पूर्वी दिल्ली के गाजीपुर इलाके में एक बड़ा कूड़े का ढेर है, जिसे गाज़ीपुर लैंडफिल साइट के नाम से जाना जाता है। पूर्वी दिल्ली के घरों से निकाले हुए कूड़े को इस डंपिंग यार्ड पर डंप किया जाता है। ये कूड़े-कचरे लोगों की घरों से निकालने से उनके घर ज़रूर साफ हो गए होंगे। लेकिन ये कूड़े जहां ढेर में तब्दील हो रहे हैं वहां के लोगों के लिए किसी नरक से कम नहीं है।
सोमवार दोपहर गाज़ीपुर लैंडफिल साइट पर अचानक से आग लग गई। आग इतनी तेज थी कि धीरे-धीरे आग ने आधे से ज्यादा कूड़े के पहाड़ को अपनी ज़द में ले लिया। फायर ब्रिगेड की कई टीम ने दिन-रात की मेहनत की। कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू में पाने में 5 दिन लगे और गुरुवार देर रात आग बुझ गई। लेकिन आग पर काबू पाने के बावजूद अभी भी पहाड़ के कई हिस्सों में सुलगते हुए आग के धुएं दिखाई दे रहे हैं।
धुएं से जिंदगी मुहाल
आग की लपट इतनी तेज थी कि उससे निकलने वाला धुआं और उस धुएं से निकलती हुई जहरीली गैस आसपास के मोहल्लों में पहुंचने लगी। धुएं ने लोगों की जिंदगी को मुहाल कर दिया। लोगों के दम घुटने लगे। खासकर जो बुजुर्ग थे या जिन्हें सांस संबंधित बीमारियां थी। जब लोगों के जिंदगी में ज्यादा परेशानियां बढ़ने लगी तो बेचैन होकर अपने घर, मोहल्ले को छोड़ रिश्तेदारों के यहां चले गए और अपनी जिंदगी बचाने की जद्दोजहद करने लगे। लेकिन जब आग पर काबू पाया गया और बड़ी मात्रा में धुएं में कमी आई। तब जाकर अब लोग धीरे धीरे अपने घर लौटने लगे।
गाज़ीपुर बॉर्डर पास मुल्ला कॉलोनी है। यहां रह रहे लोगों का कहना है कि इस कूड़े के ढेर से हमेशा बदबू आती है। इस बदबू की वजह से इस मोहल्ले में रहने वाले हर किसी को कोई न कोई बीमारी है। गर्मी में अमूमन आग लगनी तय है और बरसात में पहाड़ नुमा ढेर जरूर फिसलता है। यानी की पूरे साल यह पहाड़ हम लोगों की जिंदगी में किसी भयावह दंश से कम नहीं है।