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- देश को टीबी बीमारी से मुक्त बनाने की पहल
- सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल के तहत चल रहा अभियान
- 13 अप्रैल तक चलेगा विशेष अभियान
Health & Wellness: हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में टीबी रोगियों की सुविधा के लिए गुणवत्तापूर्ण सेवाओं के साथ-साथ समाज के लोगों के बीच टीबी को लेकर मनोवैज्ञानिक ,सामाजिक स्पोर्ट भी उपलब्ध करायी जा रही है। टीबी जागरुकता के विभिन्न गतिविधियों कराई जा रही है। बताया कि, इन गतिविधियों की मॉनिटरिंग जिला और राज्य स्तर पर की जा रही है। इस दौरान हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर कार्यरत कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर (सीएचओ) पर बड़ी जिम्मेवारी है कि, वो घर के दरवाजे से बाहर आ रहे लोगों को बेहतर ढंग से टीबी की जांच और इलाज के साथ-साथ इससे बचने के लिए लोगों को टीबी के लक्षण और सावधानियों के बारे में अच्छी तरह से जागरूक करें।
अभियान के लिए जनपद को 2,700 सैंपल एकत्र करने का लक्ष्य दिया गया है। यहां 38 आयुष्मान भारत-हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर हैं। इनके प्रभारियों को (सीएचओ) मुख्य रूप से जिम्मेदारी दी गयी है। घर-घर आशा कार्यकर्ता सर्वे और स्क्रीनिंग करेंगी। जो भी संभावित मरीज मिलेगा, उसके बलगम का सैंपल लेंगी। जांच में यदि टीबी होने की पुष्टि होती है तो, उसका तुरंत उपचार शुरू कर दिया जाएगा।
सरकार मरीजों को दे रही 500 रुपए
भारत सरकार की तरफ से टीबी मरीज को उनके इलाज के दौरान प्रति माह 500 रुपये की पोषण राशि भी उनके बैंक अकाउंट में सीधे दी जा रही है। यदि दो सप्ताह या अधिक समय से खांसी हो, बुखार हो या शाम में शरीर गर्म हो रहा हो, वजन में कमी आ रही हो, भूख नहीं लग रहा हो, छाती में दर्द हो रहा हो, खांसने पर बलगम में खून आ रहा हो एवं अत्यधिक कमजोरी एवं थकान लगता हो तो, बिना देर किए नजदीकी टीबी केंद्र में जाकर संपर्क जरूर करें।
बीमारी से यह है नुकसान
शरीर के जिस भी हिस्से में टीबी बीमारी का बैक्टीरिया होता है, उसके टिश्यू को पूरी तरह नष्ट कर देता है। इस कारण उस अंग का काम प्रभावित होता है। अगर, टीबी फेफड़ों में है तो, फेफड़ों को धीरे-धीरे बेकार कर देती है। यूटरस में है तो, इनफर्टिलिटी (बांझपन) की वजह बनती है। रोग हड्डी में हो गया है तो, हड्डी को गला देती है, ब्रेन में है तो मरीज को दौरे पड़ सकते हैं, लिवर में है तो पेट में पानी भर सकता है आदि।