- कम टेस्टिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार पर सवाल उठाए
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा- जो जांच कराना चाहते हैं कि उन्हें इससे इंकार न किया जाए
- अन्य राज्य 46% कांटेक्ट ट्रेसिंग कर रहे हैं वहीं दिल्ली में 2% कांटेक्ट ट्रेसिंग हो रही है: BJP
नई दिल्ली: दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा है कि अगर आपको कोरोना टेस्टिंग बढ़वानी है तो भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) से कहिए कि वह अपनी गाइडलाइन बदल दे। हम ICMR की गाइडलाइन की अवहेलना नहीं कर सकते हैं, उन्होंने कुछ शर्तें लगा रखी हैं जो परीक्षण के लिए आवश्यक हैं। आप ICMR से, केंद्र सरकार से कहिए कि उसको हटा दें फिर जो भी चाहे जाकर टेस्ट करा ले।
उनके अलावा आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भी ये ही बात उठाई। उन्होंने कहा, 'ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग बढ़ाने के लिए इस समय सबसे जरूरी है कि ICMR की गाइडलाइन्स की जो बाध्यता है वो खत्म की जाए। मैंने स्वास्थ्य मंत्री जी को पत्र लिखकर गाइडलाइन्स बदलने की अपील की है। ताकि जिन भी लोगों को कोरोना होने की आशंका है वो सब अपना टेस्ट करवा सकें।'
'टेस्टिंग किट दे केंद्र सरकार'
संजय सिंह ने कहा कि सभी लैब्स को लाइसेंस और सभी राज्यों को टेस्टिंग किट्स केंद्र सरकार दे। जब तक लोगों को पता नहीं चलेगा कि वे संक्रमित हैं या नहीं वो इस बीमारी से बचने के लिए जरूरी चिकित्सीय उपचार नहीं लेंगे। इससे आने वाले समय में मृत्यु के आंकड़े बढ़ सकते हैं और स्थितियां भयावह हो सकती हैं।
BJP का AAP सरकार पर निशाना
वही दिल्ली सरकार पर निशाना साधते हुए दिल्ली बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा, 'जो टेस्टिंग मई के महीने में 7,000 से ज्यादा हो रही थी वो जून में 5,000 के आसपास है, जबकि मामले बढ़ रहे हैं। पूरे हिन्दुस्तान में राज्य 46% कांटेक्ट ट्रेसिंग कर रहे हैं वहीं दिल्ली में 2% कांटेक्ट ट्रेसिंग हो रही है।'
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार
दरअसल, शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार का पक्ष रखने वाले एएसजी संजय जैन से सवाल किया, 'आप बताएं कि दिल्ली में टेस्टिंग की संख्या में कटौती क्यों हो रही? हम राज्य सरकार से कहते हैं कि वह टेस्टिंग की संख्या बढ़ाए और जो जांच कराना चाहते हैं कि उन्हें इससे इंकार न किया जाए।' दिल्ली में कोविड-19 की स्थिति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की। शीर्ष अदालत ने इस महामारी को 'भयावह' करार दिया। साथ ही शवों के 'कुप्रबंधन' एवं मरीजों के इलाज में अव्यवस्था को लेकर केजरीवाल सरकार को फटकार लगाई।