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EVM आरोप प्रत्यारोप के बीच जानें क्या होता है स्ट्रॉन्ग रूम, इस तरह की जाती है ईवीएम की निगरानी

वरुण भसीन | CORRESPONDENT
Updated Mar 09, 2022 | 13:08 IST

चुनावो का अब बस परिणाम  आना है बाकी है और अब फिर एक बार EVM  पर बात हो रही है  -आरोप प्रत्यारोप चल रहे है।  इस बार Strong Room की भी बात हो रही है.  पर जनता के मत को संभालने वाला स्ट्रांग रूम होता क्या है। टाइम्स नाउ नवभारत की ground रिपोर्ट - गौतमबुध नगर  से काउंटिंग सेंटर से-

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तस्वीर साभार:&nbspBCCL
EVM आरोप प्रत्यारोप के बीच जानें क्या होता है स्ट्रॉन्ग रूम
मुख्य बातें
  • चुनाव नतीजे आने से पहले ही ईवीएम को लेकर शुरू हो गया बवाल
  • जानिए कैसे स्ट्रॉन्गरूम में रखी जाती है ईवीएम, और कैसे होती है सुरक्षा
  • ईवीएम पर होता है सुरक्षा का सख्त पहरा

असल में स्ट्रॉन्ग रूम को लेकर ये बात तो पता है कि यहां EVM और VVPAT मशीनें वोट डलने के बाद रखी जाती हैं, लेकिन आखिर इनमें क्या खास होता है? क्या नियम है इन स्ट्रॉन्ग रूम को लेकर? और इनकी रखवाली कैसे की जाती है? EVM and VVPAT Strong Room की सुरक्षा के लिए थ्री-लेयर सुरक्षा का इंतजाम किया जाता है। ये पूरे देश में लागू होता है. इन स्ट्रॉन्ग रूम्स में चुनाव आयोग का पूरा नियंत्रण रहता है।  स्ट्रॉन्ग रूम  किसी सरकारी बिल्डिंग में ही बन सकता है. इसे किसी भी गैर सरकारी बिल्डिंग में नहीं बनाया जा सकता।

इस तरह रखी जाती है ईवीएम

बिल्डिंग के बाद स्ट्रॉन्ग रूम चयनित किया जाता है जिसके लिए भी कई तरह के नियम होते हैं। स्ट्रॉन्ग रूम कोई ऐसी जगह नहीं हो सकती जहां बाढ़ या पानी आने का कोई भी खतरा हो जैसे बेसमेंट में, छत के सीधे नीचे वाले कमरे में, किचन या कैंटीन के नीचे या चिलर प्लांट के पास, बिल्डिंग के वाटर टैंक के पास या किसी टॉयलेट या पैंट्री के पास, यहां तक कि स्ट्रॉन्ग रूम किसी सीढ़ी या बिल्डिंग के किसी निचले हिस्से के पास भी नहीं हो सकता। यहां तक कि स्ट्रॉन्ग रूम के पास कोई अंडर-कंस्ट्रक्शन बिल्डिंग भी नहीं हो सकती है। ताकि पानी या किसी भी तरह EVM को नुकसान की कोई समस्या न रह जाए। बिल्डिंग की सुरक्षा जिम्मेदारी पहले से ही निर्धारित की जाती है।  सुरक्षा फोर्स हर तरह की गतिविधी पर ध्यान रखती हैं. अगर आस-पास कोई कंस्ट्रक्शन हो भी रहा है तो ये ध्यान रखा जाता है।

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तकनीक का भी रखा जाता है ध्यान

स्ट्रॉन्ग रूम में तकनीक का भी बहुत ध्यान रखा जाता है जैसे इलेक्ट्रिकल स्विच, एसी, LAN आदि को खास तौर पर चुनाव आयोग के निर्देशों के आधार पर बनाया जाता है। इसे आग न लग सकने वाले डस्ट-फ्री मटेरियल से बनाया जाता है और साथ ही साथ ऐसी सुरक्षा रखी जाती है कि बाहर से फिजिकल या वर्चुअल तौर पर कोई कनेक्शन न रह जाए।

