- यूपी में 10 फरवरी से सात मार्च तक एग्जिट पोल पर रोक
- निर्वाचन आयोग का फैसला, कई दलों ने की थी मांग
- उल्लंघन करने वालों को दो साल की सजा और भारी जु्र्माने का प्रावधान
यूपी में 10 फरवरी से सात मार्च शाम 6.30 तक एग्जिट पोल पर रोक लगा दिया है। बता दें कि यूपी में पहले चरण का चुनाव 10 फरवरी और सातवें चरण का चुनाव सात मार्च को संपन्न होगा। बैन के दौरान ना तो एग्जिट पोल की रिपोर्ट को दिखाया जाएगा और ना ही प्रिंट मीडिया पब्लिश करेगा। जो लोग इसका पालन नहीं करेंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी जिसमें दो साल की सजा और भारी जुर्माने का प्रावधान है।
निर्वाचन आयोग का फैसला
उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश के मुताबिक विधानसभा चुनाव 2022 के अंतर्गत 10 फरवरी 2022 से 7 मार्च किसी भी प्रकार के एग्जिट पोल का आयोजन करना तथा प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा इसके परिणाम के प्रकाशन या प्रचार अथवा किसी भी अन्य तरीके से उसका प्रचार प्रसार करना प्रतिबंध के दायरे में आएगा। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 126 का में यह स्पष्ट है कि कोई भी व्यक्ति कोई निर्गम मत सर्वेक्षण नहीं करेगा और किसी ओपिनियन सर्वेक्षण के परिणाम का ऐसी अवधि के दौरान जो निर्वाचन आयोग द्वारा इस संबंध में अधिसूचित की जाए प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से प्रकाशन या प्रचार यह किसी भी प्रकार से नहीं करेगा।
एसपी समेत कई दलों की मांग थी
बता दें कि यूपी के कई राजनीतिक दलों ने निर्वाचन आयोग से ओपिनियन पोल पर रोक लगाने की मांग की थी। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ओपिनियन पोल को ओपियम पोल करार दिया था। उन्होंने कहा था कि इस तरह के सर्वे अक्सर पक्षपातपूर्ण होते हैं और किसी भी खास दल के प्रति भ्रम की स्थिति बनाते हैं लिहाजा बैन करना ही सही कदम होगा