Rashtravad : यूपी चुनाव में अब कुछ ही महीने का वक्त बचा हुआ है लेकिन जो जनता के अहम मुद्दे होते हैं वो इन चुनावी रैलियों से गायब हैं। सभी पार्टियां चुनाव जीतने के लिए हर हथकंडे अपना रही है। जमकर ध्रुवीकरण की सियासत की जा रही है। महंगाई, बेरोजगारी, विकास की बातें कोई नहीं कर रहा है। हर पार्टी वोटों के ध्रुवीकरण कर तुष्टिकरण का खेल खेल रही है। बीजेपी की नजर हिंदू वोट पर है तो ओवैसी और अखिलेश मुस्लिम वोट बैंक को अपने पाले में लगे हुए हैं। वहीं कांग्रेस तो हिंदुत्व पर सीधे सवाल उठा रही है।
चुनाव के अहम मुद्दे गायब हैं। राजनीतिक पार्टियों के नेताओं की चुनावी रैली को आप सुनेंगे तो आपको विकास की बात कम ही नजर आएगी। अहम बात वोटरों को भड़कार अपने पाले में करने की है। कोशिश यही हो रही है कि मतदाताओं को ध्रुवीकरण के जाल में फंसाकर अपने पाले में कर दिया जाय जिससे सत्ता हासिल हो सके। हिंदू मुस्लिम सभी तरह का कार्ड खेला जा रहा है। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ कह रहे हैं कि अयोध्या काशी में भव्य मंदिर का निर्माण हो चुका है अब मथुरा वृंदावन की बारी है।
देश के गृहमंत्री अमित शाह ने कल मुरादाबाद में रैली के दौरान अखिलेश यादव पर हमला बोला और कहा कि निजाम का मतलब शासक होता है लेकिन अखिलेश के निजाम का मतलब नसीमुद्दीन ....इमरान मसूद ...आजम खान और मुख्तार है। तो अमित शाह के बयान पर ओवैसी ने तंज कसा और ट्वीट कर निजाम बदलने की बात कही।
बीजेपी नेताओं के बयान के बाद दूसरी पार्टिया भी जमकर तुष्टिकरण कर रही हैं। ओवैसी हो, अखिलेश हो या राजभर हो, हर कोई मुसलमानों को अपने पाले में लाने के लिए जमकर तुष्टिकरण की राजनीति कर रहा है कोई मुसलमानों को अपना लीडर चुनने की बात कर रहा तो कोई जिन्ना को आजादी का मसीहा बता रहा है।
ऐसे में आज राष्ट्रवाद में सवाल हैं:-
यूपी को किसका 'निजाम' पसंद है ?
जिन्ना, दंगा, मालेगांव..अब 'मथुरा' कार्ड ?
नेताओं की 'डिक्शनरी' से विकास के मुद्दे गायब?
ध्रुवीकरण कराएंगे....वोट पाएंगे ?