EVM and VVPAT Strong Room की सुरक्षा

सेंट्रल पैरा मिलिट्री फोर्स (CPMF) स्ट्रॉन्ग रूम के अंदरूनी हिस्से की सुरक्षा के लिए होती है।  ये वो जगह होती है जहां EVM और VVPAT रखे जाते हैं. इस कमरे का बाहरी हिस्सा राज्य सुरक्षा बलों की सुरक्षा में रहता है. ये भी हथियारों से लैस कमांडो होते हैं।  इसके अलावा, तीसरा घेरा होता है स्थानीय पुलिस और अन्य स्थानीय सुरक्षा बलों का जिन्हें उस बिल्डिंग के आस-पास गलियों और सड़कों की सुरक्षा की जिम्मेदारी दी जाती है। District Collectorate (DC) और Superintendent of Police (SP) खुद उनके इलाके के स्ट्रॉन्ग रूम की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेते हैं। उन्हें चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित हर नियम को मानना होता है और उसका पूरी जिम्मेदारी से पालन करना होता है।

स्ट्रॉन्ग रूम के अंदरूनी और बाहरी हिस्से की सुरक्षा हथियार धारक सुरक्षा बलों के जिम्मे होती है। सुरक्षा की जिम्मेदारी के लिए कई लोग जिम्मेदार होते हैं. इन स्ट्रॉन्ग रूम को 24*7 वीडियोग्राफी के साथ-साथ हथियारधारक सुरक्षा बलों की निगरानी में रखी जाती है। स्ट्रॉन्ग रूम में सिर्फ एक ही एंट्री प्वाइंट होता है और इसमें डबल लॉक सिस्टम होता है. इसकी एक चाभी चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित रिटर्निंग ऑफिसर और दूसरी असिस्टेंट रिटर्निंग ऑफिसर के पास होती है. Strong Room के अन्य एंट्री प्वाइंट यहां तक कि खिड़कियों को भी इस तरह से सील किया जाता है कि बाहर से कोई भी अंदर न जा सके।

लिखित में भी रखा जाता है Strong Room की सुरक्षा का रिकॉर्ड

न सिर्फ स्ट्रॉन्ग रूम का एंट्री प्वाइंट CCTV कवरेज के साथ रहता है बल्कि इसके लिए लिखित रिकॉर्ड भी मेनटेन किए जाते हैं. इसमें तारीख, समय, घंटे और नाम के हिसाब से वहां हो रही हर हरकत को रिकॉर्ड किया जाता है। इसमें SP, DC, DEO जैसे अफसरों और राजनीतिक पार्टियों के प्रत्याशी और कार्यकर्ताओं का आना-जाना भी शामिल होता है।

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स्ट्रॉन्ग रूम से काउंटिंग हॉल तक की सुरक्षा

अगर काउंटिंग हॉल EVM Strong Room के आस-पास होता है तो उस रास्ते की निगरानी भी रखी जाती है। इसके लिए SP या DEO की जिम्मेदारी पहले से ही निर्धारित रहती है। ये ध्यान रखने वाली बात है कि न तो स्ट्रॉन्ग रूम के अंदरूनी हिस्से में कोई जा पाए न ही वहां सुरक्षा की कोई कमी हो। साथ ही, EVM ट्रांसफर करते समय भी कोई समस्या न हो।अगर काउंटिंग हॉल दूर है तब स्ट्रॉन्ग रूम से लेकर काउंटिंग हॉल तक बैरिकेड के जरिए सुरक्षा की जाती है।

सभी जगहों पर हथियारों के साथ सुरक्षा कर्मी तैनात रहते हैं। रास्ते की सुरक्षा इस हिसाब से रखी जाती है कि किसी भी संसद क्षेत्र की ईवीएम उसी के काउंटिंग हॉल तक पहुंचे किसी अन्य तक नहीं। काउंटिंग के दौरान CCTV कैमरा भी लगाया जाता है. ये EVM स्ट्रॉन्ग रूम से काउंटिंग हॉल ले जाते समय भी लगाए जाते हैं. ताकि सुरक्षा में कोई कमी न रह जाए। स्ट्रॉन्ग रूम के पास जो कंट्रोल रूम होता है उसे 24*7 चलाया जाता है और एक राजपत्रित अधिकारी (gazetted officer) और एक पुलिस अधिकारी हर समय ड्यूटी पर रहते हैं।