नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली में भारतीय एवं विदेशी शराब की खुदरा बिक्री से जुड़ी दो श्रेणियों के लाइसेंसों की अवधि 16 नवंबर तक बढ़ाने के लिये दायर याचिकाएं शुक्रवार को खारिज कर दीं। न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ ने कहा कि हम हस्तक्षेप करने को इच्छुक नहीं हैं। याचिकाएं खारिज की जाती है। शीर्ष अदालत उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था, जो दिल्ली उच्च न्यायालय के एक आदेश के बाद दायर की गई थी। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में इन दोनों लाइसेंसों का समय 16 नवंबर तक बढ़ाने से इनकार कर दिया था।
शराब की खुदरा बिक्री के लिए एल 7 लाइसेंस निजी क्षेत्र में भारतीय शराब से, जबकि एल 10 लाइसेंस भारतीय और विदेशी शराब से संबद्ध है। इस हफ्ते की शुरूआत में, एक अन्य याचिका की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने पुरानी आबकारी नीति के तहत एल 7 और एल 10 लाइसेंस रखने वाले खुदरा ठेकों को (30 सितंबर से) बंद किये जाने पर स्थगन आदेश जारी करने से इनकार कर दिया था।
शीर्ष अदालत को दिल्ली सरकार ने बताया कि नयी नीति ने राजस्व को करीब 6,000 करोड़ रुपये से बढ़ा कर 10,000 करोड़ रुपये कर दिया है और शराब के 408 सरकारी ठेकों को 16 नवंबर तक बने रहने की अनुमति दी गई है। पीठ ने याचिकाकर्ताओं के वकील से कहा कि सरकार इस बारे में बहुत दृढ़ है कि इसे 30 सितंबर तक बंद करना है। सरकार ने यह फैसला किया है। वहीं, एक याचिकाकर्ता की ओर से न्यायालय में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि लोग शराब खरीदने के लिए पड़ोस के नोएडा और गुरुग्राम जाएंगे क्योंकि एल 7 और एल 10 लाइसेंस की अवधि नहीं बढ़ाई गई है, जबकि अन्य श्रेणियों के लाइसेंसों का 16 नवंबर तक समय विस्तार कर दिया गया है।
उन्होंने दावा किया कि इससे न सिर्फ राजस्व का नुकसान होगा, बल्कि सरकारी ठेकों पर भीड़ भी लगेगी, जिससे कोविड-19 प्रोटोकॉल का उल्लंघन होगा। दिल्ली सरकार की ओर से न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में शराब के करीब 846 ठेके हैं। पीठ ने सिंघवी से कहा कि याचिकाकर्ताओं ने त्योहारों के समय को लेकर भी यह मुद्दा उठाया है। उन्होंने कहा कि नयी आबकारी नीति के खिलाफ पहले से ही उच्च न्यायालय में कई याचिकाएं लंबित हैं। सिंघवी ने कहा कि यही कारण है कि सभी सरकारी ठेकों को 16 नवंबर तक खोले जाने की अनुमति दी गई है। उन्होंने कहा कि लाइसेंसों की अवधि पहले भी बढ़ाई गई थी और बाद में 30 सितंबर तक इसका समय विस्तार कर दिया गया था।
उच्च न्यायालय ने 29 सितंबर को टिप्पणी की थी कि दिल्ली सरकार को नयी आबकारी नीति,2021 लागू करने का अधिकार है। उल्लेखनीय है कि नयी आबकारी नीति को अवैध, पक्षपातपूर्ण, मनमाना और दिल्ली आबकारी अधिनियम, 2009 का उल्लंघन करने वाला बताते हुए उच्च न्यायालय में कई याचिकाएं दायर की गयी हैं।