- एबीवीपी का दावा-भीड़ का नेतृत्व कर रहे थे लेफ्ट छात्र संगठनों के नेता
- लेफ्ट के छात्र संगठनों ने हिंसा के लिए एबीवीपी को ठहराया है जिम्मेदार
- जेएनयू हिंसा पर राजनीतिक बयानबाजी हुई तेज, गृह मंत्री ने दिया घटना की जांच का आदेश
नई दिल्ली : जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में रविवार को हुई हिंसा पर अलग-अलग दावे किए जा रहे हैं। लेफ्ट के छात्र इस हिंसा के लिए एबीवीपी को जिम्मादार ठहरा रहे हैं जबकि एबीवीपी का आरोप है कि कैंपस में भीड़ का नेतृत्व लेफ्ट छात्र संगठन के नेता कर रहे थे। हिंसा को लेकर दोनों छात्र गुटों के अपने दावे हैं लेकिन परिसर में हिंसा करने वाले नाकाबपोश कौन थे और वे कहां से आए थे, इसका जवाब अभी नहीं मिल पाया है। जेएनयू के लेफ्ट से जुड़े छात्र संगठन इस हिंसा में एबीवीपी का हाथ होने का आरोप लगाया है। कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी पार्टियों ने परिसर में हुए इस उपद्रव एवं हंगामे के लिए एबीवीपी को जिम्मेदार ठहराया है। वहीं, एबीवीपी ने रविवार को हुई हिंसा पर पहली बार अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की और दावा किया कि भीड़ का नेतृत्व लेफ्ट छात्र संगठन के नेता कर रहे थे।
एबीवीपी के छात्र नेता मनीष ने मीडिया से बातचीत में कहा, 'सेमेस्टर परीक्षा के रजिस्ट्रेशन की अंतिम तारीख 5 जनवरी थी। हम लोग अपना रजिस्ट्रेशन कराने जा रहे थे। तभी प्रशासनिक ब्लॉक के बाहर जमा 600-700 लोगों ने 20 लोगों को दौड़ाया। हम लोग इनसे बचने के लिए किसी तरह अपने छात्रावास की तरफ गए। इसके बाद हम पेरियार छात्रावास के बाहर एकत्र हुए। तभी भीड़ ने छात्रावास के भीतर पत्थर फेंकना शुरू कर दिया। ये मॉब के बीच की लड़ाई नहीं है। इन्हें पता है कि किस छात्रावास के किस फ्लोर के किस रूम में एबीवीपी के कार्यकर्ता रहते हैं। मैं जिस कमरे में छिपा था, उसके सभी शीशे, दरवाजे और खिड़कियां तोड़ दी गईं। इस भीड़ का नेतृत्व आईसा के महासचिव सतीश चंद्र यादव कर रहे थे। वहां इन लोगों ने बुरी तरह से चार छात्रों को मारा।'
एबीवीपी नेता ने कहा, 'भीड़ में सतीश चंद्र यादव, आईशी घोष, गीता कुमारी, कासिम, अंकित और अपेक्षा प्रियदर्शी शामिल थे। यहां जामिया से बहुत लोग आए थे। हिंसा के लिए जामिया के वाट्सग्रुप पर बातें चल रही हैं। ये मुंह छिपाए हुए लोग थे। इस हिंसा के लिए ये लोग दो दिनों से साजिश रच रहे थे। जामिया के कुछ लोगों ने हमें बताया कि वहां से 400 से 500 लोग जेएनयू आ रहे हैं। वाट्सएप ग्रुप में इनके जेएनयू में दाखिल होने की व्यवस्था करने की बात कही गई है। यह सुनकर हमें यहां से भागना पड़ा। यहां रविवार को एक बार लाठी नहीं चली है। यहां चार से पांच छात्रावास में छात्रों को मारा गया। इस घटना के बाद एबीवीपी के बहुत सारे लोग लापता हो गया जिन्हें सुरक्षा गार्डों या पुलिस की मदद से ढूंढा गया। एबीवीपी के लोग घायल अवस्था में जंगलों में पाए गए हैं।'
मनीष ने कहा, 'सतीश चंद्र यादव ने मुझ पर हमला किया। शाम चार बजे मैं पेरियार छात्रावास में था तो उस कमरे के बाहर एबीवीपी का स्टिकर लगा था, यह देखकर वे कमरे को दोनों तरफ से दरवाजे को तोड़कर अंदर दाखिल हुए। यह देखकर मैंने भागने की कोशिश की लेकिन उन्होंने मुझे दूसरे विंग में ला जाकर मारा।' उन्होंने कहा, 'एबीवीपी का हिंसा में विश्वास नहीं है। मीडिया को इस हिंसा का वीडियो देखना चाहिए। कमरे में सोए हुए लोगों को मारा गया है। लेफ्ट के छात्र चाहते हैं कि विवि में उनका वर्चस्व कायम रहे एवं रुतबा चलता रहे। आप उनकी बात मानेंगे तभी वे आपको स्वीकार्य करेंगे।'