- दिल्ली में होम क्वारंटीन से जुड़े नियमों में गुरुवार को एक और बदलाव किया गया है
- मरीजों को अब क्लीनिकल आकलन के लिए कोविड सेंटर जाने की जरूरत नहीं होगी
- यह फैसला राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की बैठक में लिया गया
नई दिल्ली : दिल्ली में कोविड-19 मरीजों के घर पर ही पृथक रहने के लिए उपयुक्त होने या उनके अस्पताल में भर्ती होने को तय करने के लिए एक अनिवार्य क्लीनिकल आकलन एवं व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर सत्यापन कराने संबंधी एसडीएमए के आदेश को गुरुवार को वापस ले लिया गया। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों को घर पर पृथक रहने या अस्पताल में भर्ती होने के संबंध में क्लीनिकल आकलन के लिए कोविड देखभाल केंद्र नहीं जाना होगा।
एसडीएमए की बैठक में लिया गया फैसला
सिसोदिया ने राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीएमए) की बैठक के बाद यह कहा। इसमें उप राज्यपाल अनिल बैजल और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी शामिल हुए। संक्रमित व्यक्ति के कोविड-19 देखभाल केंद्र जाने संबंधी दिशानिर्देश शनिवार से प्रभावी हुआ था, जिसका आम आदमी पार्टी सरकार ने यह कहते हुए सख्त विरोध किया था कि यह प्रशासनिक एवं स्वास्थ्य ढांचे पर बोझ बढ़ाएगा और शहर में अव्यवस्था की स्थिति पैदा हो जाएगी। केजरीवाल ने यह मुद्दा उपराज्यपाल और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के समक्ष भी उठाया था।
'मेडिकल अधिकारी मौके पर करेंगे जांच'
सिसोदिया ने कहा, 'कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के कोविड देखभाल केंद्र जाने की जरूरत के बारे में केंद्र के आदेश को एसडीएमए की बैठक में वापस लेने का फैसला किया गया है।' सिसोदिया ने कहा कि जिन लोगों के भी रैपिड जांच में कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि होगी, उनका मौके पर ही मेडिकल अधिकारी क्लीनिकल आकलन करेंगे।
'होम क्वारंटीन से 30 हजार मरीज संक्रमणमुक्त हुए'
उन्होंने कहा कि आरटी-पीसीआर जांच में जिनके संक्रमित होने की पुष्टि होगी, उनकी हालत का आकलन जिला निगरानी अधिकारी द्वारा भेजी गई टीम करेगी। आम आदमी पार्टी के नेता ने कहा कि दिल्ली में कोविड-19 के मरीज को घर पर ही पृथक रखना काफी सफल रहा है और इस प्रणाली के तहत कोविड-19 के करीब 30,000 मरीज संक्रमणमुक्त हुए हैं।