- गोरखपुर की जनसभा में पीएम नरेंद्र मोदी ने लाल टोपी का किया था जिक्र
- लाल टोपी को रेड अलर्ट यानी खतरे की घंटी बताया था
- समाजवादी पार्टी ने कहा रेल अलर्ट बीजेपी के लिए है
गोरखपुर को पीएम नरेंद्र मोदी ने फर्टिलाइजर कारखाने और एम्स की सौगात दी। उसके बाद एक जनसभा संबोधित की जिसमें लाल टोपी का जिक्र किया और बताया कि लाल टोपी मतलब रेड अलर्ड यानी खतरे की घंटी। उन्होंने लाल टोपी का जिक्र कर संकेतों के माध्यम से समाजवादी पार्टी पर निशाना साधा। समाजवादी पार्टी ने भी इस मुद्दे का जवाब मेरठ की परिवर्तन रैली में दिया। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि रेड अलर्ट बीजेपी के लिए है। अखिलेश यादव के साथ साथ उनके नायबों ने कई तर्कों के जरिए यह साबित करने की कोशिश की पीएम मोदी ने एक मुद्दा दे दिया है। बुधवार को संसद परिसर में गांधी प्रतिमा के नीचे अखिलेश यादव सांकेतिक धरने पर बैठे और कहा कि बीजेपी, देश के नायकों का, लोगों का अपमान कर रही है। तो सवाल यह कि क्या लाल टोपी चुनाव में मुद्दा बनेगा।
जया बच्चन ने क्या कहा
समाजवादी पार्टी की राज्यसभा सांसद जया बच्चन ने कहा कि उन्हें लाल टोपी पर गर्व है और वो उसे रोज पहनकर संसद आएंगी। इसके साथ ही कहा कि दरअसल बीजेपी के पास काम के नाम पर गिनाने के लिए कुछ भी नहीं है तो उसके नेता इस तरह की बातें करते हैं। समाज को किस तरह से बांट कर राजनीति की जाए, सत्ता सुख किस तरह से लिया जाए यही तो बीजेपी का एजेंडा रहा है। दुर्भाग्य से वो जनता को बरगलाने में कामयाब रहे। लेकिन अब दाल नहीं गलने वाली है।
क्या कहते हैं जानकार
जानकार कहते हैं कि राजनीति में संकेतों की अहम भूमिका होती है। 2019 के आम चुनाव को देखें तो किस तरह से चुनाव के अंतिम चरण में कांग्रेस के टेक्नोक्रेट चेहरे सैम पित्रोदा के एक कोट को पीएम नरेंद्र मोदी मे भूना लिया। सवाल यह है कि जब कोई इस तरह से तंज कसता है तो विरोधी उसका जवाब किस तरह देते हैं। पीएम मोदी मे लाल टोपी को रेड अलर्ट से जोड़ समाजवादी पार्टी पर जिस तरह से निशाना साधा वो लोगों को अपील कर रहा था। जब उन्होंने लाल टोपी को लाल बत्ती से जोड़ा, लाल टोपी को गुंडागर्दी से जोड़ा तो लोगों को बताने की कोशिश की आप समझ सकते हैं लाल टोपी मतलब खतरा। हालांकि लाल टोपी के तंज पर समाजवादी पार्टी ने लखीमपुरी खीरी हिंसा, पुलिस अत्याचार से जोड़ते हुए कहा कि यह सब घटनाएं उस सरकार में हुई हैं जो अपने आपको सर्व समाज के हितैषी होने का दावा करती थी। आने वाले चुनाव में यह स्लोगन कितनी देर तक जिंदा रहेगा यह देखना होगा।