Sirathu, UP Deputy Chief Minister Keshav Prasad Maurya's constituency: लखनऊ से लगभग तीन घंटे की दूरी पर बसा सिराथु चुनाव से पहले एक आम कस्बा था, लेकिन जबसे यहां से केशव प्रसाद मौर्य के चुनाव लड़ने का ऐलान हुआ, तबसे यह हॉट सीट बन गई हैं। ये यूपी की चर्चित विधानसभाओं में से एक हैं और डेप्युटी सीएम का पैतृक आवास भी इसी सिराथु में हैं ।
जैसे ही हम सिराथु में प्रवेश हुए यहां मां शीतलाधाम कड़ादेवी मंदिर का बोर्ड देखा। ये मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक हैं और इसलिए भक्तों का आना यहां अगल-बगल के जिलों के अलावा अलग राज्यों से भी लगा रहता है। इस धाम के लिए कहा जाता है कि मां सती के हाथ यानी कर (जिससे कड़ा नाम हुआ) यहां गिरे थे और तबसे यह जगह एक शक्तिपीठ है और कड़ाधाम नाम से विख्यात है।
लेकिन दिलचस्प बात ये है कि यहां के लोगों का मानना है कि यहां शीतलाधाम होने के बावजूद इसकी प्रसिद्धि उतनी नहीं हुई, जितनी तब हुई जब ये ऐलान हुआ कि डेप्युटी सीएम केशव प्रसाद मौर्य यहां से चुनाव लड़ेंगे। स्थानीय लोगों ने कहा कि उनके प्रचार शुरू करने के बाद से लगातार बड़े नेता, मीडिया सब यहां पहुंचे, जो आज से पहले सिराथु नहीं गए थे।
सामुदायिक अस्पताल के सामने चाय समोसे की दुकान लगाए राजकुमार से हमने पूछा कि लहर किसकी है? तो उसने कहा, ये केशव प्रसाद मौर्य का गांव है। यहां उन्हें पसंद करने वाले बहुत से लोग हैं। वहीं, दुकान पर मौजूद महिला ने भी अपनी बात रखी और कहा, केशव प्रसाद मौर्य यहां के एक गांव से हैं और इसलिए इस नाते उनके जेठ लगते हैं। उन्होंने गांव में सड़कें बनवाई हैं, सिराथु का विकास किया है।
हमने पान की दुकान पर भी लोगों की राय ली तो वहां नीरज नाम के एक शख्स ने यहां केशव प्रसाद मौर्य के लोकप्रिय होने का जिक्र किया। लेकिन दुकान में मौजूद युवा ने नौकरी का मसला उठाया। युवक ने कहा, दुकान सम्भालता हूं, क्योंकि नौकरियां नहीं हैं। अगर किसी को नौकरी करनी है तो सिराथु से बाहर जाना पड़ेगा।
आगे हम सिराथु के देहात छेत्र नई बस्ती इलाके में गए। वहां हम गल्ले की दुकान पर पहुंचे, जहां महिलाएं मुफ्त राशन लेने पहुंची थीं। वहां इंद्राणी जी ने बताया कि गांव की सड़कें केशव मौर्य द्वारा नहीं बनवाई गई हैं। सुरक्षा और राशन तो मिला, पर गांव की सड़कें बेहद खराब हैं। दूसरी तरफ एमए की हुई उमा भी हमें मिलीं, जिन्होंने कहा कि सरकार में नौकरियां ही नही हैं। पढ़ी लिखी महिलाएं बहुत परेशान हैं। भर्तियां निकलती हैं, फिर रद्द कर दी जाती हैं और ऐसा 2017 के बाद से ही हो रहा है। वहीं, गाँव के रहने वाले अयोध्या प्रसाद मौर्या कहते हैं कि सरकार ने उनकी दो साल से सड़क की पेमेंट नहीं की हैं। उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा, इस सरकार में कुछ नहीं हो रहा है। असलियत 10 मार्च को पता चलेगी।
सिराथु में कई लोग डेप्युटी सीएम के पक्ष में तो कई उनके विरोध में नजर आए। नौकरी रोजगार को लेकर नाराजगी है, लेकिन गांव के लोगों का मानना है कि सड़कें, पुल केशव मौर्या ने बतौर पीडब्लूडी मिनिस्टर बनवाए हैं।
आपको बता दे की सिराथु में 27 फरवरी को वोट डाले जाने हैं। यहां 45 फीसदी अनुसूचित जाति के लोग हैं तो 24 फीसदी लोग पिछड़ा वर्ग के हैं, जबकि शेष अन्य जाति के लोग हैं। इस सीट पर 2012 में केशव प्रसाद मौर्य जीतकर विधानसभा पहुंचे लेकिन 2014 में वह सांसद बन गए तब ये सीट उपचुनाव के बाद सपा के पाले में गई, लेकिन 2017 में मोदी लहर में फिर यहां से भाजपा की जीत हुई। इस बार इस सीट पर मुकाबला कड़ा है, क्योंकि अपना दल (के) से पल्लवी पटेल सपा गठबंधन की उम्मीदवार हैं और खुद को यहां की बहू बताते हुए वोट देने की अपील लोगों से कर रही हैं।