- देश की राजधानी दिल्ली में तेजी से कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं
- इन मामलों ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार की चिंता बढ़ा दी है
- दिल्ली की केजरीवाल सरकार कोरोना को काबू में करने के लिए कड़े फैसले ले सकती है
नई दिल्ली: सर्दियां क्या आई, कोरोना दोबारा से कहर बरपाने लगा है। दरअसल जिस तरह से देश के कुछ हिस्सों के अलावा राजधानी दिल्ली में मामले बढ़े हैं और लोगों की मौतें हो रही है वह चिंता का विषय है। दिल्ली में कोरोना से बचाव के लिए बनाए गए नियमों का किस कदर उल्लंघन हो रहा है उसकी मिसाल तब देखने को मिली जब मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे जरूरी कोविड 19 प्रोटोकॉल्स का उल्लंघन करने के बाद दिल्ली के दो बाजारों को बंद कर दिया गया।
गौर हो कि दिल्ली सरकार ने रविवार को नांगलोई क्षेत्र में पंजाबी बस्ती और जनता मार्केट्स को 30 नवंबर तक बंद करने का आदेश दिया। दरअसल, वेस्ट डिस्ट्रिक्ट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (DDMA) ने पाया कि इन स्थानों पर मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे जरूरी कोविड 19 प्रोटोकॉल्स का उल्लंघन किया गया है। इस घटना के बाद यह फैसला किया गया। यानी अब यह भी साफ है कि दिल्ली सरकार जहां भी ऐसे उल्लंघन होता देखेगी उसके पास बाजारों को बंद करने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं होगा।
कोरोना के आंकड़ों ने बढ़ाई चिंता
नवंबर में कोविड-19 महामारी के प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय राजधानी के लिए सबसे अनिश्चित महीना रहा है। दिल्ली में कोरोना की तीसरी लहर चल रही है। इस बीच, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बढ़ते कोरोनावायरस के आंकड़ों को नियंत्रण में लाने के लिए पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। सार्वजनिक स्थानों पर लोगों द्वारा सामाजिक दूरी और उचित कोविड प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित करने के लिए सरकार कड़ा कड़ा रुख बरत रही है।
दीपावली बाद कोरोना से हर पांचवीं मौत दिल्ली में हुई
देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना से जान गंवाने की संख्या अब तेजी से बढ़ रही है। दिवाली के बाद से अब तक देश में संक्रमण से हुई लगभग पांचवीं मौत दिल्ली में हुई है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक देश भर में 15 से 21 नवंबर तक एक हफ्ते में कुल 3588 कोरोना पीड़ितों की मौत हुई जिसमें दिल्ली में इस दौरान सबसे ज्यादा 751 कोरोना संक्रमण से पीड़ित लोगों की मौत हुई। दिल्ली में कोरोना से अबतक 8,391 मौत हो चुकी है जबकि मुबई में 11440 लोगों की मौत हो चुकी है। दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी ताजा बुलेटिन के अनुसार शनिवार को दिल्ली में 54,893 नमूनों की जांच की गई जिनमें 23,433 आरटी-पीसीआर जांच शामिल हैं। दीवाली के बाद जिस तरह से कोरोना के हालात बिगड़े उसने सरकार के सामने मुसीबत खड़ी कर दी है।
दिल्ली में मौतौं और संक्रमण के आंकड़ों ने बढ़ाई चिंता
दिल्ली में अब तक एक दिन में संक्रमण के सर्वाधिक मामले 11 नवंबर को सामने आए थे जब 8,593 संक्रमितों का पता चला था। उस दिन 85 लोगों की संक्रमण से मृत्यु हो गई थी। गौर हो कि बीते रविवार को संक्रमण से मृत्यु के 121 मामले दर्ज किए गए। पिछले 11 दिन में पांचवीं बार एक दिन में मृत्यु के मामलों की संख्या 100 से अधिक है।
रविवार को इलाज करा रहे संक्रमितों की संख्या 40,212 रही जबकि शनिवार को यह संख्या 39,741 थी। बुलेटिन के मुताबिक दिल्ली में संक्रमण के कुल मामलों की संख्या 5,29,863 पहुंच गई है जिनमें से 4,81,260 लोग स्वस्थ हो चुके हैं। दिल्ली में निषिद्ध क्षेत्रों की संख्या रविवार को 4,697 हो गयी जो शनिवार को 4,633 थी। रविवार के बुलेटिन के अनुसार कोविड अस्पतालों में कुल बिस्तरों की संख्या 17,365 है जिनमें से 7,947 खाली हैं।
दिल्ली सरकार की चुनौती और चिंता
अब दिल्ली सरकार के सामने यह सबसे बड़ी चुनौती है कि वह जिन बाजारों को खोल चुकी है उन्हें कोरोना के भयावह होती स्थिति के बीच बंद करना पड़ा सकता है। एक तरफ व्यापारी वर्ग सरकार के इस कदम का विरोध कर रहे हैं। लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि बाजारों में कोरोना के खिलाफ बनाए गए प्रोटोकॉल का काफी लोग उल्लंघन कर रहे हैं जिससे कोरोना दिल्ली मे तेजी से पांव पसार रहा है।
सरकार की दूसरी चिंता इस बात की होगी कि जो चीजें अनलॉक की गई है उन्हें कोरोना के मद्देनजर दोबारा से बंद करने की स्थिति में काफी दिक्कतें आएंगी और कारोबारी वर्ग उसका काफी विरोध करेगा। लेकिन यह भी सच है कि कोरोना की रफ्तार इतनी ही भयावह रहती है तो सरकार के सामने कड़े फैसले लेने के अलावा कोई रास्त नहीं बचेगा जो दोबारा से लॉकडाउन जैसी स्थिति भी सरकार सोच सकती है। साथ ही सरकार को ताजा हालात में कोरोना को काबू करने के लिए कड़े फैसले लेने होंगे।