देश के अलग अलग सूबों की तरह दिल्ली भी कोरोना महामारी की दूसरी लहर का सामना कर रही है। हाल में दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने 100 से ज्यादा वैक्सीन सेंटर को महज इसलिए बंद करना पड़ा क्योंकि वैक्सीन की कमी थी। लेकिन नीति आयोग के सदस्य ने शनिवार को जो जानकारी दी उससे पता चलता है कि वैक्सीनेशन के लक्ष्य को हासिव करने में दिल्ली सरकार राष्ट्रीय स्तर से पीछे रही है।
राष्ट्रीय स्तर के टारगेट से दिल्ली पीछे
देश में फ्रंटलाइन वर्कर्स के बीच कुल मिलाकर सिंगल-डोज़ टीकाकरण कवरेज 82% है। यह गुजरात में 93%, राजस्थान में 91% और मध्य प्रदेश में 90% है - राष्ट्रीय औसत से काफी ऊपर। दिल्ली में, यह 80% है।राष्ट्रीय स्तर पर स्वास्थ्य कर्मियों के बीच एकल खुराक टीकाकरण कवरेज 89% है। यह राजस्थान में 95%, मध्य प्रदेश में 96% और छत्तीसगढ़ में 99% है। दिल्ली में, यह 78% है, जो राष्ट्रीय औसत से 11% कम है। इसे 95% से ऊपर ले जाना चाहिए।
आरोप और प्रत्यारोप का दौर जारी
प्रति माह कोवैक्सिन की लगभग 1.5 करोड़ खुराक का उत्पादन किया जा रहा है। प्रति माह उत्पादन को 10 करोड़ खुराक तक बढ़ाने की योजना है। सरकार का कहना है कि आने वाले कुछ महीनों में वैक्सीन के कुछ औक विकल्प सामने होंगे। लेकिन इसके साथ विपक्षी दलों का कहना है कि केंद्र सरकार बड़े बड़े दावे कर रही है ये बात अलग है कि वैक्सीन सेंटर्स से लोगों को खाली हाथ लौटना पड़ रहा है। दिल्ली सरकार का कहना है कि उनके पास पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन नहीं है हालांकि केंद्र का कहना है कि टीकाकरण में जिस तरह वायल की बर्बादी हो रही है उसे रोकना होगा।