नई दिल्ली : कोरोना वायरस संक्रमण से निपटने के लिए पूरी समर्पण भावना से सेवा में लगे डॉक्टर कई महीनों से इसलिए अपने घर नहीं जा पाये कि कहीं उनके परिवार के सदस्यों में कोविड-19 का संक्रमण न फैल जाये। डॉक्टर अजीत जैन जब देर रात को फोन करते थे तो उनकी बेटियां पूछती थी ‘आप घर कब आओगे?’ दिल्ली में राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में कोरोना वायरस के लिए नोडल अधिकारी लगभग पांच महीने से अपने घर नहीं जा पाये।
ड्यूटी और परिवार के सदस्यों के बीच संक्रमण फैलने के डर की वजह से वह घर नहीं गये। दिलगाड गार्डन स्थित अपने अस्पताल से केवल आधे घंटे की 13 किलोमीटर की यात्रा करके जब वह कमला नगर में स्थित अपने घर पहुंचे तो उनकी दो बेटियों ने दरवाजा खोला और उन्हें गले लगा लिया।
जैन की पत्नी ने उनकी ‘आरती’ की और माथे पर ‘तिलक’ लगाया और उनके बेटे ने डॉक्टर के घर आने का एक वीडियो बनाया। डा. जैन 17 मार्च के बाद पहली बार घर आये। केक काटा गया और परिवार ने लगभग छह महीनों के बाद एक साथ बैठकर खाना खाया।
पिछले 170 दिनों तक काम करने के बाद बृहस्पतिवार को पहली छुट्टी लेने वाले डा. जैन ने कहा, ‘मार्च में जब मामले बढ़ने लगे तो हम समझ गये कि कोविड-19 उन सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है जिसका मानव जाति ने सामना किया है।’ डा. जैन (52) ने कहा, ‘शुरूआत में मैं इस आशंका के कारण घर नहीं गया कि मेरे परिवार में कही संक्रमण न फैल जाये।’
उन्होंने कहा, ‘मेरे माता-पिता की उम्र 75 वर्ष से अधिक है। मैं उनके लिए चिंतित था। मैं उनके जीवन को खतरे में नहीं डालना चाहता था।’ उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के मामले बढ़ने के बीच वह अपने परिवार से फोन पर ही बात करते थे। उन्होंने कहा, ‘लोगों की जान बचाना मेरी पहली प्राथमिकता थी। मैं अपने परिवार से केवल रात लगभग एक या दो बजे बात किया करता था।’
जैन की बेटी आरूषि जैन ने कहा कि परिवार उनके लिए चिंतित था। उन्होंने कहा, ‘हम उनसे पूछा करते थे कि पापा आप घर कब आओगे?’
शुरूआत के तीन महीनों में जैन बहुत कम सो पाते थे और उनका फोन लगातार बजता रहता था। डॉक्टर ने अपना निजी मोबाइल नम्बर कोरोना वायरस के उन सभी मरीजों को दे रखा था जिनका या तो इलाज चल रहा है या स्वस्थ होने के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।