- एनएमसी ने लिया बड़ा फैसला
- डॉक्टर मरीज का इलाज करने से मना कर सकता है
- सरकारी या इमरजेंसी सेवा में शामिल डॉक्टर्स पर लागू नहीं होगा नियम
NMC News: बहुत बार अस्पतालों में डॉक्टर और मरीज के परिजनों के बीच काफी विवाद देखने को मिलता है। कभी-कभी बात इतनी बढ़ जाती है कि हाथापाई तक हो जाती है। कोविड 19 की महामारी के समय से लेकर अब तक डॉक्टर और अस्पताल के स्टाफ पर मरीज के परिजनों की ओर से कई झगड़े की खबर आ चुकी हैं। जिसमें डॉक्टर और अस्पताल के स्टाफ को नुकसान उठाना पड़ा है। ऐसे में डॉक्टरों और स्टाफ पर हिंसक हमले रोकने के लिए राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) ने बड़ा फैसला लिया है।
एनएमसी ने एक मसौदा पेश किया है, इस मसौदा के अनुसार अगर मरीजों या उसके रिश्तेदार डॉक्टर और अस्पताल के स्टाफ के साथ हिंसक बर्ताव या फिर दुर्व्यवहार करते हैं तो डॉक्टर पीड़ित मरीज का इलाज करने से मना कर सकता है। इतना ही नहीं नए मसौदा में यह भी कहा गया है कि अगर किसी अस्पताल में मरीज के इलाज के लिए जिम्मेदार डॉक्टर से मेडिकल रिकॉर्ड की मांग की जाती है तो वह अब 72 घंटे के बजाय सात दिन के अंदर भी भेज सकता है।
डॉक्टर मरीज का इलाज करने से कर सकता है मना
मसौदा राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग पंजीकृत मेडिकल प्रैक्टिशनर (पेशेवर आचरण) नियमन 2022 के मुताबिक, मरीज का इलाज करने वाला डॉक्टर अपने काम के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार होगा और उपयुक्त फीस पाने का हकदार होगा। मरीज या उसके रिश्तेदार की ओर से अगर दुर्व्यवहार या हिंसक बर्ताव होता है तो डॉक्टर मरीज का इलाज करने से मना कर सकता है। वह ऐसे में मरीज को आगे के इलाज के लिए कहीं और भेज सका है।
नियम इमरजेंसी के डॉक्टर्स पर नहीं होगा लागू
हालांकि मसौदा नियम में यह भी साफ किया गया है कि डॉक्टर्स यह जरूर सुनिश्चित करेंगे कि मरीज को इलाज के बिना नहीं जाने दिया जाएगा। इसके अलावा एनएमसी के आचार एवं मेडिकल पंजीकरण बोर्ड के सदस्य डॉ. योगेंदर मलिक ने यह भी कहा कि, अगर डॉक्टर को उसकी निर्धारित फीस नहीं मिलती है तो भी वह इलाज करने से मना कर सकता है। हालांकि, डॉ. योगेंदर मलिक ने यह साफ किया है कि नए मसौदे का यह नियम सरकारी या इमरजेंसी सेवा में शामिल डॉक्टर्स पर लागू नहीं होगा।