- फरवरी 2020 में पूर्वी दिल्ली के कई इलाकों में हुई थी हिंसा
- हिंसा भड़काने के आरोप पर नताशा, कलीता की हुई थी गिरफ्तारी
- दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को तीन आरोपियों को दी जमानत
नई दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को पिंजड़ा तोड़ के एक्टिविस्टों नताशा नरवाल, देवांगना कलीता और स्टुडेंट्स इस्लामिक आर्गनाइजेशन के एक्टिविस्ट आसिफ इकबाल तन्हा को तुरंत रिहा करने के आदेश दिए। दिल्ली हाई कोर्ट ने पूर्वी दिल्ली हिंसा मामले के इन तीनों आरोपियों को बुधवार को जमानत दी। हाई कोर्ट की ओर से जमानत दिए जाने के बाद भी ये जेल में बंद थे। फरवरी 2020 में पूर्वी दिल्ली में हिंसा के लिए उकसाने के आरोप में इनकी गिरफ्तारी हुई।
निचली अदालत ने रिहाई के आदेश दिए
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रवींद्र बेदी ने सुबह 11 बजे इन तीनों एक्टिविस्टों को रिहा करने का आदेश दिया। इसी समय इन तीनों के वकीलों ने दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष इन्हें तुरंत रिहा करने की मांग की। सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत को इस बारे में अपनी कार्यवाही तेज करनी चाहिए, इसके बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई स्थगित कर दी।
कोर्ट ने तिहाड़ जेल को भेजा आदेश
कड़कड़डूमा कोर्ट ने एक्टिविस्टों के वकील से कहा कि उनकी रिहाई के आदेश जारी हो गए हैं और ये आदेश तिहाड़ जेल को ई-मेल के जरिए भेजे जाएंगे। इस बीच, दिल्ली पुलिस ने इन्हें जमानत दिए जाने का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में विशेष अवकाश याचिका लगाई है।
2020 में पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा
फरवरी 2020 में पूर्वी दिल्ली के कई इलाकों में हिंसा हुई थी। तीन दिनों तक चली इस हिंसा एवं उपद्रव में 50 से ज्यादा लोगों की जान गई और संपत्तियों को नुकसान पहुंचा। नरवाल एवं कलिता पर आरोप है कि इन्होंने हिंसा की साजिश रचने एवं सांप्रदायिक हिंसा भड़काने में भूमिका निभाई। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ फरवरी 2020 में पूर्वी दिल्ली के कई इलाकों में प्रदर्शन हुआ जिसके बाद हिंसा भड़की।
हाई कोर्ट ने शर्तों के साथ दी है जमानत
दिल्ली हाई कोर्ट ने तीनों आरोपियों को 50,000 रुपए का बॉन्ड भरने और दो स्थानीय मुचलका भरने का निर्देश दिया। देवांगना चार मामलों एवं नताशा तीन मामलों में आरोपों का सामना कर रही हैं। हाई कोर्ट ने आरोपियों को अपने मोबाइल फोन नंबर स्थानीय एसएचओ के पास सौंपने का भी निर्देश दिया है।