अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने कहा कि जिन लोगों को कोरोना के दोनों डोज लगाए जा चुके हैं उन्हें मास्क पहनना अनिवार्य नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जिन जगहों पर गाइडलाइंस में मास्क पहनना जरूरी है वहां लोगों को पालन करना होगा। इन सबके बीच भारत में आमतौर पर लोग पूछ रहे हैं कि अगर अमेरिका में डबल डोज के बाद मास्क पहनने की अनिवार्यता खत्म हो चुकी है तो यहां क्यों नहीं हो रहा है। इस सवाल का जवाब बैकथ्रू इंफेक्शन से जुड़ा हुआ है।
क्या होता है ब्रेकथ्रू इंफेक्शन
भारत में लोगों को कोरोना महामारी से बचाने के लिए इस समय कोविशील्ड और कोवैक्सीन दी जा रही है। लाखों लोग वैक्सीन के डो डोज का फायदा उठा चुके हैं लेकिन उन्हें भी मास्क के साथ साथ सोशल डिस्टेंसिंग के पालन की सलाह दी जा रही है। दरअसल वैक्सीन के दोनों डोज के लगने के बाद भी कोरोना संक्रमण की परेशानी आई है। दरअसल ब्रेकथ्रू इंफेक्शन का अर्थ यह है कि अगर वैक्सीन की दो डोज के बाद भी संक्रमण की समस्या का होना।
म्यूटेंट वायरस की वजह से मास्क पहनना जरूरी
इस संबंध में जानकार कहते हैं कि भारत में मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के पालन करने के पीछे की बड़ी वजह यही है कि कोरोना वायरस तेजी से अपने रूप को बदल रहा है और वैसी सूरत में यह कह पाना मुश्किल है कि वैक्सीन बदले हुए रूप में भी प्रभावी होगी। फिलहाल अभी इस तरह के पर्याप्त डेटा भी उपलब्ध नहीं हैं जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि डबल डोज के बाद भी किसी शख्स को संक्रमण नहीं होगा। ऐसी सूरत में मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग ही फिलहाल उपाय है।
अमेरिका के सीडीसी का क्या है कहना
अमेरिका के रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र का कहना है कि कोविड-19 वैक्सीन बीमार पड़ने से बचाने में मददगार है। जिन लोगों ने वैक्सीन की डोज ले ली है। वो सामान्य तौर पर काम कर सकते हैं कि सीडीसी के मुताबित सिंगल डोज सीरीज और दो डोज की सीरीज में दूसरी डोज लेने के दो हफ्ते बाद व्यक्ति को पूरी तरह से वैक्सीनेटेड माना जाएगा। सीडीसी के डॉ एंटोनी फौसी ने कहा कि उन्हें ऐसा लगता है कि कोविशील्ड के दोनों डोज के बीच अंतर न्यायसंगत है। इसके साथ ही कोवैक्सीन के बारे में उन्हें पूरी जानकारी नहीं है। लेकिन स्पूतनिक वी 90 फीसद कारगर है।