- पंजाब की 117 विधान सीटों में से 69 सीटें मालवा क्षेत्र से आती हैं
- 1966 में पुनर्गठन के बाद बने नए पंजाब में अब तक 18 बार मुख्यमंत्री बन चुके हैं
- पंजाब में ऐसी कहावत है कि जिसका मालवा उसका पंजाब
नई दिल्ली: साल 1966 में हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के अलग होने के बाद बने पंजाब को करीब 55 साल हो गए हैं। लेकिन इन 55 साल में पहली बार पंजाब में ऐसा चुनाव हो रहा है कि मुकाबला एक-दो-तीन नहीं बहुकोणीय हो गया है। मैदान में मुख्यमंत्री पद के लिए चार प्रमुख उम्मीदवार है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इस बार का चुनाव हर बार से अलग परिणाम देगा। लेकिन बहुकोणीय मुकाबले के बीच भी लगता है इस बार भी मालवा क्षेत्र से ही राज्य को मुख्यमंत्री मिलेगा।
मैदान में 4 मुख्यमंत्री उम्मीदवार
सत्ता की रेस में कांग्रेस ने जहां चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया है। वहीं आम आदमी पार्टी ने भगवंत मान और शिरोमणि अकाली दल (बादल) और बसपा गठबंधन से सुखबीर सिंह बादल मुख्यमंत्री का चेहरा है। इसके अलावा 22 किसान संगठनों ने संयुक्त समाज मोर्चा की ओर से बलवीर राजेवाल को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया है। हालांकि संयुक्त समाज मोर्चा में मतभेद में उभर गए हैं और कई किसान संगठनों ने खुद को मोर्चे से अलग कर लिया है।
इसके अलावा भाजपा ने कैप्टन अमरिंदर सिंह की पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस पार्टी और शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) के साथ गठबंधन कर रखा है लेकिन इस गठबंधन ने मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित नहीं किया है।
मालावा क्यों है अहम
1966 में पुनर्गठन के बाद बने नए पंजाब में अब तक 18 बार मुख्यमंत्री बन चुके हैं। और अहम बात यह है कि 18 में से 17 बार मुख्यमंत्री मालवा क्षेत्र से बने हैं। पंजाब में ऐसी कहावत है कि जिसका मालवा उसका पंजाब। इसकी वजह यह है कि पंजाब की कुल 117 विधानसभा सीटों में 69 सीटें मालवा क्षेत्र से आती हैं। इसके बाद इसके बाद माझा क्षेत्र में 25 और दोआब क्षेत्र में 23 सीटें हैं। ऐसे में जाहिर है कि आधी से ज्यादा सीटें मालवा क्षेत्र में हैं। इसलिए जो नेता यहां से अपनी पार्टी को जीत दिलाता है, वह खुद ही मुख्यमंत्री पद के लिए मजबूत बन जाता है।
इस बार भी मालवा से मुख्यमंत्री की उम्मीद
इस बार प्रमुख मुख्यमंत्री चेहरों को देखा जाय तो सुखबीर सिंह बादल जलालाबाद सीट से, चरणजीत सिंह चन्नी चमकौर साहिब और भदौर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। और भगवंत मान धुरी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। जिस तरह प्रमुख दलों के उम्मीदवार मालवा से ही अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इसे देखते हुए, ऐसी संभावना है कि एक बार फिर मालवा से पंजाब को 'सरदार' (मुख्यमंत्री) मिलेगा।
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