- गुजरात विधानसभा चुनावों में जनेऊ पहने राहुल गांधी की तस्वीर वायरल हुई थी।
- प्रियंका गांधी ने असम में चुनावों के दौरान कई मंदिरों में दर्शन किए थे।
- एंटनी कमेटी ने कांग्रेस की हार के लिए मुस्मिल परस्त छवि को एक बड़ा कारण बताया था।
नई दिल्ली: वैसे तो मौका , महंगाई के विरोध में रैली का था। लेकिन 12 दिसंबर को जयपुर में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अलग ही अंदाज में अपनी बात रखी। उन्होंने रैली में आई जनता को हिंदू और हिंदुत्ववादी के बीच का अंतर समझाने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि जो हिंदू होता है वह हर धर्म को मानता है लेकिन जो हिंदुत्ववादी होता है वह किसी धर्म को नहीं मानता है। वह सिर्फ हिंसा में विश्वास रखता है। राहुल ने यह भी कहा कि मैं हिंदू हूं और अहिंसा में विश्वास रखता हूं। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी हिंदू थे और गोडसे हिंदुत्ववादी था।
इसके बाद राहुल फिर एक बार इस अंतर को अपने पुराने संसदीय क्षेत्र अमेठी में समझाते हुए नजर आए। वहां उन्होंने पद यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा, उन्होंने कहा कि 'हिंदुत्ववादी गंगा में अकेला स्नान करता है। हिंदू गंगा में करोड़ों लोगों के साथ स्नान करता है। एक तरफ सच है, दूसरी तरफ झूठ है। हिंदू सच बोलते हैं, हिंदुत्ववादी झूठ बोलते हैं।
जाहिर है राहुल गांधी भाजपा को हिंदुत्व की पिच पर चुनौती देने की कोशिश कर रहे हैं। अहम बात यह है कि एक बार फिर उन्होंने यह चुनौती चुनावों के समय दी है। लेकिन अभी तक उनका यह प्रयोग बहुत सफल नहीं हो पाया है।
चुनाव के समय छेड़ते हैं राहुल बहस
ऐसा नहीं है कि राहुल गांधी ने हिंदुत्व का कार्ड पहली बार खेला है। वह 2017 के गुजरात, तमिलनाडु के विधानसभा चुनावों में भी हिंदुत्व के मुद्दे पर राजनीति कर चुके हैं। यही नहीं असम के विधान सभा चुनाव और उत्तर प्रदेश के चुनावों में भी उनकी बहन और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी मंदिर-मंदिर जाने की कवायद करती रही हैं।
राहुल गांधी के हिंदू होने का विवाद 2017 में गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान उठा। वह सोमनाथ मंदिर दर्शन के लिए पहुंचे थे। मंदिर में नियम है कि गैर-हिंदू अनुमति लेने के बाद ही उसमें दर्शन कर सकता है। साथ ही इसके लिए बनाए गए रजिस्टर में गैर-हिंदुओं को अपना नाम और विवरण भरना होता है। उस रजिस्टर में राहुल गांधी का नाम दर्ज किया गया था। इसके बाद यह सवाल उठने लगा कि राहुल को गैर-हिंदू के तौर पर एंट्री क्यों करनी पड़ी। इसके बाद राहुल गांधी के जनेऊधारी होने का मुद्दा उठा। राहुल गांधी की जनेऊ और रुद्राक्ष की माला पहने हुए तस्वीरें वायरल हुईं। कांग्रेस ने राहुल को जनेऊधारी हिंदू बताया था। इसके अलावा राहुल गांधी बीच-बीच कैलाश यात्रा की तस्वीरें भी डालते रहते हैं।
अभी तक फेल हुआ है दांव
हालांकि अभी तक राहुल गांधी का हिंदू कार्ड कांग्रेस की नैया नहीं पार लगा पाया है। गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत हुई, उसके बाद असम में भी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है। उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश में भी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। इस बीच पंजाब, छत्तीसगढ़, राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनी, वहीं मध्यप्रदेश में उनकी सरकार गिर गई और भाजपा दोबारा सत्ता में आई। वहीं केरल, पश्चिम बंगाल, बिहार में पार्टी का प्रदर्शन खराब रहा ।
ए.के.एंटनी कमेटी ने रणनीति पर उठाए थे सवाल
2014 में जब कांग्रेस को लोकसभा चुनावों में 44 सीटों मिली, तो उसके बाद पार्टी की हार पर कांग्रेस ने वरिष्ठ नेता ए.के.एंटनी की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई थी। जिसने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि पार्टी को मुस्लिम परस्त छवि का नुकसान हुआ है। असल में जिस तरह यूपीए-2 के दौरान हिंदू आतंकवाद का मुद्दा उठाया था और उनके नेताओं ने हिंदू विरोधी बयान दिए। उससे भाजपा को पार्टी की हिंदू विरोधी छवि बनाने का मौका मिल गया। अब एक बार फिर राहुल गांधी हिंदू कार्ड को खेल रहे हैं। अब देखना यह है कि यूपी सहित 5 राज्यों के चुनाव में उनका यह दांव कितना काम आता है।