादा जवान और कम से कम 10 किसान घायल हुए। राजधानी को उपद्रव का सामना तब करना पड़ा जब इस रैली के लिए पुलिस और किसान संगठनों के बीच सहमति बनी थी और रैली का रूट प्लान तैयार किया गया था।
दिल्ली पुलिस ने दर्ज किए 22 एफआईआर
गणतंत्र दिवस के दिन किसानों की यह ट्रैक्टर रैली अराजक हो गई। दिल्ली पुलिस हिंसा के लिए उकसाने वाले संदिग्धों के खिलाफ कार्रवाई करना शुरू कर दिया है। उपद्रव एवं हिंसा मामले में अब तक 22 एफआईआर दर्ज हो चुकी है। सवाल उठ रहे हैं कि रैली के लिए पहले से रूट प्लान होने और दिल्ली पुलिस की तैयारी के बावजूद ऐसा क्या हुआ कि प्रदर्शनकारी किसान लाल किले तक पहुंच गए। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठन पिछले दो महीने से ज्यादा समय से सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर के पास धरना दे रहे हैं। यहां से पहले से तय मार्गों पर किसानों को अपनी ट्रैक्टर रैली निकालनी थी। लेकिन रैली शुरू होने के बाद किसान ट्रैक्टर पर सवार होकर दिल्ली के उत्तरी, पूर्वी और पश्चिमी हिस्से में फैल गए।
सहमति का पालन नहीं हुआ-दिल्ली पुलिस
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'ट्रैक्टर रैली के जिन बातों पर सहमति बनी थी लेकिन उनका पालन नहीं हुआ। किसान बड़ी संख्या में थे और इसका उन्होंने फायदा उठाते हुए शहर में चारों तरफ दाखिल हो गए। गाजीपुर में उन्होंने तय समय से पहले रैली शूरू कर दी। यहां किसानों ने बैरिकोड तोड़नी शुरू कर दी जबकि बैठक में तय हुआ था कि पुलिस उन्हें अपने साथ लेकर आगे बढ़ेगी। सिंघु बॉर्डर पर भी किसान तय समय से 11 बजे से थोड़ा पहले रैली निकालने लगे। सिंघु बॉर्डर पर रैली शुरुआत में शांतिपूर्वक निकली और इस रैली को संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर से वापस होना था लेकिन किसानों ने वापस जाने से इंकार कर दिया और आगे बढ़ने पर अड़े रहे। बाद में किसान सड़क के दोनों तरफ आ गए।'
'तय समय से पहले रैली निकालने लगे'
पुलिस अधिकारियों को अनुमान था कि शहर में दो लाख से लेकर ढाई लाख प्रदर्शनकारी दाखिल होंगे और इसे देखते हुए उसने अपनी तैयारी की थी। दिल्ली में अर्धसैनिक बलों की 150 कंपनियां और दिल्ली पुलिस के करीब 30 हजार जवान तैनात थे लेकिन किसानों की संख्या के आगे यह सुरक्षा तादात कम पड़ गई। पुलिस के एक अन्य अधिकारी ने बताया, 'गाजीपुर में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की बात मानने से इंकार किया और साढ़े 10 बजे के करीब उन्होंने बैरिकेड तोड़े और पुलिस पर पथराव किया। इसके बाद पुलिस को आंसू गैस के गोल छोड़ने पड़े।'
किसान नेताओं ने अपनी लाचारगी जताई
पुलिस के एक अन्य अधिकारी ने कहा, 'ज्यादातर किसान अपने नेताओं की बात सुनने के लिए तैयार नहीं थे। प्रत्येक बॉर्डर पर हम 10 से 12 किसान नेताओं के संपर्क में थे। किसान नेताओं ने कहा कि वे अपने लोगों को नियंत्रित नहीं कर सकते और उन्होंने अपनी लाचारगी जताई। प्रदर्शनारी किसानों में भी कई समूह थे। आईटीओ पर कुछ किसान ऐसे थे जो इंडिया गेट और कुछ लाल किले की तरफ जाना चाहते थे।' रिपोर्ट के मुताबिक अधिकारी ने बताया कि प्रदर्शनकारी किसान जब समूहों में बंट गए और अलग-अलग दिशाओं की तरफ रवाना होने लगे तब सभी पुलिस स्टेशनों को सुरक्षा बढ़ाने के लिए अलर्ट जारी किया गया।
उपद्रवियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी दिल्ली पुलिस
अधिकारी ने कहा कि करीब 2000 किसान वॉलिंटियर्स जिन्होंने भरोसा दिया था कि रैली शांतिपूर्वक निकलेगी उनसे मदद मांगी गई लेकिन उन्होंने फोन कॉल्स पर कोई जवाब नहीं दिया। दिल्ली पुलिस के ज्वाइंट कमिश्नर आलोक कुमार ने मंगलवार को कहा कि रैली के दौरान जिन लोगों ने संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया और पुलिसकर्मियों पर हमले किए उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। पुलिस सीसीटीवी कैमरों एवं मोबाइल फोन रिकॉर्डिंग के आधार पर संदिग्धों की पहचान कर रही है। वहीं, किसान नेताओं का कहना है कि उनकी रैली में असामाजिक तत्व शामिल हो गए और उन्होंने किसानों को गुमराह किया।