- सोनभद्र जिले में सातवें चरण यानि सात मार्च को डाले जाएंगे वोट
- कनहर बांध परियोजना के लिए गांवों की जमीन अधिग्रहीत हुई है
- परियोजना के शुरू हो जाने पर जिले में बिखर जाएंगे इन गांवों के लोग
लखनऊ : उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 403 सीटों के लिए चुनाव सात चरणों में होने जा रहे हैं। पहले चरण की वोटिंग 20 फरवरी और अंतिम चरण का मतदान 7 मार्च को होगा। इस अंतिम चरण में ही सोनभद्र जिले की दुद्धी विधानसभा सीट के लिए भी वोट डाले जाएंगे। इसी विधानसभा में आने वाला सुंदरी गांव उन 11 गांवों में शामिल है जहां के लोग इस बार 'अंतिम बार' मतदान करेंगे। इस चुनाव के बाद इन गांवों में रहने वाले लोगों की पहचान हमेशा के लिए बदल जाएगी।
कनहर बांध परियोजना में जाएगी जमीन
दरअसल, इसकी वजह कनहर बांध परियोजना है। इस सिंचाई परियोजना का पानी इन गांवों से होकर बहेगा। इस बांध परियोजना के इस साल के अंत में शुरू हो जाने की उम्मीद है। इस परियोजना का निर्माण कार्य 2020-21 में पूरा हो जाना था लेकिन कोरोना महामारी की वजह से इसमें देरी हुई। टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक सुंदरी गांव के विश्वनाथ खरवार का कहना है कि जब इस बांध की आधारशिला 1976 में रखी गई तब उनकी उम्र महज 10 साल थी।
अयोध्या से वोट का धर्मचक्र, सरयू के शहर में इस बार किसकी लहर ?
पिछले चुनावों को याद कर रहे लोग
विश्वनाथ ने कहा, 'इस बांध की शुरुआत देखने के लिए गांव के लोगों ने वर्षों तक इंतजार किया है। बांध परियोजना का काम जब शुरू हुआ तो हमसे एक करार हुआ। गांव के प्रत्येक परिवार को जमीन के बदले केवल 7.11 लाख रुपए मिल रहे हैं।' वहीं गांव के लोग इसे 'अंतिम चुनाव' मानकर पिछले समय के मतदान एवं चुनावों को याद कर रहे हैं।
क्षेत्र का बेहतर भविष्य चाहते हैं लोग
सुगवामन गांव की रानी देवी का कहना है कि विधानसभा चुनाव के बाद चीजें बदलेंगी। नदी का पानी हमारी जमीन से होकर बहेगा। इसके बाद हम रहने के लिए सोनभद्र के अलग-अलग हिस्सों में चले जाएंगे। उन्होंने कहा, 'मैं केवल यही उम्मीद करती हूं कि मेरा अंतिम वोट क्षेत्र के लिए बेहतर भविष्य लेकर आए।' इन 11 गावों के 25 हजार से ज्यादा ग्रामीणों की दशा के बारे में कोरची गांव के पूर्व प्रमुख गंभीरा प्रसाद का कहना है कि वह लोगों की मांग को लेकर सभी दलों के पास जा रहे हैं।
पश्चिमी यूपी में इमरान मसूद और चंद्रशेखर से हो गई चूक ! जानें अखिलेश से क्यों बिगड़ी बात
मुआवजा राशि दोगुना करने की मांग
प्रसाद ने कहा, 'केवल चुनाव के दौरान राजनीतिक दल हमारी बात सुनते हैं। हमने इस बार फैसला किया है कि हमारी भलाई के लिए जो दल कुछ करेगा हम उसी का समर्थन करेंगे।' सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि परियोजना के लिए 65 प्रतिशत जमीन का अधिग्रहण हो चुका है लेकिन कुछ लोग हैं जो उनका साथ नहीं दे रहे हैं। ग्रामीण चाहते हैं कि उनके मुआवजे की राशि दोगुनी की जाए। इलाके से विस्थापित होने वाले परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी एवं आवास देने की भी मांग की जा रही है।